नाग पंचमी (Nag Panchami) हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस उपलक्ष में, सांपों की पूजा और उनके सामंतीक संबंधों की महत्वपूर्णता को जानना महत्वपूर्ण है।
इस दिन नागराज की पूजा की जाती है। उन्हें दूध, दूर्वा, सिंदूर, और मिश्री के साथ पूजा जाता है। यह महत्वपूर्ण दिन हिन्दू संस्कृति में गहरे महत्व को धारण करता है क्योंकि यह सर्पों को समर्पण और सम्मान की ओर ले जाता है, जो भय और इज्जत का प्रतीक होता है।
Nag Panchami 2023 Date & Significance | नाग पंचमी की तिथि और महत्व?
नाग पंचमी, एक प्रमुख हिन्दू त्यौहार, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है (जुलाई-अगस्त). इस साल, यह 21 अगस्त 2023 को पड़ रहा है। सावन मास में दो नाग पंचमी (Nag Panchami) आती है। एक शुक्ल पक्ष और एक कृष्ण पक्ष को पढ़ता है। 7 जुलाई को नाग पंचमी थी, वो राजस्थान, झारखण्ड और बिहार जैसे कुछ राज्यों में मनाई गई।
तिथि और मुहूर्त :
7 जुलाई को कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि सुबह 03:33 पर आरम्भ होगी 12:18 मिनट पर समाप्त होगी।
21 अगस्त को शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 20 अगस्त को रात 12:23 पर पंचमी तिथि लगेगी। 21 अगस्त रात में 02:01 मिनट पर समाप्त होगी।
नाग पंचमी का महत्व:
नाग पंचमी का महत्वपूर्ण संकेत संप्रति और परंपरागत अर्थ में है। हिन्दू परंपरा में, सांपों को भगवान शिव के अग्रता भाग के रूप में माना जाता है, और उन्हें नागराज के रूप में भी पूजा जाता है।
नाग पंचमी (Nag Panchami) के दिन भगवान शिव और सांपों की पूजा की जाती है और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना की जाती है।
नाग पंचमी का उद्देश्य संप्रति और परंपरा को समझाने का है। नागराज की पूजा से संप्रति की सुरक्षा की आशा रखी जाती है और यह परंपराओं के महत्व को दर्शाता है।
इस त्योहार के माध्यम से सांपों के महत्व को सामाजिक और धार्मिक दृष्टिकोण से प्रतिष्ठित किया जाता है।
किसानों के लिए नाग पंचमी का महत्वपूर्ण रूप है, क्योंकि उनकी फसलों की सुरक्षा के लिए सांपों की कृपा की प्रार्थना की जाती है।
नाग पंचमी की परंपरा:
नाग पंचमी (Nag Panchami) की परंपरा में लोग सांपों की पूजा करके उनकी कृपा को प्राप्त करते हैं। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में यह त्योहार महत्वपूर्ण होता है, जहां सांपों के विशेष रूप से बल की मान्यता होती है।
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हम नाग पंचमी क्यों मनाते हैं? | Why do we Celebrate Nag Panchami?
