कालभैरव अष्टकम एक प्रसिद्ध संस्कृत श्लोकसंग्रह है जिसे आदि शंकराचार्य ने लिखा है। यह अष्टकम, भगवान कालभैरव को समर्पित है, जो भगवान शिव के एक अवतार हैं। इस पाठ का उद्देश्य देवी-भगवान की कृपा प्राप्ति, शत्रु नाश, भय और संकटों के निवारण, समृद्धि और शांति के प्राप्ति आदि के लिए यजमान को आशीर्वाद प्रदान करना है।
कालभैरव भगवान को विद्या, बुद्धि, शक्ति, वीरता, धैर्य, भक्ति और संरक्षण के देवता के रूप में पूजा जाता है। इन गुणों की प्राप्ति के लिए श्रद्धा और विश्वास के साथ इस अष्टकम का जाप करना फलदायी माना जाता है।
Kalabhairava Ashtakam Lyrics Hindi and Sanskrit | काल भैरव अष्टक स्तोत्र हिंदी/संस्कृत
देवराज-सेव्यमान-पावनाङ्घ्रि-पङ्कजं
व्यालयज्ञ-सूत्रमिन्दु-शेखरं कृपाकरम् ।
नारदादि-योगिबृन्द-वन्दितं दिगम्बरं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 1 ॥
भानुकोटि-भास्वरं भवब्धितारकं परं
नीलकण्ठ-मीप्सितार्ध-दायकं त्रिलोचनम् ।
कालकाल-मम्बुजाक्ष-मक्षशूल-मक्षरं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 2 ॥
शूलटङ्क-पाशदण्ड-पाणिमादि-कारणं
श्यामकाय-मादिदेव-मक्षरं निरामयम् ।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्र ताण्डव प्रियं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 3 ॥
भुक्ति-मुक्ति-दायकं प्रशस्तचारु-विग्रहं
भक्तवत्सलं स्थिरं समस्तलोक-विग्रहम् ।
निक्वणन्-मनोज्ञ-हेम-किङ्किणी-लसत्कटिं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 4 ॥
धर्मसेतु-पालकं त्वधर्ममार्ग नाशकं
कर्मपाश-मोचकं सुशर्म-दायकं विभुम् ।
स्वर्णवर्ण-केशपाश-शोभिताङ्ग-निर्मलं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 5 ॥
रत्न-पादुका-प्रभाभिराम-पादयुग्मकं
नित्य-मद्वितीय-मिष्ट-दैवतं निरञ्जनम् ।
मृत्युदर्प-नाशनं करालदंष्ट्र-भूषणं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 6 ॥
अट्टहास-भिन्न-पद्मजाण्डकोश-सन्ततिं
दृष्टिपात-नष्टपाप-जालमुग्र-शासनम् ।
अष्टसिद्धि-दायकं कपालमालिका-धरं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 7 ॥
भूतसङ्घ-नायकं विशालकीर्ति-दायकं
काशिवासि-लोक-पुण्यपाप-शोधकं विभुम् ।
नीतिमार्ग-कोविदं पुरातनं जगत्पतिं
काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे ॥ 8 ॥
कालभैरवाष्टकं पठन्ति ये मनोहरं
ज्ञानमुक्ति-साधकं विचित्र-पुण्य-वर्धनम् ।
शोकमोह-लोभदैन्य-कोपताप-नाशनं
ते प्रयान्ति कालभैरवाङ्घ्रि-सन्निधिं ध्रुवम् ॥
इति श्रीमच्चङ्कराचार्य विरचितं कालभैरवाष्टकं सम्पूर्णम् ।
Kalabhairava Ashtakam Lyrics in English
KALABHAIRAVA ASHTAKAM
dēvarāja-sēvyamāna-pāvanāṅghri-paṅkajaṃ
vyāḻayajña-sūtramindu-śēkharaṃ kṛpākaram ।
nāradādi-yōgibṛnda-vanditaṃ digambaraṃ
kāśikāpurādhinātha kālabhairavaṃ bhajē ॥ 1 ॥
bhānukōṭi-bhāsvaraṃ bhavabdhitārakaṃ paraṃ
