हिन्दू धरम शास्त्रों के अनुसार किसी भी शुभ काम के करने से पहले गणेश पूजन आवशयक हैं । इससे प्रसन्न होकर गणेश जी सारे काम निर्विध्न कर देते हैं. गणेश पूजन की सरल विधि जो आप आसानी से घर पर खुद ही कर सके हैं।
सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ़ कपडे पहनकर ही गणेश पूजन करना चाहिए ।
गणपति पूजा का सकंल्प
गणपति पूजन शुरू करने से पहले सकंल्प लें। संकल्प करने से पहले हाथों में जल, फूल व चावल लें। सकंल्प में जिस दिन पूजन कर रहे हैं उस वर्ष, उस वार, तिथि उस जगह और अपने नाम को लेकर अपनी इच्छा बोलें। अब हाथों में लिए गए जल को जमीन पर छोड़ दें।
गणेश पूजन विधि
अपने बाएँ हाथ की हथेली में जल लें एवं दाहिने हाथ की अनामिका उँगली व आसपास की उँगलियों से निम्न मंत्र बोलते हुए स्वयं के ऊपर एवं पूजन सामग्रियों पर जल छिड़कें-
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्था गतोsपि वा l
या स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्रामायंतर: शुचि: ll
सर्वप्रथम चौकी पर लाल कपडा बिछा कर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करे ।
श्रद्धा भक्ति के साथ घी का दीपक लगाएं। दीपक रोली/कुंकु, अक्षत, पुष्प , से पूजन करें।
अगरबत्ती/धूपबत्ती जलाये ।
जल भरा हुआ कलश स्थापित करे और कलश का धूप ,दीप, रोली/कुंकु, अक्षत, पुष्प , से पूजन करें।
अब गणेश जी का ध्यान और हाथ मैं अक्षत पुष्प लेकर निम्लिखित मंत्र बोलते हुए गणेश जी का आवाहन करे ।
ॐ सुमुखश्चैकदन्तश्च कपिलो गजकर्णकः.
लम्बोदरश्च विकटो विघ्ननाशो विनायकः॥
धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजाननः.
द्वादशैतानि नामानि यः पठेच्छृणुयादपि॥
विद्यारम्भे विवाहे च प्रवेशे निर्गमे तथा.
संग्रामे संकटे चैव विघ्नस्तस्य न जायते॥
अक्षत और पुष्प गणेश जी को समर्पित कर दे ।
अब गणेशजी को जल, कच्चे दूध और पंचामृत से स्नान कराये (मिटटी की मूर्ति हो तो सुपारी को स्नान कराये ) ।
गणेशजी को नवीन वस्त्र और आभूषण अर्पित करे ।
रोली/कुंकु, अक्षत, सिंदूर, इत्र ,दूर्वां , पुष्प और माला अर्पित करे ।
धुप और दीप दिखाए ।
गणेश जी को मोदक सर्वाधिक प्रिय हैं। अतः मोदक, मिठाइयाँ, गुड़ एवं ऋतुफल जैसे- केला, चीकू आदि का नैवेद्य अर्पित करे ।
श्री गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करे ।
अंत मैं गणेश जी की आरती करे ।
आरती के बाद १ परिक्रमा करे और पुष्पांजलि दे ।
गणपति पूजा के बाद अज्ञानतावश पूजा में कुछ कमी रह जाने या गलतियों के लिए भगवान् गणेश के सामने हाथ जोड़कर निम्नलिखित मंत्र का जप करते हुए क्षमा याचना करे ।
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरं l यत पूजितं मया देव, परिपूर्ण तदस्त्वैमेव l
आवाहनं न जानामि, न जानामि विसर्जनं l पूजा चैव न जानामि, क्षमस्व परमेश्वरं l