श्री महा गणेश पंचरत्नम् (Sri Maha Ganesh Pancharatna Stotram) एक संस्कृत स्तोत्र है जिसकी रचना आदिशंकराचार्य ने की थी। यह एक बहुत ही शक्तिशाली स्तोत्र है और इसे नियमित रूप से पढ़ने और जपने से हमें बहुत लाभ मिल सकते हैं। यह स्तोत्र भगवान गणेश की पांच महान विशेषताओं का वर्णन करता है।
गणेश पंचरत्न स्त्रोत्र का गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के 10 दिन तक करने से भक्तों को सभी सर्व सिद्धि तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है ।
महागणेश पंचरत्न स्तोत्र संस्कृत और हिंदी में | Sri Maha Ganesh Pancharatna Stotram Lyrics in Hindi and Sanskrit
मुदाकरात्त मोदकं सदा विमुक्ति साधकम् ।
कलाधरावतंसकं विलासिलोक रक्षकम् ।
अनायकैक नायकं विनाशितेभ दैत्यकम् ।
नताशुभाशु नाशकं नमामि तं विनायकम् ॥ 1 ॥
नतेतराति भीकरं नवोदितार्क भास्वरम् ।
नमत्सुरारि निर्जरं नताधिकापदुद्ढरम् ।
सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरम् ।
महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरंतरम् ॥ 2 ॥
समस्त लोक शंकरं निरस्त दैत्य कुंजरम् ।
दरेतरोदरं वरं वरेभ वक्त्रमक्षरम् ।
कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करम् ।
मनस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् ॥ 3 ॥
अकिंचनार्ति मार्जनं चिरंतनोक्ति भाजनम् ।
पुरारि पूर्व नंदनं सुरारि गर्व चर्वणम् ।
प्रपंच नाश भीषणं धनंजयादि भूषणम् ।
कपोल दानवारणं भजे पुराण वारणम् ॥ 4 ॥
नितांत कांति दंत कांति मंत कांति कात्मजम् ।
अचिंत्य रूपमंत हीन मंतराय कृंतनम् ।
हृदंतरे निरंतरं वसंतमेव योगिनाम् ।
तमेकदंतमेव तं विचिंतयामि संततम् ॥ 5 ॥
महागणेश पंचरत्नमादरेण योऽन्वहम् ।
प्रजल्पति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम् ।
अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रताम् ।
समाहितायु रष्टभूति मभ्युपैति सोऽचिरात् ॥
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Sri Maha Ganesh Pancharatna Stotram Lyrics in English
mudākarātta mōdakaṃ sadā vimukti sādhakam ।
kaḻādharāvataṃsakaṃ vilāsilōka rakṣakam ।
anāyakaika nāyakaṃ vināśitēbha daityakam ।
natāśubhāśu nāśakaṃ namāmi taṃ vināyakam ॥ 1 ॥
natētarāti bhīkaraṃ navōditārka bhāsvaram ।
namatsurāri nirjaraṃ natādhikāpadudḍharam ।
surēśvaraṃ nidhīśvaraṃ gajēśvaraṃ gaṇēśvaram ।
mahēśvaraṃ tamāśrayē parātparaṃ nirantaram ॥ 2 ॥
samasta lōka śaṅkaraṃ nirasta daitya kuñjaram ।
darētarōdaraṃ varaṃ varēbha vaktramakṣaram ।
kṛpākaraṃ kṣamākaraṃ mudākaraṃ yaśaskaram ।
manaskaraṃ namaskṛtāṃ namaskarōmi bhāsvaram ॥ 3 ॥
akiñchanārti mārjanaṃ chirantanōkti bhājanam ।
purāri pūrva nandanaṃ surāri garva charvaṇam ।
prapañcha nāśa bhīṣaṇaṃ dhanañjayādi bhūṣaṇam ।
kapōla dānavāraṇaṃ bhajē purāṇa vāraṇam ॥ 4 ॥
nitānta kānti danta kānti manta kānti kātmajam ।
achintya rūpamanta hīna mantarāya kṛntanam ।
hṛdantarē nirantaraṃ vasantamēva yōginām ।
tamēkadantamēva taṃ vichintayāmi santatam ॥ 5 ॥
mahāgaṇēśa pañcharatnamādarēṇa yō’nvaham ।
prajalpati prabhātakē hṛdi smaran gaṇēśvaram ।
arōgatāmadōṣatāṃ susāhitīṃ suputratām ।
samāhitāyu raṣṭabhūti mabhyupaiti sō’chirāt ॥
गणेश पंचरत्न स्तोत्र के लाभ
- यह स्तोत्र भगवान गणेश की पांच महान विशेषताओं का ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है, जिससे हमारे आध्यात्मिक जीवन में प्रगति करने में मदद मिलती है।
- यह स्तोत्र हमारे मन में भगवान गणेश की आराधना की भावना पैदा करता है, जिससे हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
- यह स्तोत्र हमारे जीवन में सभी बाधाओं को दूर करने में मदद करता है और हमें सफलता और समृद्धि प्राप्त करने में मदद करता है।
- यह स्तोत्र हमारे ज्ञान और बुद्धि को बढ़ाने में मदद करता है।
- यह स्तोत्र हमारे जीवन में सभी प्रकार की नकारात्मकता को दूर करने में मदद करता है और हमें आध्यात्मिक रूप से उन्नत होने में मदद करता है।
भगवान गणेश के गुण सर्वव्यापी, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, सर्वमंगलकारी और सर्वेश्वर के रूप में व्यक्त होते हैं। वे सभी जगह मौजूद हैं और सभी बाधाओं को दूर करने की शक्ति रखते हैं। उन्होंने सभी ज्ञान के भंडार को होने का अधिकार पाया है और सभी प्रकार की सफलता और समृद्धि का स्रोत हैं। वे सम्पूर्ण ब्रह्मांड के ईश्वर हैं।