हिंदू धर्म में पितृ पक्ष (Pitru Paksha) का विशेष महत्व है। इस अवधि में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। पितृ पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर अश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। इस अवधि में कुल 15 दिन होते हैं।
पितृ पक्ष (Pitru Paksha) में श्राद्ध और तर्पण करने की परंपरा है। श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धा से कर्म करना। तर्पण का अर्थ है जल अर्पित करना। मान्यता है कि पितृ प्रसन्न होते हैं तो जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और सुख-शांति प्राप्त होती है।
पितृ कौन हैं?
पितृ किसी के परिवार के दिवंगत पूर्वजों की आत्माएं हैं। जब कोई व्यक्ति मरता है, तो उसकी आत्मा पितृ लोक में जाती है।
मान्यता है कि पितृ पक्ष (Pitru Paksha) में पितरो को संपूरड़ विधि विधान से श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उनके वंशजो अपने पूर्वजो से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है
मान्यता है कि पितृ पक्ष (Pitru Paksha) में के दौरान हमारे पूर्वज किसी ना किसी रूप में हमसे मिलने धरती पर आते हैं.
पितृ पक्ष क्या है? What is Pitru Paksha?
पितृ पक्ष (Pitru Paksha) हिंदू चंद्र कैलेंडर में पितरों को श्रद्धांजलि देने और अनुष्ठान करने के लिए समर्पित 16 दिनों की अवधि है। इस दौरान, वंशज अपने पितरों के लिए श्राद्ध और तर्पण करते हैं।
पितृ पक्ष 2023 | Pitru Paksha Starting and End Date
पितृ पक्ष 29 सितंबर 2023 से शुरू होगा और 14 अक्टूबर 2023 को समाप्त होगा।
हिंदू धर्म में पितृपक्ष (Pitru Paksha) का विशेष महत्व है। इस अवधि में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं।
पितृपक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा (Bhadrapada Purnima 2023) से शुरू होकर अश्विन मास की अमावस्या तक चलता है। इस अवधि में कुल तीन तिथियाँ विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती हैं, जो इस प्रकार हैं:
पूर्णिमा – पितृपक्ष की शुरुआत पूर्णिमा तिथि से होती है। इस दिन पूर्वजों की आत्मा को तर्पण देने का सबसे अच्छा समय माना जाता है।
अमावस्या – पितृपक्ष (Pitru Paksha) का समापन अमावस्या तिथि को होता है। इस दिन भी पूर्वजों की आत्मा को तर्पण दिया जाता है।
महालया – पितृपक्ष (Pitru Paksha) के दौरान पड़ने वाली श्राद्ध पक्ष की पंचमी तिथि को महालया कहा जाता है। इस दिन पितरों का तर्पण करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
पितृ गायरी मंत्र | Pitru Gayatri Mantra
ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृ प्रचोदयात्।
यह मंत्र पितरों को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक शक्तिशाली मंत्र है।
पितृ पक्ष 2023 महत्वपूर्ण तिथियों की तारीख | Pitru Paksha 2023 Important Dates and Tithis
दिन | श्राद्ध | तिथि प्रारंभ और समाप्त |
29 सितंबर | पूर्णिमा श्राद्ध | पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 28 सितंबर, 2023 – सायं 6:49 बजे |
30 सितंबर | प्रतिपदा श्राद्ध | प्रतिपदा तिथि प्रारंभ – 29 सितंबर, 2023 – सायं 3:26 बजे |
30 सितंबर | द्वितीया श्राद्ध | द्वितीया तिथि प्रारंभ – 30 सितंबर, 2023 – मध्याह्न 12:21 बजे |
1 अक्टूबर | तृतीया श्राद्ध | तृतीया तिथि प्रारंभ – 1 अक्टूबर, 2023 – प्रातः 9:41 बजे |
2 अक्टूबर | चतुर्थी श्राद्ध | चतुर्थी तिथि प्रारंभ – 2 अक्टूबर, 2023 – प्रातः 7:36 बजे |
3 अक्टूबर | पंचमी श्राद्ध | पंचमी तिथि प्रारंभ – 3 अक्टूबर, 2023 – प्रातः 6:11 बजे |
4 अक्टूबर | षष्ठी श्राद्ध | षष्ठी तिथि प्रारंभ – 4 अक्टूबर, 2023 – प्रातः 5:33 बजे |
5 अक्टूबर | सप्तमी श्राद्ध | सप्तमी तिथि प्रारंभ – 5 अक्टूबर, 2023 – प्रातः 5:41 बजे |
6 अक्टूबर | अष्टमी श्राद्ध | अष्टमी तिथि प्रारंभ – 6 अक्टूबर, 2023 – प्रातः 6:34 बजे |
7 अक्टूबर | नवमी श्राद्ध | नवमी तिथि प्रारंभ – 7 अक्टूबर, 2023 – प्रातः 8:08 बजे |
8 अक्टूबर | दशमी श्राद्ध | दशमी तिथि प्रारंभ – 8 अक्टूबर, 2023 – प्रातः 10:12 बजे |
9 अक्टूबर | एकादशी श्राद्ध | एकादशी तिथि प्रारंभ – 9 अक्टूबर, 2023 – प्रातः 12:36 बजे |
11 अक्टूबर | द्वादशी श्राद्ध | द्वादशी तिथि प्रारंभ – 10 अक्टूबर, 2023 – अपराह्न 3:08 बजे |
12 अक्टूबर | त्रयोदशी श्राद्ध | त्रयोदशी तिथि प्रारंभ – 11 अक्टूबर, 2023 – अपराह्न 5:37 बजे |
13 अक्टूबर | चतुर्दशी श्राद्ध | चतुर्दशी तिथि प्रारंभ – 12 अक्टूबर, 2023 – अपराह्न 7:53 बजे |
14 अक्टूबर | सर्व पितृ अमावस्या | अमावस्या तिथि प्रारंभ – 13 अक्टूबर, 2023 – अपराह्न 7:53 बजे |
14 अक्टूबर | सर्व पितृ अमावस्या | अमावस्या तिथि समाप्त – 14 अक्टूबर, 2023 – रात्रि 11:24 बजे |
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पितृ किस रूप में आते है?