पौराणिक महत्व:
यह त्योहार प्राचीन हिन्दू शास्त्रों में निहित है। भगवान कृष्ण की कहानी जो यमुना नदी में सर्प कालिया को दबाते हैं, वह नाग पंचमी (Nag Panchami) के साथ जुड़ी सबसे प्रसिद्ध कथाओं में से एक है। यह अच्छा और बुरे के बीच की जीत की याद में मनाया जाता है।
कृषि संबंध:
नाग पंचमी का कृषि संबंध भी होता है। मानसून के मौसम में, भारी बारिशों के कारण सर्प अक्सर अपनी बिलों से बाहर आते हैं। किसान सर्पों को फसलों के प्रतिरक्षक मानते हैं, इसलिए उनकी आभारी भावना को इस त्योहार के माध्यम से दिखाते हैं।
आध्यात्मिक विश्वास: सर्पों के दिव्य शक्तियों का विश्वास होता है और उन्हें धन और प्रजनन के संरक्षक माना जाता है। उन्हें नाग पंचमी पर पूजन करने से संप्रेरणा और समृद्धि प्राप्ति होती है।
उत्सव और रस्में:
- सर्प पूजा:
भक्त नाग देवताओं की पूजा करते हैं, उनकी कृपा और संरक्षण की प्रार्थना करते हैं। वे गाय के गोबर या मिट्टी का उपयोग करके साँप की छवि बनाते हैं और उन्हें फूलों, हल्दी और कुमकुम से सजाते हैं। - उपवास और पूजा:
कई लोग इस दिन आंशिक उपवास करते हैं। वे सर्प देवताओं के समर्पित मंदिरों की यात्रा करते हैं, जैसे कि गुजरात में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर। खास पूजा रस्में दूध, मिठाई और दूर्वा घास की भेंट के साथ की जाती है। - दूध अभिषेक:
साँप की मूर्तियों पर दूध छिड़कना एक सामान्य प्रथा है, जिससे पोषण और सम्मान का संकेत होता है। - सजावट:
घरों को जटिल रंगोली पैटर्नों से सजाया जाता है जिनमें साँपों की छवियों को बनाने का प्रयास किया जाता है, और महिलाएं अक्षत के आटे से भूमि पर साँप की डिज़ाइन बनाती हैं। - प्रतीकात्मक इशारे:
लोग इस दिन भूमि की खुदाई, खेती, या साँप के बिलों को परेशान नहीं करते हैं ताकि सर्पों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
नाग पंचमी व्रत पूजा विधि | Nag Panchami Puja Vidhi
नाग पंचमी (Nag Panchami) के दिन एक विशेष आयोजन में भाग लें ताकि आप इस महत्वपूर्ण दिन को ध्यान और श्रद्धा के साथ मना सकें।
- व्रत रखें:
नाग पंचमी के दिन व्रत रखें। व्रत रखने से आपको कालसर्प दोष से मुक्ति मिल सकती है। - नाग देवताओं की पूजा:
प्रातःकाल में नाग देवताओं की पूजा करें। इन्हें दूध, अक्षत, फूल आदि से प्रसन्न करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें। - नाग पंचमी मंत्र जप:
नागपंचमी के मंत्रों का जप करें। इससे आपके जीवन में शुभ अशुभ प्रभाव में सुधार हो सकता है।
“ॐ भुजंगेशाय विद्महे, सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नाग: प्रचोदयात्।।” - राहु और केतु की पूजा:
यदि आपकी कुंडली में राहु और केतु की दशा चल रही है, तो उन्हें भी नाग देवता की पूजा करें। इससे आपको राहु-केतु के दोष से मुक्ति मिल सकती है। - शिवलिंग पूजा:
शिवलिंग पर पीतल के लोटे से पानी चढ़ाएं। इससे आपका आध्यात्मिक और शारीरिक संवाद मजबूत हो सकता है।
नागपंचमी के दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं?
नाग पंचमी के दिन कुछ विशेष नियम और सावधानियां होती हैं, जिनका पालन करके हम इस शुभ दिन की महत्वपूर्णता को समझ सकते हैं और उसका सम्मान कर सकते हैं:
- पेड़-पौधों की कटाई से बचें: नाग पंचमी के दिन पेड़-पौधों की कटाई नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इस दिन साँपों के प्रति आदर और समर्पण का संकेत होता है।
- जमीन की खुदाई से बचें: खासकर जहां पर नाग का बिल हो, उस जगह की खुदाई नहीं करनी चाहिए, क्योंकि यह सांपों के आवास को परेशानी पहुंचा सकती है।
- सांपों को परेशान न करें: नाग पंचमी के दिन सांप को परेशान नहीं करना चाहिए और उन्हें मारना भी नहीं चाहिए, क्योंकि यह उनके प्रति अनादर का संकेत हो सकता है।
- सुई धागा का इस्तेमाल न करें: इस दिन सुई धागा का उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे नागों के प्रति अनादर का संकेत हो सकता है।
