गणेश चतुर्थी की पूजन विधि –
श्री गणेश चतुर्थी पर गणेशजी की सरलतम पूजन विधि से पूजन करें। भगवान गणेशजी की पूजन में वेद मंत्र का उच्चारण किया जाता है। जिन्हें वेद मंत्र न आता हो, उनकों नाम-मंत्रों से पूजन करना चाहिए।
पूजन सामग्री :
पूजा के लिए चौकी, लाल कपड़ा, भगवान गणेश की प्रतिमा, जल का कलश, पंचामृत, रोली, अक्षत, कलावा, लाल कपड़ा, जनेऊ, गंगाजल, सुपारी, इलाइची, बतासा, नारियल, चांदी का वर्क, लौंग, पान, पंचमेवा, घी, कपूर, धूप, दीपक, पुष्प, भोग का समान आदि एकत्र कर लें।
🕉️ सर्वप्रथम स्नान करने के पश्चात अपने पास समस्त पूजन सामग्री रख लें फिर आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठकर तीन बार निम्न मंत्र बोलकर आचमन करें।
ॐ केशवाय नम:
ॐ नारायणाय नम:
ॐ माधवाय नम:
🌹आचमन के पश्चात हाथ में जल लेकर “ॐ ऋषिकेशाय नम:” बोलकर हाथ धो लें।
🌹हाथ धोने के बाद पवित्री धारण करें, पवित्री के बाद बाएं हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ से अपने ऊपर और पूजन सामग्री पर छिड़क ले।
ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु,
ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु,
ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु
🌹बोलकर श्रीगणेशजी एवं अम्बिका (गौरी गणेश) (सुपारी में मौली लपेटकर) को स्थापित करें निम्न मंत्र बोलकर आवाहन करें।
👉🏻ॐ गणेशाम्बिकाभ्यां नम:
🌹फिर आपकी जो कामना है उसे संकल्प ले लें, अर्थात दाहिने हाथ में जल, सुपारी, सिक्का, फूल एवं चावल लेकर जिस निमित्त पूजन कर रहे है उसका मन में उच्चारण करके थाली या गणेशजी के सामने छोड़ दें।
🌹अब हाथ में चावल लेकर गणेश अम्बिका का ध्यान करें।
👉🏻ॐ भूर्भुव:स्व: सिध्दिबुध्दिसहिताय गणपतये नम:
गणपतिमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि च
👉🏻ॐ भूर्भुव: स्व: गौर्ये नम:
गौरीमावाहयामि, स्थापयामि, पूजयामि च
🌹आसन के लिए चावल चढ़ाएं-
👉🏻ॐ गणेश-अम्बिके नम: आसनार्थे अक्षतान समर्पयामि
🌹फिर स्नान के लिए जल चढ़ाएं-
👉🏻ॐ गणेशाम्बिकाभ्यां नम: स्नानार्थ जलं समर्पयामि!
🌹फिर दूध चढ़ाएं-
👉🏻ॐ भूर्भुव: स्व: गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, पय: स्नानं समर्पयामि
🌹फिर दही चढ़ाएं-
👉🏻ॐ भूर्भुव: स्व: गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, दधिस्नानं समर्पयामि!