हिंदू धर्म में पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के दौरान कौए का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यता है कि इन दिनों में पितृ कौवों के रूप में धरती पर आते हैं और जल-अन्न ग्रहण करते हैं।
कौए को यमराज का दूत माना जाता है, इसलिए कौए को भोजन कराने से पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है।
पितृ पक्ष के (Pitru Paksha) दौरान कौए को भोजन कराने के पीछे कई कारण हैं। एक कारण यह है कि कौए मांसाहारी पक्षी हैं और वे मृत जानवरों के मांस को खाते हैं। इसलिए, माना जाता है कि कौए पितरों की आत्मा को ग्रहण कर उन्हें शांति प्रदान करते हैं।
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इसके अतिरिक्त यह ही मान्यता है कि हमारे पूर्वज चीटियों के रूप में भी अपने वशंजों से मिलने आते हैं इसलिए पितृ पक्ष (Pitru Paksha) में चीटियों को आटा खिलने का अत्यधिक महत्व है
पितृ लोक क्या है? What is Pitru Loka?
पितृ लोक एक आध्यात्मिक लोक है जो पृथ्वी के ऊपर और स्वर्ग के नीचे स्थित है। यह भगवान अर्यमा का निवास स्थान है, जो 12 आदित्यों में से एक हैं।
हिन्दू धर्म में, पितृलोक पितृ जन्मियों का दुनिया है। यह शब्द संस्कृत से आता है, जिसमें ‘पितृ’ का मतलब होता है “जन्मियों” या “माता-पिता,” और ‘लोक’ का मतलब होता है “दुनिया,” “क्षेत्र” या “क्षेत्र”। पितृलोक का अवगमन, जैसा कि है, विभिन्न हिन्दू परंपराओं के बीच भिन्न हो सकता है।
कुछ परंपराओं में, पितृलोक वायुमंडल की दो क्षेत्रों में से एक है, जिसमें प्रेतलोक (पितृजन्मियों का दुनिया) भी शामिल है। कभी-कभी पितृलोक को भुवरलोक के साथ उपमा किया जाता है। दूसरी परंपराओं में, पितृलोक भूलोक (पृथ्वीय क्षेत्र) के चार उपविभागों में से एक माना जाता है।
पितृ लोक में आत्मा का जीवन
पितृ लोक में, आत्मा को भोजन और अन्य आवश्यकताओं के लिए अपने जीवित वंशजों पर निर्भर रहना पड़ता है। वंशज पितरों के लिए श्राद्ध और तर्पण करके उनकी मदद कर सकते हैं।
पितृ पक्ष के दौरान क्या करें? What Should We do During Pitru Paksha?
पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के दौरान, वंशजों को अपने पितरों के लिए श्राद्ध और तर्पण करना चाहिए। श्राद्ध में, पितरों को भोजन, पानी, और अन्य वस्तुएं अर्पित की जाती हैं। तर्पण में, पितरों के लिए जल अर्पित किया जाता है।
पितृ पक्ष (Pitru Paksha) में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, जैसे:
- श्राद्ध कर्म सुबह जल्दी उठकर करना चाहिए: श्राद्ध कर्म सुबह जल्दी उठकर करना चाहिए, क्योंकि इस समय वातावरण शुद्ध होता है और पितृ आसानी से आशीर्वाद देते हैं।
- श्राद्ध कर्म के लिए शुद्ध स्थान का चयन करना चाहिए: श्राद्ध कर्म के लिए शुद्ध स्थान का चयन करना चाहिए, जैसे कि घर का पूजा स्थल या मंदिर।
- श्राद्ध कर्म करते समय साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिए: श्राद्ध कर्म करते समय साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिए, क्योंकि इससे मन को शुद्धता मिलती है।
- श्राद्ध कर्म करते समय ध्यान केंद्रित करना चाहिए: श्राद्ध कर्म करते समय ध्यान केंद्रित करना चाहिए, क्योंकि इससे पितृ की आत्मा को संतुष्टि मिलती है।
- श्राद्ध कर्म में ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा देनी चाहिए: श्राद्ध कर्म में ब्राह्मणों को भोजन और दक्षिणा देनी चाहिए, क्योंकि इससे पितृ प्रसन्न होते हैं।
पितृ पक्ष के दौरान क्या न करें?
पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के दौरान, वंशजों को निम्नलिखित चीजों से बचना चाहिए:
- मांस और मदिरा का सेवन
- झूठ बोलना
- क्रोध करना
- दूसरों को नुकसान पहुंचाना