KaraAgre Vasate Laxmi Shlok जानिए इस मंत्र का अर्थ फायदे और महत्व

KaraAgre Vasate Laxmi Mantra: जाने कराग्रे वसते लक्ष्मी का जप क्यों करना चाहिए?

“कराग्रे वसते लक्ष्मी (KaraAgre Vasate Laxmi Shlok)” यह एक प्रसिद्ध संस्कृत श्लोक है जिसका अर्थ होता है, ‘लक्ष्मी देवी हमारे हाथ के अग्रभाग में निवास करती है’। यह एक प्राचीन भारतीय उक्ति है जो हमें कर्म की महत्वपूर्णता को समझाती है। इस श्लोक का अर्थ है कि हमें कर्मों पर विश्वास रखना चाहिए, क्योंकि हमारे कर्म ही हमें सफलता दिलाते हैं।

हिन्दू धर्म के अनुसार इस मंत्र का जप सुबह उठते साथ ही किया जाता है सुबह जैसे ही आप की निदं से जागे अपनी हथेलियों को पुस्तक की तरह खोलकर अपनी दृष्टि को अपने होठो पर टिकायेइस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए 

शास्त्रनुसार इस प्रकार अपने दिन की शरुआत करने वाले व्यक्ति की दशा सुधरती है तथा सौभाग्य में वृद्धि होती है  

“कराग्रे वसते लक्ष्मी श्लोक (KaraAgre Vasate Laxmi Shlok)” मनुष्य को यह सिखाता है कि उसका कर्म ही उसकी सफलता की कुंजी है। यह श्लोक कहता है कि लक्ष्मी देवी हमारे हाथ के अग्रभाग में वास करती है, 

सरस्वती देवी हमारे हाथ के मध्यभाग में वास करती है और गोविंद भगवान हमारे हाथ के मूलभाग में वास करते हैं। इस श्लोक से हमें यह समझ मिलता है कि हमें हमारे कर्मों पर विश्वास करना चाहिए और उन्हें सही दिशा में निर्देशित करने की क्षमता होनी चाहिए। 

हमारे कर्म ही हमारी सफलता की नींव होते हैं, और हमें उन्हें निष्कलंक तरीके से करने का प्रयास करना चाहिए।”

श्लोक का अर्थ और उपयोग:

यह श्लोक हमें बताता है कि हमें सफलता पाने के लिए पहले ही कर्मों का संकल्प लेना चाहिए। हमारे कर्म ही हमारे लक्ष्य की प्राप्ति में मदद करते हैं। श्री लक्ष्मी देवी धन, संपत्ति और समृद्धि की प्रतिष्ठित देवी हैं और उनकी कृपा से हमें सफलता प्राप्त होती है।

यह श्लोक हमें यह भी सिखाता है कि हमें अपने कर्मों पर गर्व करना चाहिए, चाहे वो छोटे या बड़े क्षेत्र में हों। यह हमें आत्म-समर्पण और मेहनत की महत्वपूर्णता को बताता है।

“कराग्रे वसते लक्ष्मी” श्लोक: देवी लक्ष्मी की प्रार्थना | Significance of KaraAgre Vasate Laxmi Shlok

“कराग्रे वसते लक्ष्मी (KaraAgre Vasate Laxmi)” एक प्रसिद्ध वेदिक श्लोक है जो हिंदू धार्म में प्रतिदिन की शुरुआत में प्रार्थना का हिस्सा बनता है। यह श्लोक धन, समृद्धि, श्रेष्ठता और सम्पत्ति की प्रतीक देवी लक्ष्मी को समर्पित है। इस श्लोक के द्वारा हम देवी लक्ष्मी की कृपा की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं ताकि हमारे जीवन में समृद्धि और शुभकामनाएँ हमें प्राप्त हों।

कर्म और सफलता:

श्री लक्ष्मी के इस श्लोक का अर्थ है कि हमें केवल कर्मों पर विश्वास करना चाहिए, न कि भगवान के आशीर्वाद पर ही निर्भर रहना चाहिए। हमें अपने संघर्षों का सामना करना चाहिए और मेहनत से अपनी मनजिल की ओर बढ़ना चाहिए। केवल सही दिशा में कड़ी मेहनत करने से ही हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

