How to Draw Swastika?

स्वास्तिक बनाने का सही तरीका – Right Way to Draw Swastika

Swastika with 2 2 khadi rekha

क्या आप जानते हैं , स्वास्तिक एवं उसके साथ बनने वाली २-२ खड़ी रेखाओं का अर्थ और उन्हें बनाने का सही तरीका

किसी भी पूजा, शुभ कार्य में उस स्थान पे मंगलस्वरूप रोली से स्वास्तिक चिह्न बनाकर उसके अगल-बगल दो-दो खड़ी रेखाएँ बनते हैं कभी आपने सोचा है कि वो क्या है ?

स्वास्तिक के चिन्ह को मंगल प्रतीक माना जाता है। मान्यता है स्वास्तिक चिह्न – बनाने से कार्य सफल होता है। स्वास्तिक शब्द को ‘सु’ और ‘अस्ति’ से मिलकर बना है। ‘सु’ का अर्थ है ‘शुभ’ और ‘अस्ति’ का अर्थ है ‘होना’। अर्थात स्वास्तिक का मौलिक अर्थ है ‘शुभ हो’, ‘कल्याण हो’।

शास्त्रों के अनुसार यह पवित्र स्वास्तिक चिह्न भगवान श्रीगणपति का स्वरूप है और दो-दो रेखाएँ उनकी पत्नी रिद्धि-सिद्धि एवं पुत्र ‘लाभ’ और ‘क्षेम’ हैं । इस तरह से मंगलस्वरूप स्वस्तिक का चिह्न बना कर हम पूरे गणपति परिवार का आह्वान, उनकी आराधना कर लेते है।

How to Make Swastika

शास्त्रो में मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य में गणपति जी और उनके परिवार का स्मरण करने से कार्यों में निश्चय ही शुभ सफलता प्राप्त होती है ।

बहुत से लोग इन रेखाओं को ऊपर से नीचे की ओर बना देते हैं, जो की गलत है स्वास्तिक चिन्ह में जो चार बिंदु होते है वह समर्पण, प्रेम, विश्वास और श्रद्धा का प्रतीक होते हैं स्वास्तिक चिन्ह बनाते समय हमेशा ध्यान रखें की ‘अनामिका’ उंगली का ही प्रयोग करें

और इसे हल्दी, कुमकुम, रोली या गाय के गोबर से ही बनायें। इसे बनाने में सबसे महत्वपूर्ण और ध्यान देने योग्य बात की बहुत से लोग स्वास्तिक बनाते समय सबसे पहले ‘प्लस (+)’ का चिन्ह बना देते हैं और फिर उसके बाद उसके चारो भुजा को मोड़ देते है या फिर स्वस्तिक बनाते समय

इसकी भुजाओं को एक दूसरे से क्रॉस (काटते ) करते हुए बनाते हैं जो की बिलकुल ग़लत तरीक़ा होता है स्वास्तिक की भुजाएँ कभी भी एक दूसरे को विभाजित नहीं करनी चाहिए, यह तरीका स्वास्तिक को खंडित करता है सनातन धर्म में पूजा-पाठ में किसी भी मूर्ति या चिन्ह का खंडित होना अशुभ माना जाता है

स्वास्तिक चिन्ह बनाने का सही तरीका क्या है ?

जैसा कि चित्र में दिखाया गया है सबसे पहले अनामिका उंगली से हम बाएं तरफ की भुजा बनाते हैं और फिर दाएं तरफ की भुजा। इस प्रकार से बना स्वास्तिक चिन्ह ही सही माना जाता है

स्वास्तिक की चारों रेखाएं घड़ी की दिशा (clock wise) में चलती हुई बनायी जाती हैं, जो कि संसार और हमारे कार्यों के सही दिशा में जाने का प्रतीक होते हैं मान्यता है घर के बाहर मुख्य द्वार पर या पूजा घर में स्वास्तिक बना उस पर अक्षत रखकर दीपक जलाने से मनोकामनाएँ शीघ्र पूर्ण होती है

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