भूतेश्वरनाथ मंदिर (Bhuteshwar Mahadev Temple Chhattisgarh) का निर्माण प्राचीन काल में हुआ था और यह भगवान शिव के प्रतिष्ठान के रूप में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और स्थानीय लोगों के लिए धार्मिकता का महत्वपूर्ण स्थल है। यहाँ के आगंतुक शिव के भक्त होते हैं और विशेष अवसरों पर यहां पूजा-अर्चना का आयोजन करते हैं।
यह शिवलिंग को भूतेश्वरनाथ के नाम से भी पुकारा जाता है जिसे भकुरा भी कहा जाता है, द्वादश शिवलिंग के भांति इसे अर्धनारेश्वर शिवलिंग की भी मान्यता प्राप्त है।
भूतेश्वरनाथ मंदिर के पीछे शिव परिवार स्थापित है।
भूतेश्वरनाथ मंदिर छत्तीसगढ़ के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है जो भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर का इतिहास समृद्धि से भरपूर है और इसके पीछे एक गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है।
भूतेश्वर मंदिर गरियाबंद कहां है Bhuteshwar Mahadev Gariaband Temple
भूतेश्वरनाथ मंदिर छत्तीसगढ़, राजधानी रायपुर से 90 किलोमीटर दूर गरियाबंद जिले में स्थित है। यह मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के मध्य भाग में स्थित है और गरियाबंद जिले के गरियाबंद नगर परिषद क्षेत्र में स्थित है। जानकारों के अनुसार इस मंदिर की खोज 30 वर्ष पहले हुई थी।
यह गरियाबंद से 3 किलोमीटर दूर गाने जंगलों के बीच बसा हुआ है। घने जंगलों के बीच यह विश्व का सबसे विशाल मंदिर स्थित है।
भूतेश्वर मंदिर का रहस्य
इस मंदिर की विशेषता उसके स्थान के रूप में है,जहाँ हर शिवलिंग का आकर छोटा होने की खबर आती जा रही है वही यह विशाल शिवलिंग का आकर हर साल और भी बढ़ते जा रहा है। यह शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बना हुआ है। हर साल भक्त शिवरात्रि और सावन सोमवार को लम्बी काँवर यात्रा (Kanwar Yatra) करके यहाँ प्रार्थना करने आते हैं।
भूतेश्वरनाथ के शिवलिंग में ज़रा सा दरार भी है इसीलिए इसे अर्धनारेश्वर के रूप में भी पूजा जाता है।
सावन में हर साल यहां अद्भुत मेला लगता है।
यह शिवलिंग भक्तो के लिए चमत्कारी इसीलिए है की यह हर साल नित धीरे धीरे बढ़ता जा रहा है , इसकी ऊंचाई जमीन से लगभग 85 फ़ीट व चौडाई(गोलाई)105 फ़ीट है।यह वैज्ञानिको के लिए शोध का विषय है।
यह मंदिर की जाँच हर वर्ष सरकार द्वारा की जाती है, उनके अनुसार शिवलिंग हर वर्ष 6 से 8 इंच तक बढ़ रही हैं।
भूतेश्वर महादेव मंदिर की कहानी
भूतेश्वर महादेव मंदिर की कहानी गांव के लोगों के मनोबल को और भी मजबूती देती है। इस मंदिर की विशेषता उसके इतिहास में छिपी है, जो बताता है कि कैसे यह छोटे टीले से बड़े आकार तक पहुंचा।
टीले से मंदिर का निर्माण: पूर्वकाल में, भूतेश्वर महादेव का स्थान एक छोटे टीले के रूप में था। स्थानीय गांव वाले इसे भगवान शिव के स्वरूप के रूप में मानते थे और इस पर उनकी गहरी श्रद्धा थी।
आकार में बढ़ाव: समय के साथ, गांव की जनसंख्या बढ़ने लगी और भक्तों की संख्या भी बढ़ गई। इसके परिणामस्वरूप, भूतेश्वर महादेव के मंदिर की भी आकार में बढ़ाव होने लगा।
प्रकृति प्रदत्त जललहरी: एक अद्वितीय घटना इस मंदिर की विशेषता है। मान्यता है कि मंदिर के शिवलिंग में प्रकृति द्वारा प्रदत्त जललहरी भी दिखाई देती है, जो धीरे-धीरे जमीन के ऊपर आती जाती है। यह घटना लोगों के मन में भक्ति और आश्चर्य की भावना पैदा करती है।
भूतेश्वर महादेव के नाम का प्रसार: इसी वजह से लोगों ने इस स्थल को ‘भूतेश्वर महादेव’ के नाम से पुकारने लगा। यह नाम स्थल के महत्व और आध्यात्मिकता को और भी गहराई देता है।
समापन:
भूतेश्वरनाथ मंदिर छत्तीसगढ़ (Bhuteshwar Mahadev Temple Chhattisgarh) की समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक स्थल है जो उन्हें आत्मा की शांति और प्राकृतिकता का आनंद मिलता है।