🌹फिर घी चढ़ाएं-
👉🏻ॐ भूर्भुव: स्व: गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, घृतस्नानं समर्पयामि
🌹फिर शहद चढ़ाएं-
👉🏻ॐ भूर्भुव: स्व: गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, मधुस्नानं समर्पयामि।
🌹फिर शक्कर चढ़ाएं-
👉🏻ॐ भूर्भुव: स्व: गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, शर्करास्नानं समर्पयामि।
🌹फिर पंचामृत चढ़ाएं-
(दूध, दही, शहद, शक्कर एवं घी को मिलाकर)
👉🏻ॐ भूर्भुव: स्व: गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, पंचामृतस्नानं समर्पयामि
🌹फिर चंदन घोलकर चढ़ाएं-
👉🏻ॐ भूर्भुव: स्व: गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, गंधोदकस्नानं समर्पयामि
🌹फिर शुद्ध जल डालकर शुद्ध करें-
ॐ भूर्भुव: स्व: गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, शुध्दोदकस्नानं समर्पयामि
🌹फिर उनको आसन पर विराजमान करें-
🌹फिर वस्त्र चढ़ाएं-
👉🏻ॐ भूर्भुव: स्व: गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, वस्त्रं समर्पयामि
🌹फिर आचमनी जल छोड़ दें-
🌹उसके बाद उपवस्त्र (मौली) चढ़ाएं-
👉🏻ॐ भूर्भुव: स्व: गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, उपवस्त्रं समर्पयामि
🌹फिर आचमनी जल छोड़ दे-
🌹फिर गणेशजी को यज्ञोपवित (जनेऊ) चढ़ाएं-
👉🏻ॐ भूर्भुव: स्व: गणेशाभ्यां नम: यज्ञोपवितं समर्पयामि
🌹फिर आचमनी जल छोड़ दें-
🌹फिर चन्दन लगाएं-
👉🏻ॐ भूर्भुव: स्व: गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, चंदनानुलेपनं समर्पयामि
🌹फिर चावल चढ़ाएं-
👉🏻ॐ भूर्भुव: स्व: गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, अक्षतान समर्पयामि
🌹फिर फूल-फूलमाला चढ़ाएं-
👉🏻ॐ भूर्भुव: स्व: गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, पुष्पमालां समर्पयामि
🌹फिर दूर्वा चढ़ाएं-
ॐ भूर्भुव: स्व: गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, दुर्वाकरान समर्पयामि।
🌹फिर सिन्दूर चढ़ाएं-
👉🏻ॐ भूर्भुव: स्व: गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, सिन्दूरं समर्पयामि
🌹फिर अबीर, गुलाल, हल्दी आदि चढ़ाएं
👉🏻ॐ भूर्भुव: स्व: गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, नानापरिमलद्रव्याणि समर्पयामि
🌹फिर सुगंधित (इत्र) चढ़ाएं-
👉🏻ॐ भूर्भुव: स्व: गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, सुंगधिद्रव्यं समर्पयामि
🌹फिर धूप-दीप दिखाएं-
👉🏻ॐ भूर्भुव: स्व: गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, धूप-दीपं दर्शयामि
🌹फिर ऋषि केशाय नम: बोलकर हाथ धोकर नैवेद्य लगाए-
ॐ प्राणाय स्वाहा ।
ॐ अपानाय स्वाहा ।
ॐ व्यानाय स्वाहा ।
ॐ उदानाय स्वाहा ।
ॐ समानाय स्वाहा ।
👉🏻ॐ भूर्भुव: स्व: गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, नैवेद्यं निवेदयामि
🌹फिर ऋतुफल चढ़ाएं-
👉🏻ॐ भूर्भुव: स्व: गणेशाम्बिकाभ्यां नम:, ऋतुफलानि समर्पयामि
🌹फिर लौंग-इलायची, सुपारी अर्पित करें-
🌹फिर दक्षिणा चढ़ाकर भगवान गणेशजी की आरती करें तथा कपूर दिखाए-
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा .
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी .
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया .
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा .
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी .
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
🌹अब आरती के बाद तीन परिक्रमा करें ।
🌹पूजा के दौरान भूल-चुके हेतु छमा प्रार्थना करे🙏🏻
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन।
यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे॥
🌹भावार्थ- इस मंत्र का अर्थ यह है कि हे प्रभु…!! न मैं आपको बुलाना जानता हूं और न विदा करना। पूजा करना भी नहीं जानता। कृपा करके मुझे क्षमा करें। मुझे न मंत्र याद है और न ही क्रिया। मैं भक्ति करना भी नहीं जानता। यथा संभव पूजा कर रहा हूं, कृपया भूल क्षमा कर इस पूजा को पूर्णता प्रदान करें।
ॐ तं नमामि हरिम परम, तं नमामि हरिम परम, तं नमामि हरिम परम