5 Couplets of Goswami Tulsidas which Show the Way to Success

तुलसी’ साथी विपति के, विद्या, विनय, विवेक। साहस, सुकृत, सुसत्य–व्रत, राम–भरोसो एक॥

अर्थ: तुलसी दास कहते हैं कि विपत्तियों में भी विद्या, विनय और विवेक का सहारा लेना चाहिए। भाव: अच्छे गुणों के साथ व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में समर्थ होता है।

आवत हिय हरषै नहीं, नैनन नहीं सनेह। ‘तुलसी’ तहाँ न जाइए, कंचन बरसे मेह॥

अर्थ: हिय के आवगमन में भी हर्ष नहीं होना चाहिए, और आँखों में सनेह नहीं होना चाहिए। भाव: संतुष्ट और आत्मनिर्भर रहने की महत्वपूर्णता को दिखाता है।

तुलसी मीठे बचन ते, सुख उपजत चहुँ ओर । बसीकरन इक मंत्र है, परिहरू बचन कठोर ।।

अर्थ: मीठे बचनों से सुख सब प्रांप्त होता है, सभी दिशाओं में। भाव: सच्चे और प्रेमपूर्ण बोलने की महत्वपूर्णता को दर्शाता है।

तुलसी भरोसे राम के, निर्भय हो के सोए। अनहोनी होनी नही, होनी हो सो होए॥

अर्थ: तुलसी दास कहते हैं कि भगवान राम पर भरोसा करके और निर्भीक होकर सोए। भाव: विश्वास और निर्भीकता से जीवन को आसानी से पार किया जा सकता है।

सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु | बिद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु ||

अर्थ: तुलसी दास कहते हैं कि यदि आप संघर्ष कर रहे हैं तो उसे खुद से न कहिए, अपने दोषी विरोधियों को कहिए। भाव: आत्म-संयम और साहस के साथ दुश्मनों के साथ संघर्ष करने की महत्वपूर्णता को दिखाता है।

Garuda Purana Teachings for Success: सफलता के लिए गरुड़ पुराण मार्गदर्शन