शनि स्तोत्रं दशरथ कृतम्

दशरथ कृत शनि स्तोत्र: इस स्तोत्र का पाठ करने से शनि शांत रहते है

शनि स्तोत्रं दशरथ कृत (Shani Stotram Dasarath Krit) एक प्रसिद्ध स्तोत्र है जो राजा दशरथ के द्वारा रचित किया गया है। यह स्तोत्र भगवान शनि की महिमा, उनके शुभ प्रभाव, और उनके आशीर्वाद के प्रति भक्ति को प्रकट करता है।

भगवान शनि को हिंदू धर्म में शनिवार के दिन का स्वामी माना जाता है और वे कर्मफल के देवता के रूप में भी जाने जाते हैं। शनि देव का प्रभाव हमारे जीवन में शुभ और अशुभ प्रकृतियों को नियंत्रित करने में होता है। उनके प्रति भक्ति से कई दिक्कतों का निवारण हो सकता है और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त हो सकती है।

शनिदेव को ‘न्यायाधीश’ की उपाधि से सम्मानित किया गया है। जिन लोगों को शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति प्राप्त करनी हो, उन्हें प्रतिशत सत्यपरायणता के साथ हर शनिवार को दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। यह क्रिया उनकी भक्ति और समर्पण की प्रतीक होती है, जिससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा व्यक्ति के जीवन में सदैव बनी रहती है।

दशरथ कृत नील शनि स्तोत्र | शनि स्तोत्रं का पाठ:

शनि स्तोत्रं दशरथ कृतम् को नियमित रूप से शनिवार के दिन पढ़े । यह स्तोत्र शनि देव के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक होता है और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

शनिदेव के उपासक शनिवार के हर दिन दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करके उनके प्रति अपनी विशेष समर्पणा और साधना प्रकट करते हैं।

शनि स्तोत्र दशरथ कृतम् हिंदी में (Shani Stotram Dasarath Krutam in Hindi):

नमः कृष्णाय नीलाय शिखिखंडनिभाय च ।
नमो नीलमधूकाय नीलोत्पलनिभाय च ॥ 1 ॥

नमो निर्मांसदेहाय दीर्घश्रुतिजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयानक ॥ 2 ॥

नमः पौरुषगात्राय स्थूलरोमाय ते नमः ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय नित्यतृप्ताय ते नमः ॥ 3 ॥

नमो घोराय रौद्राय भीषणाय करालिने ।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥ 4 ॥

नमस्ते घोररूपाय दुर्निरीक्ष्याय ते नमः ।
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुख नमोऽस्तु ते ॥ 5 ॥

सूर्यपुत्त्र नमस्तेऽस्तु भास्वरोभयदायिने ।
अधोदृष्टे नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते ॥ 6 ॥

नमो मंदगते तुभ्यं निष्प्रभाय नमोनमः ।
तपसा ज्ञानदेहाय नित्ययोगरताय च ॥ 7 ॥

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु काश्यपात्मजसूनवे ।
तुष्टो ददासि राज्यं त्वं क्रुद्धो हरसि तत्‍ क्षणात् ॥ 8 ॥

देवासुरमनुष्याश्च सिद्धविद्याधरोरगाः ।
त्वयावलोकितास्सौरे दैन्यमाशुव्रजंतिते ॥ 9 ॥

ब्रह्मा शक्रोयमश्चैव मुनयः सप्ततारकाः ।
राज्यभ्रष्टाः पतंतीह तव दृष्ट्याऽवलोकितः ॥ 10 ॥

त्वयाऽवलोकितास्तेऽपि नाशं यांति समूलतः ।
प्रसादं कुरु मे सौरे प्रणत्वाहित्वमर्थितः ॥ 11 ॥

Shani Stotram Dasarath Krutam Lyrics in English

namaḥ kṛṣṇāya nīlāya śikhikhaṇḍanibhāya cha ।
namō nīlamadhūkāya nīlōtpalanibhāya cha ॥ 1 ॥

namō nirmāṃsadēhāya dīrghaśrutijaṭāya cha ।
namō viśālanētrāya śuṣkōdara bhayānaka ॥ 2 ॥

namaḥ pauruṣagātrāya sthūlarōmāya tē namaḥ ।
namō nityaṃ kṣudhārtāya nityatṛptāya tē namaḥ ॥ 3 ॥

namō ghōrāya raudrāya bhīṣaṇāya karāḻinē ।
namō dīrghāya śuṣkāya kāladaṃṣṭra namō’stu tē ॥ 4 ॥

namastē ghōrarūpāya durnirīkṣyāya tē namaḥ ।
namastē sarvabhakṣāya valīmukha namō’stu tē ॥ 5 ॥

sūryaputtra namastē’stu bhāsvarōbhayadāyinē ।
adhōdṛṣṭē namastē’stu saṃvartaka namō’stu tē ॥ 6 ॥

namō mandagatē tubhyaṃ niṣprabhāya namōnamaḥ ।
tapasā jñānadēhāya nityayōgaratāya cha ॥ 7 ॥

jñānachakṣurnamastē’stu kāśyapātmajasūnavē ।
tuṣṭō dadāsi rājyaṃ tvaṃ kruddhō harasi tat‍ kṣaṇāt ॥ 8 ॥

dēvāsuramanuṣyāścha siddhavidyādharōragāḥ ।
tvayāvalōkitāssaurē dainyamāśuvrajantitē ॥ 9 ॥

brahmā śakrōyamaśchaiva munayaḥ saptatārakāḥ ।
rājyabhraṣṭāḥ patantīha tava dṛṣṭyā’valōkitaḥ ॥ 10 ॥

tvayā’valōkitāstē’pi nāśaṃ yānti samūlataḥ ।
prasādaṃ kuru mē saurē praṇatvāhitvamarthitaḥ ॥ 11 ॥

दशरथ कृत शनि स्तोत्र के लाभ और महत्व (Shani Stotram Dasarath Krutam Benefit & Significance)

शनिदेव की साढ़ेसाती एक चुनौतीपूर्ण समय होती है, लेकिन उनके उपासक श्रद्धा और समर्पण के साथ इसे पार कर सकते हैं। दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करने से उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है और उन्हें शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही, यह साधकों को आत्म-निर्माण, संकटों का पारण, और उच्चतम मानवीय मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध करता है।

कर्मफल के देवता के रूप में: शनि देव के प्रति स्तुति करने से कर्मफल की प्राप्ति में सहायता मिलती है।
दुःखों का निवारण: यह स्तोत्र दुःखों और कठिनाइयों को कम करने में सहायक हो सकता है और जीवन को सुखमय बना सकता है।
शनि दोष के उपाय: शनि दोष से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह स्तोत्र प्रभावी उपाय हो सकता है जो उनके कष्टों को कम करने में मदद कर सकता है।
आध्यात्मिक विकास: इस स्तोत्र के पाठ से आध्यात्मिक विकास में सहायकता मिल सकती है और आत्मा के मार्ग में मदद कर सकता है।
शनि स्तोत्रं दशरथ कृतम् एक श्रद्धान्जलि है जिसके माध्यम से हम शनि देव के आशीर्वाद को प्राप्त कर सकते हैं और उनकी कृपा से जीवन को समृद्धि, शांति और सुखमय बना सकते हैं।

इस प्रकार, शनिवार के प्रत्येक दिन दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करके शनिदेव के प्रति विश्वास और समर्पण के साथ, उनके उपासक उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं और साढ़ेसाती के कठिन प्रभावों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। यह उनके जीवन को धार्मिकता, समर्पण, और सकारात्मकता की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

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