nīlakaṇṭha-mīpsitārdha-dāyakaṃ trilōchanam ।
kālakāla-mambujākṣa-makṣaśūla-makṣaraṃ
kāśikāpurādhinātha kālabhairavaṃ bhajē ॥ 2 ॥
śūlaṭaṅka-pāśadaṇḍa-pāṇimādi-kāraṇaṃ
śyāmakāya-mādidēva-makṣaraṃ nirāmayam ।
bhīmavikramaṃ prabhuṃ vichitra tāṇḍava priyaṃ
kāśikāpurādhinātha kālabhairavaṃ bhajē ॥ 3 ॥
bhukti-mukti-dāyakaṃ praśastachāru-vigrahaṃ
bhaktavatsalaṃ sthiraṃ samastalōka-vigraham ।
nikvaṇan-manōjña-hēma-kiṅkiṇī-lasatkaṭiṃ
kāśikāpurādhinātha kālabhairavaṃ bhajē ॥ 4 ॥
dharmasētu-pālakaṃ tvadharmamārga nāśakaṃ
karmapāśa-mōchakaṃ suśarma-dāyakaṃ vibhum ।
svarṇavarṇa-kēśapāśa-śōbhitāṅga-nirmalaṃ
kāśikāpurādhinātha kālabhairavaṃ bhajē ॥ 5 ॥
ratna-pādukā-prabhābhirāma-pādayugmakaṃ
nitya-madvitīya-miṣṭa-daivataṃ nirañjanam ।
mṛtyudarpa-nāśanaṃ karāḻadaṃṣṭra-bhūṣaṇaṃ
kāśikāpurādhinātha kālabhairavaṃ bhajē ॥ 6 ॥
aṭṭahāsa-bhinna-padmajāṇḍakōśa-santatiṃ
dṛṣṭipāta-naṣṭapāpa-jālamugra-śāsanam ।
aṣṭasiddhi-dāyakaṃ kapālamālikā-dharaṃ
kāśikāpurādhinātha kālabhairavaṃ bhajē ॥ 7 ॥
bhūtasaṅgha-nāyakaṃ viśālakīrti-dāyakaṃ
kāśivāsi-lōka-puṇyapāpa-śōdhakaṃ vibhum ।
nītimārga-kōvidaṃ purātanaṃ jagatpatiṃ
kāśikāpurādhinātha kālabhairavaṃ bhajē ॥ 8 ॥
kālabhairavāṣṭakaṃ paṭhanti yē manōharaṃ
jñānamukti-sādhakaṃ vichitra-puṇya-vardhanam ।
śōkamōha-lōbhadainya-kōpatāpa-nāśanaṃ
tē prayānti kālabhairavāṅghri-sannidhiṃ dhruvam ॥
iti śrīmachchaṅkarāchārya virachitaṃ kālabhairavāṣṭakaṃ sampūrṇam ।
कालभैरवाष्टक स्तोत्र के फायदे | Kalbhairavashtak Stotra Benefits
इस अष्टकम के जप से श्रद्धा और भक्ति में स्थिरता प्राप्त होती है और व्यक्ति के मन में शांति रहती है। कालभैरव अष्टकम के जप से भय, दुश्मन, रोग और दुर्भाग्य से मुक्ति मिलती है। यह अष्टकम व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा और साहस प्रदान करता है और सामर्थ्य को बढ़ाकर सफलता के मार्ग में मदद करता है।
इस पाठ का नियमित रूप से करने से शिवज्ञान प्राप्ति, अनंत सुख की प्राप्ति, संतान सुख की प्राप्ति, धन और समृद्धि की प्राप्ति और व्यक्ति के द्वारा किए गए कर्मों के पुण्य का फल प्राप्त होता है।
कालभैरव अष्टकम का पाठ करने से व्यक्ति का मन शुद्ध होता है और उसे अध्यात्मिक उन्नति होती है। यह अष्टकम जीवन में सत्य, धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है और व्यक्ति को अहंकार और अज्ञान से मुक्ति दिलाता है।
अतः, कालभैरव अष्टकम का नियमित जप करने से मनुष्य को शिवज्ञान, धर्म का पालन, सफलता, धन, शक्ति और सुख की प्राप्ति होती है। इस पाठ को करने से व्यक्ति को भगवान कालभैरव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वह अपने जीवन को उज्ज्वल बना सकता है।