Karagre Vasate Lakshmi Lyrics 

in English:-

karāgre vasate lakṣmīḥ karamadhye sarasvatī ।

karamūle tu govindaḥ prabhāte karadarśanam ॥

in Hindi:-

कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती।

करमूले तु गोविंदः प्रभाते करदर्शनम् ॥

Karagre Vasate Lakshmi Shlok Meaning in Hindi:- 

हाथों में विशेष देवियों का निवास: कराग्रे वसते लक्ष्मी श्लोक (KaraAgre Vasate Laxmi Shlok)

“कराग्रे वसते लक्ष्मी (KaraAgre Vasate Laxmi)” यह श्लोक हमें हमारे हाथों के भिन्न भागों में विभिन्न देवियों के निवास का संकेत देता है। यह एक प्राचीन भारतीय उक्ति है, जिसका अर्थ यह है कि हमारे हाथों के विभिन्न भागों में भगवान की निवास होती है। यह श्लोक हमें हमारे हाथों के महत्व को समझाता है और हमें याद दिलाता है कि हमें काम करने में हमारे हाथों का योगदान महत्वपूर्ण है।

विवरण:

हाथ के अग्र भाग में लक्ष्मी जी का वास होता है: श्री लक्ष्मी देवी समृद्धि, संपत्ति और सफलता की प्रतिष्ठित देवी हैं। इस श्लोक में कहा गया है कि लक्ष्मी देवी हमारे हाथ के अग्र भाग में विराजमान होती है, जिसका मतलब है कि हमें मेहनत और सामर्थ्य के साथ काम करने से ही समृद्धि प्राप्त होती है।

हाथ के मध्यभाग में सरस्वती माँ का वास है: सरस्वती माँ ज्ञान, विद्या और कला की देवी हैं। श्लोक में यह बताया गया है कि सरस्वती माँ हमारे हाथ के मध्यभाग में निवास करती है, जो हमें शिक्षा और ज्ञान की महत्वपूर्णता को याद दिलाती है।

हाथ के मूल अर्थात निम्न भाग में श्री भगवान गोविंद का निवास है: इस श्लोक में बताया गया है कि हमारे हाथ के मूल अर्थात निम्न भाग में भगवान गोविंद का निवास होता है। यह हमें आत्म-समर्पण और भगवान के प्रति श्रद्धा की महत्वपूर्णता को समझाता है।

कराग्रे वसते लक्ष्मी” श्लोक के पढ़ने के फायदे: Benefits of Karagre Vasate Lakshmi Shlok

देवी के आशीर्वाद की प्राप्ति: यह श्लोक हमें धन, ज्ञान और बुद्धिमत्ता की प्राप्ति के लिए देवी लक्ष्मी, सरस्वती और गौरी की कृपा की प्रार्थना करने की प्रेरणा देता है। हम इन देवियों से आशीर्वाद प्राप्त करके जीवन में समृद्धि, ज्ञान और बुद्धिमत्ता प्राप्त कर सकते हैं।

आने वाले दिन के लिए निर्देशन: श्रोता को इस श्लोक के माध्यम से आने वाले दिन के लिए एक सकारात्मक और शुभ स्वर निर्धारित करने की क्षमता मिलती है। यह उसके मनोबल को बढ़ाकर उसे अपने लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में प्रेरित करता है।

मन की एकाग्रता: इस श्लोक के पाठन से हमें अपने मन को एकाग्र करने की क्षमता मिलती है। हम अपने कार्यों में स्पष्टता और एकाग्रता लाने के लिए प्रेरित होते हैं, जिससे हमारे कार्य प्रफलित होते हैं।

ईश्वरीय उपस्थिति की पहचान: यह श्लोक हमें स्वयं में और अपने आस-पास की दुनिया में ईश्वरीय उपस्थिति को पहचानने की क्षमता देता है। हम अपने आस-पास के परिप्रेक्ष्य में दिव्यता को देख पाते हैं और हमें आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है।

इस प्रकार, “कराग्रे वसते लक्ष्मी (KaraAgre Vasate Laxmi)” श्लोक का पढ़ने से हमें आत्मविकास, शुभकामनाएँ और आदर्श जीवन की दिशा में प्रेरित होने का अवसर प्राप्त होता है।

निष्कर्ष | Conclusion

“कराग्रे वसते लक्ष्मी” श्लोक (KaraAgre Vasate Laxmi Shlok) हमें कर्म पर विश्वास और मेहनत के महत्व को सिखाता है। हमें चाहिए कि हम अपने कर्मों पर गर्व करें और सही मार्ग पर चलकर अपने लक्ष्यों की प्राप्ति करें।

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