चरणामृत (Charnamrit meaning)का अर्थ होता है भगवान के चरणों का अमृत, जिसे पीने से मनुष्य के अंदर सकारात्मक भावों की उत्पत्ति होती है। हिंदू परंपरा में, देवता के पैरों को पवित्र माना जाता है, और माना जाता है कि उन्हें धोने के लिए जिस पानी का उपयोग किया जाता है उसमें शुद्धिकरण और उपचार गुण होते हैं। इसलिए चरणामृत को देवता का आशीर्वाद प्राप्त करने के एक तरीके के रूप में देखा जाता है।
चरणामृत का महत्व (Importance of Charnamrit)
हिन्दू धर्म में चरणामृत पूजा-पाठ में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। चरणामृत के बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है। विष्णुपुराण में इसे श्री हरि विष्णु के चरणों से निकला जल मन गया है जो अमृत के समान है। ईश्वर के चरणों से निकला चरणामृत रूपी जल पीने से व्यक्ति को समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है इतना ही नहीं स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इस जल को महत्वपूर्ण माना गया है आयुर्वेद के अनुसार इसमें कई रोगो को दूर करने की क्षमता होती है, चरणामृत का धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक रूप से भी कई लाभ होते है
चरणामृत बनाने की विधि (How to Make Charnamrit)
सभी मंदिर,पूजा ग्रहो और घर के पूजा स्थल पर ताम्बे के पात्र में जल हमेशा रहता है उसी जल में तुलसी, तिल, और अन्य औषधीय तत्व मिलाकर चरणामृत बनाया जाता है।
Charnamrit Ingredients
ताम्बे के पात्र में रखा जल, तुलसी पत्ता, तिल अनिवार्य है
चरणामृत लेने के नियम व मंत्र (How to Take Charnamrit)
- चरणामृत लेते समय “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” इस मंत्र का जप करे।
- चरणामृत हमेशा दांये हाथ से लेवे और श्रद्धापूवर्क ग्रहण करे
- चरणामृत ग्रहण करने के पश्चात सिर पर हाथ न फेरे
चरणामृत मंत्र (Charnamrit Mantra)
चरणामृत ग्रहण करते समय इस मंत्र का जाप करने से अकाल-मृत्यु और सभी व्याधियों का नाश होता है। और व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है।
अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम् ।
विष्णोः पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते ।
चरणामृत ग्रहण करने के लाभ (Benefits of Charnamrit)
माना जाता है कि चरणामृत के शारीरिक और आध्यात्मिक दोनों तरह से कई फायदे होते हैं। चरणामृत के कुछ लाभ इस प्रकार हैं:
- शरीर और मन को शुद्ध करना
- अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देना
- दीर्घायु में वृद्धि
- बाधाओं को दूर करना
- देवता से आशीर्वाद आकर्षित करना
- अकाल मृत्यु की संभवना काम होती है
निष्कर्ष
चरणामृत एक पवित्र पेय है जो कई हिंदू पूजाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसा माना जाता है कि इसमें शुद्धिकरण, उपचार और शुभ गुण होते हैं। चरणामृत अक्सर सम्मान और भक्ति के प्रतीक के रूप में देवता को चढ़ाया जाता है, और कभी-कभी पूजा के बाद उपासक इसे पीता है