पद्मिनी एकादशी क्या है?(Padmini Ekadashi kya Hai)
पद्मिनी एकादशी, भारतीय हिंदू पंचांग में महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है जिसे विष्णु भक्तों द्वारा विशेष महत्व दिया जाता है। यह व्रत दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें ‘पद्म’ अर्थात् ‘कमल’ और ‘इकादशी’ अर्थात् ‘ग्यारहवाँ तिथि’ होती है। यह व्रत वैष्णव धर्म के अनुयायियों द्वारा विशेष भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
पद्मिनी एकादशी 2023 की तारीख और तिथि:(Padmini Ekadashi 2023 Date & Tithi)
- पद्मिनी एकादशी 2023 की तारीख 28 जुलाई है। दोपहर 2:52 से आरम्भ होगी और 29 जुलाई को रात में 01:06 तक रहेगी।
- ऐसे में पद्मिनी एकदशी का व्रत 29 जुलाई को रखा जायेगा।
- और साथ ही 30 जुलाई को सुबह सूर्योदय से पहले (05.41am – 08.24am) व्रत का पारण किया जायेगा।
- पद्मिनी एकादशी 2023 की तिथि है। :-यह एकादशी शुक्ल पक्ष में श्रावण मास की ग्यारहवीं तिथि के रूप में मनाई जाती है। यह व्रत द्वारा भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्तों को आनंद, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पद्मिनी एकादशी व्रत का महत्व:(Padmini Ekadashi Vrat Importance)
पद्मिनी एकादशी व्रत धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है और भगवान विष्णु को समर्पित है। यह एकादशी व्रत भगवान की कृपा को प्राप्त करने के लिए संतान सुख, संपत्ति, और मोक्ष की प्राप्ति का माध्यम माना जाता है।
पद्मिनी एकादशी का महत्व विष्णु पुराण में वर्णित है, जिसमें इस तिथि को मनाने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है और भक्तों के पापों का नाश होता है।
यह एक विशेष मौका है जिसमें भक्त विष्णु जी की भक्ति, प्रेम, और समर्पण के साथ इसका उत्सव करते हैं। इस व्रत के पावन पर्व को वृत्ति, धन, और सुख का संचय करने के लिए एक अच्छा अवसर माना जाता है।
कहा जाता है की इस व्रत को रखने से यज्ञ तप और दान का फल प्राप्त होता है।
पद्मिनी एकादशी की पूजा विधि(Padmini Ekadashi Pooja Vidhi)
- पद्मिनी एकादशी को ध्यान में रखते हुए, इस दिन विशेष पूजा विधि अपनाई जाती है। व्रती व्यक्ति पूजा के लिए समाधान से तैयार होकर अपनी इच्छानुसार भगवान को अर्पित करते हैं।
- पीले संग का वस्त्र धारण करे।
- और इस बात का जरूर ध्यान रखे पूजा के वक्त भगवान् विशु का केसर मिश्रित जल से उनका अभिशेख जरूर करे।
- साथ ही भगवान् विष्णु स्त्रोत का पथ करे , व्रत कथा पढ़े। और विष्णुसहस्त्र नाम का पाठ भी जरूर करे।
- अंत में भगवान् विष्णु की आरती करके पूजा का समापन करे।
इस एकादशी पर कौन देवी-देवता की पूजा करें?(Padmini Ekadashi me kis Bhagwaan ko Pooje)
पद्मिनी एकादशी पर भगवान विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए। विष्णु जी को शंख, चक्र, गदा, और पद्म के साथ चित्रित किया जाता है। उन्हें फूल, चावल, दूध, गुड़, और फल आदि से भोग लगाकर उनकी पूजा की जाती है। भक्त उनके चरणों में भक्ति और श्रद्धा से व्रत विधि और अनुष्ठान करते हैं।
पद्मिनी एकादशी पर क्या करें और क्या न करें(Padmini Ekadashi:-What to Do & Don’t)
- पद्मिनी एकादशी पर भक्तों को सुबह जल्दी उठकर निराहार रहना चाहिए और नियमित व्रत विधि के साथ विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए। भगवान के नाम का जाप और भक्ति भाव से व्रत रखा जाना चाहिए।
- भक्तों को अन्याय, झूठ, और अधर्म से बचना चाहिए और दया, करुणा, और सेवा का पालन करना चाहिए।
- ध्यान रखें, अपने गुरु या पंडित की सलाह लेकर ही व्रत करें और सभी नियमों का पालन करें। इस पवित्र अवसर पर, पद्मिनी एकादशी के माध्यम से आप आनंद, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति कर सकते हैं।
पद्मिनी एकादशी 2023 की व्रत कथा (Padmini Ekadashi Vrat Katha)
पद्मिनी एकादशी की व्रत कथा:
पुराने समय की बात है, एक धर्मिक राजा राजा मंधाता नामक थे। वे धार्मिक और ध्यानी राजा थे और अपने राज्य के लोगों की भलाई के लिए हर समय तैयार रहते थे। उनके राज्य में भगवान विष्णु की भक्ति का माहौल था और लोग उनके द्वारा आयोजित धार्मिक उत्सवों का सराहना करते थे।
एक बार, राजा मंधाता के राज्य में अचानक सूखा संकट आने लगा। बारिश नहीं होने से भूमि शुष्क हो गई और लोगों को अपने जीवन का संघर्ष करना पड़ रहा था। राजा मंधाता बहुत चिंतित हो गए और उन्हें समस्या का समाधान नहीं मिल रहा था।
उन्हें अपने पुरखों ने सलाह दी कि वे पद्मिनी एकादशी का व्रत आचरण करें। इसके आचरण से उन्हें न जाने कितने संकट से मुक्ति मिली थी।
राजा मंधाता ने अपने विश्वास के साथ पद्मिनी एकादशी का व्रत आरंभ किया। उन्होंने पूजा-अर्चना के साथ भगवान विष्णु की विशेष उपासना की और उन्हें फल, फूल, दूध, गुड़, और भोजन आदि से भोग लगाकर उनकी आराधना की।
इस व्रत के अवसर पर, राजा मंधाता ने नृत्य, गान, और धर्मिक कार्यक्रम आयोजित किए। भगवान विष्णु उनकी प्रार्थना सुनकर प्रसन्न हुए और उन्हें वर्षा के लिए आशीर्वाद दिया। इससे राज्य की धरती फिर से फल-फूलों से सजी हुई दिखाई दी। राजा मंधाता और उनके राज्यवासी बहुत खुश थे और उन्होंने भगवान विष्णु की कृपा का आभार प्रकट किया।
इस प्रकार, पद्मिनी एकादशी का व्रत राजा मंधाता के राज्य को संघर्ष से मुक्ति दिलाने में सफल रहा और उन्हें भगवान विष्णु के आशीर्वाद से वर्षा की प्राप्ति हुई। इस व्रत के महत्व को देखते हुए, इसे आज भी भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना के साथ धार्मिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है।