जब भी कोई धार्मिक अनुष्ठान करते हैं तो हिंदू धर्म के अनुसार कलश का प्रयोग किया जाता है, लिकन उस पर लाल रंग का कलावा क्यों बांधा जाता है आइए जानते हैं।
पूजा-पाठ के समय कलश का उपयोग अधिकतर जल देने के लिए होता है।
शिवलिंग पर जल चढ़ाने, सूर्य अर्घ्य देने, तुलसी जी में जल डालने सहित नवरात्रि की घटस्थापना पूजा में कलश तक का प्रयोग किया जाता है, कलश पर कलावा बांधने के पीछे धार्मिक मान्यता है।
कलावा लाल रंग का होने की वजह से इसे ऊर्जा का कारक माना जाता है।
पूजा सिद्ध होने का सूचक कलावे को माना जाता है, क्योंकि लाल रंग आदि शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
कलावा बांधने के पीछे ये भी मान्यता है कि इसके चलते दैवीय शक्ति का उस जगह प्रवाह होता है और पूजा जल्दी सिद्ध होने पर उसका फल शीघ्र प्राप्त होता है।
वहीं तांबे के लोटे पर कलावा बांधने से सकारात्मक ऊर्जा का अधिक प्रभाव होता है और निगेटिव एनर्जी खत्म हो जाती है, ऐसे में ग्रह दोष की बाधा नहीं रहती है।
लाल रंग को मांगलिक कार्य और शुभता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए कोई भी शुभ कार्य करने से पहले कलश पर कलावा बांध कर उसे स्थापित किया जाता है।
अतः मांगलिक कार्य के दौरान कलश पर लाल रंग का कलावा बांधने से कार्य में बाधा उत्पन्न नहीं होती है।
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