- नुकीली चीजों का इस्तेमाल न करें: नाग पंचमी के दिन नुकीली चीजों जैसे कैंची, चाकू आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह अशुभ माना जाता है।
- भगवान शिव की साथ नाग देवता की पूजा: नाग पंचमी के दिन व्रत रखते समय भगवान शिव के साथ नाग देवता की पूजा करना शुभ होता है।
- नाग देवता को फल, फूल, दूध, मिठाई आदि चढ़ाना: विधिवत पूजा करने के साथ नाग देवता को फल, फूल, दूध, मिठाई आदि अर्पित करना शुभ माना जाता है।
- कालसर्प दोष या राहु-केतु दोष वाले जातक के लिए मंत्र जाप: जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष या राहु-केतु संबंधी दोष हो, उनके लिए नाग पंचमी के दिन इनके मंत्रों का जाप करना शुभ होता है।
- तांबे के लोटे में जल या दूध अर्पित करना: नाग पंचमी के दिन तांबे के लोटे में जल या दूध लेकर नाग देवता को अर्पित करना भी शुभ होता है।
- नागपंचमी के दिन कुछ विशेष आचरण और परंपराएं होती हैं, जिनका पालन किया जाता है। इस दिन चावल नहीं खाने की सिफारिश की जाती है, साथ ही लोहे के तवा या कढ़ाई का इस्तेमाल नहीं करने का सुझाव दिया जाता है।
- कुछ स्थानों पर चूल्हा नहीं जलाया जाता और बासी भोजन किया जाता है। इस दिन खेती नहीं की जाती ताकि नाग देवता के बिलों को कोई नुकसान नहीं पहुंचे।
- यह दिन विशेष भक्ति और पूजा के साथ मनाया जाता है ताकि नाग देवता की कृपा बरसे और सभी को सुरक्षा और कल्याण मिले। यदि हम सांपों के प्रति सहानुभूति और समर्पण दिखाएं, तो हम सभी को एक मेल और शांतिपूर्ण जीवन मिल सकता है।
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नाग पंचमी व्रत की कहानी/कथा | Nag Panchami Story in Hindi
एक नगर में एक सेठ जी रहते थे जिनके सात बेटे और सात बहुएँ थीं। छः बहुओं के पीहर थे, लेकिन सातवीं बहू का पीहर नहीं था। गर्भवती होने पर उसे घेवर खाने की इच्छा हुई, लेकिन उसके पास पीहर नहीं था। वह पानी भरने गई तो उसने एक घेवर पेड़ के नीचे रख दिया और पानी भरकर वापस आ गई। लेकिन वापस आने पर घेवर नहीं मिला।
पेड़ के पास एक बांबी थी, जिसमें एक गर्भवती नागिन रहती थी। नागिन ने घेवर देखकर खाने की इच्छा की और उसे खा लिया। उसने उसे दोस्ती दिखाने के लिए बेटों को इंसान के रूप में बदल दिया और साहूकार के बेटे की बहू के पास भेजा। बहू ने उसे देखकर उसे बाबा नाग की बेटी मान लिया और उसे घर में आने दिया। उसके बच्चे इंसान के रूप में पैदा हुए और उन्होंने बहन की मदद की। पड़ोसन के बेटे ने बहू से ताना मारा, लेकिन बहू ने उसे सिखाया कि उसे उसके बच्चे का दूध गर्म करना चाहिए। बच्चे ने दूध में मुंह डाला, तो उसके मुंह में जल गया और बाबा नाग उसे धमकाने लगे।
बहू ने बाबा नाग से कहा कि उसे उसके बच्चे हैं और उन्होंने उन्हें उनकी देखभाल की है, इसलिए वह उन्हें डसने की कोशिश नहीं कर सकते। बाबा नाग ने उन्हें माफ कर दिया और उनकी बच्चों की देखभाल की। अब बहू के पति ने उसे अपने जंवाई के साथ बुलाया और उसे गहने दिए ताकि उसे उसकी सहमति मिल सके। बहू ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उनके घर भेज दिया।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि बड़े और छोटे सभी को समान दृष्टिकोण से देखना चाहिए और अपने धार्मिक मूल्यों और मानवता के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। सच्चे दोस्ती और सहयोग के माध्यम से ही हम सारे आपसी विवादों को हल कर सकते हैं और समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
निष्कर्ष:
नाग पंचमी, उसकी पौराणिक कथाओं, संस्कृति और आध्यात्मिक विश्वास के मिश्रण के साथ, उपासकों को अक्सर समझे जाने वाले प्राणियों के प्रति समर्पण करने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है। यह उत्सव हमें प्राकृतिक सृजनों के साथ एक संवाद साधने के लिए संवाद बनाने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है और वनस्पति और प्राणियों के बीच वातावरण संतुलन को बनाए रखने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकारने की याद दिलाता है।