Tulisi Mata Ki Kahani। तुलसी माता की कहानी

Tulsi Mata Ki Kahani। जानिए क्या है तुलसी माता की कहानी, पौराणिक कथा

तुलसी माता जिन्हे एक पवित्र पौधे के रूप में पूजा जाता है जो हिंदू धर्म में बहुत ही पूजनीय माना जाता है. तुलसी माता को भगवान विष्णु की पत्नी माना जाता है तुलसी माता का पौधा बहुत ही सुंदर और मनमोहक होता है और इसका धार्मिक और औषधीय महत्व भी बहुत अधिक है.

हिन्दू धर्म में तुलसी माता का महत्व। Significance of Mata Tulsi in Hindu Dharma

तुलसी माता को हिंदू धर्म में बहुत ही पूजनीय माना जाता है. तुलसी माता के पौधे को घर में लगाने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है. तुलसी माता के पौधे को तुलसी माता की पूजा में भी इस्तेमाल किया जाता है. तुलसी माता की पूजा करने से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और उसे मोक्ष प्राप्त होता है.

तुलसी माता के पौधे का धार्मिक और औषधीय महत्व बहुत अधिक है. तुलसी माता के पौधे को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है और इसलिए इसे बहुत ही पवित्र माना जाता है. तुलसी माता के पौधे का इस्तेमाल कई तरह के औषधीय जड़ी-बूटियों को बनाने में किया जाता है. तुलसी माता के पौधे के औषधीय गुणों से कई तरह के रोगों का इलाज किया जा सकता है

Tulsi Mata Ki Kahani। तुलसी माता की कहानी

कार्तिक माह में तुलसी पूजन (Tulsi Pujan)का अत्यधिक महत्व होता है तुलसी माता की ये अनसुनी कहानी भी कार्तिक माह में तुलसी पूजन के महत्व को दर्शाती है इसे कार्तिक तुलसी की कथा के नाम से भी जाना जाता है 

उस समय की बात है जब ऐसे हि कार्तिक माह में महिलाएं तुलसी माँ को सींचने जाती थी परन्तु अन्य औरतों से विपरीत एक बुढ़िया तुलसी माँ को सिचंती और कहती थी हे तुलसी माँ ! मै तेरा बिड़ला सींचती हुँ, 
तू मेरा निस्तारा कर, 
मुझे अड़ुआ दे लडुआ दे,
बैकुंठ में वास दिला दे,
पीताम्बर की धोती दे,
चटके की चाल दे , 
पटके की मौत दे , 
चन्दन की काठ दे , 
झालर की झनकार दे , 
साई का राज दे , 
दाल भात का जीमण दे , 
ग्यारस की मौत दे , 
और श्रीकृष्ण का कांधा दे

बुढ़िया हर रोज आती और तुलसी माता को यही सब कहती जिसके बाद तुलसी माँ धीरे धीरे सूखने लगी, जब भगवान ने पूछा की हे तुलसी माता ! तुम क्यों सुख रही हो? तब माता ने अपने व्यथा भगवान के समक्ष रखते हुए कहा एक बुढ़िया रोज आती है और यह सब बातें कह जाती है में उसकी सभी बातें तो पूरी कर दूंगी पर कृष्ण भगवान का कन्धा कहा से लाऊंगी। 

तब भगवान ने माता से कहा- “जब वो बूढी मई मारेगी तब में उसे कन्धा देने आऊंगा”। कुछ समय पश्चात ही उस बूढी माँ का देहांत हो गया और तब भगवान कृष्ण ने एक बालक के रूप में आकर बुढ़िया माँ से ये कहा –

बुढ़िया माई मन की निकाल ले,
मीठा-मीठा गास ले
पीताम्बर की धोती ले,,
बेकुंठा का वास ले,
चटक की चाल ले,
पटक की मोत ले,
झालर की झनकार ले, 
साई का राज ले,
दाल भात का जीमण ले,
ग्यारस की मौत ले,
और कृष्ण जी का कन्धा ले.

और इस प्रकार बुढ़िया माई को मुक्ति मिल गयी, हे तुलसी माँ! जिस प्रकार आपने इस बुढ़िया माँ का उद्धार किया वैसी ही हमारा भी करना!

Tulsi Mata ki Poranik Katha | तुलसी माता की पौराणिक कथा 

कहानी जलंधर नाम के दुष्ट राक्षस और उसकी पतिव्रता पत्नी वृंदा की है । उस समय जलंधर नामक एक राक्षस ने अपने कुकर्मों से हर जगह तबाही मचा रखी थी, जबकि उसकी पत्नी वृंदा की धर्मपरायणता और भक्ति ने उसे विजयी बना दिया। जलंधर के उत्पात से डरकर देवताओं और ऋषियों ने उनकी रक्षा के लिए भगवान विष्णु से मदद मांगी।

प्रार्थना सुनकर, भगवान विष्णु ने वृंदा के पतित्व को तोड़ने की योजना बनाई, जिससे उन्हें जलंधर को हराने की अनुमति मिली। उसने वृंदा जैसा दिखने वाला एक निर्जीव शरीर उसके घर भेजा और उसे धोखा दिया कि उसका पति मर गया है। वृंदा का हृदय टूट गया और उसने अपना सतीत्व खो दिया।

जब वृंदा को भगवान विष्णु के छल का पता चला, तो उन्होंने भगवन विष्णु को पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया, देवताओ के बहुत विनती करने के बाद वृंदा ने भगवन विष्णु को श्राप से मुक्त किया तब से विष्णु जी के पूजा शालिग्राम शिला के रूप में तुलसी के पौधे में स्थापित करके भी करते है  

कहा जाता है वृंदा के श्राप के हि कारन भगवान विष्णु को राम अवतार में उन्हें अपनी पत्नी से वियोग सहना पडा था । तब भगवान विष्णु ने वृंदा को तुलसी के अवतार के रूप में पहचानते हुए सांत्वना दी और घोषणा की कि जो लोग उसके विवाह समारोह के दौरान तुलसी से विवाह करेंगे, उन्हें मोक्ष प्राप्त होगा।

तब से, तुलसी का विवाह समारोह (Devuthni Ekadashi) बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह अपार आशीर्वाद और आध्यात्मिक योग्यता प्रदान करता है। हिंदू पूजा में तुलसी का बहुत महत्व है और कहा जाता है कि तुलसी के बिना भगवान विष्णु की कोई भी पूजा अधूरी रहती है।

Conclusion | संक्षेप में 

तुलसी माता पूजनीय है जो हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है. तुलसी माता के पौधे को घर में लगाने से और कार्तिक माह में ये कथा सुनने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है. 

तुलसी माता के चरणों में अर्पित भक्ति का संबंध हर मनुष्य को अपने स्वयं के आत्मा से जोड़ता है। इसलिए, हिन्दू धर्म में तुलसी माता को एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक माना जाता है।

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