मनुष्य के जीवन का उद्देश्य या पुरुषार्थ चार प्रमुख धार्मिक लक्ष्यों को दर्शाता है, जिन्हें चार पुरुषार्थ (Purushartha) कहा जाता है। इन चार पुरुषार्थों का उद्देश्य होता है मनुष्य के आदर्श और जीवन की मार्गदर्शन करना।
धर्म मनुष्य के जीवन में नैतिकता और धार्मिक दायित्व की प्रमुख भूमिका निभाता है। यह उसे सही और न्यायिक तरीके से जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन करता है।
अर्थ का मतलब होता है सामाजिक और आर्थिक सुख-संपत्ति की प्राप्ति करना। यह आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति को दर्शाता है, जो एक यथार्थ और आत्मिक जीवन के लिए आवश्यक हो सकती है।
काम का मतलब होता है इंद्रिय सुख और आत्मिक आनंद की प्राप्ति करना। यह जीवन में भौतिक और भौतिक खुशियों का अनुभव करने की अनुमति देता है।
मोक्ष मनुष्य के आत्मा की मुक्ति और अद्वितीय ब्रह्मन के साथ मिलन का उद्देश्य होता है। यह जीवन के संशारिक चक्र से मुक्त होकर आत्मा को आनंद और आत्मज्ञान की प्राप्ति का मार्ग दिखाता है।
इन चार पुरुषार्थों का महत्व तो है, लेकिन उन्हें अपनाते समय धर्म और मोक्ष का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि ये आदर्श और जीवन की मार्गदर्शन के साथ आत्मा के मार्ग पर भी मदद करते हैं।