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Raksha Bandhan 2023: एक बंधन, एक स्नेह | भाई-बहन के स्नेह का त्यौहार

रिश्तों की गहराईयों में बसे एक ऐसे त्योहार का स्वागत है, जो भाई-बहन के प्यार और आपसी संबंधों को मनाने का अवसर प्रदान करता है – “रक्षाबंधन (Raksha Bandhan)”।

रक्षाबंधन, भारतीय सांस्कृतिक परिपर्णता का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो प्रेम और समर्पण की भावना को व्यक्त करता है। यह त्योहार भाई-बहन के प्यार के बंधन को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है और उनके आपसी संबंधों की महत्वपूर्णता को उजागर करता है।

रक्षाबंधन: एक बंधन, एक स्नेह: The Joyous Festival of Raksha Bandhan

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रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) एक परम्परागत भारतीय त्योहार है जो भाई-बहन के प्यार और संबंधों की महत्वपूर्णता को मनाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं, जिससे उनका संबंध मजबूती से बंधता है। इस त्योहार का मतलब यह नहीं कि सिर्फ बायोलॉजिकल भाई-बहन ही इसे मना सकते हैं, बल्कि यह सभी उन रिश्तों को शामिल करता है जो प्यार और स्नेह से बंधे होते हैं।

रक्षाबंधन की तारीख पर मतभेद: 30 या 31 अगस्त?

इस वर्ष, भद्रा मास की वजह से रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) की तारीख पर कंफ्यूजन छायी है। जैसा कि हर साल होता है, इस बार भी रक्षाबंधन का त्यौहार पूर्णिमा के दिन मनाया जाएगा। यह दिन बहने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके साथ प्यार और स्नेह के रिश्तों को मजबूती से बंधती हैं।

अगर रक्षाबंधन का दिन भद्रा मास में पड़ता है, तो यह कहलाता है कि बहनों को उस समय अपने भाइयों की कलाई पर राखी नहीं बांधनी चाहिए। भद्रा काल में राखी बांधने का कारण यह है कि उस समय शुभ और अशुभ के मामूल तत्वों में परिवर्तन होता है।

इस आशय को ध्यान में रखते हुए, आइए देखें कि किस दिन रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का पर्व मनाया जाएगा – 30 अगस्त या 31 अगस्त। चाहे तारीख कुछ भी हो, रक्षाबंधन हमारे आपसी संबंधों को मजबूती और प्यार से बांधने का एक खास मौका होता है।

रक्षाबंधन 2023: तिथि और मुहूर्त | Raksha Bandhan 2023 Date and Tithi

इस वर्ष, रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) का त्योहार शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के रूप में 30 अगस्त गुरुवार को मनाया जाएगा। पूर्णिमा की शुरुआत सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर होगी और उसका समापन 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर होगा। इससे आपका मतलब है कि रक्षाबंधन का त्योहार 30 अगस्त को ही मनाना चाहिए। हालांकि, यह भी एक विशेष बात है कि भद्रा के कारण आपको मुहूर्त का ध्यान देना आवश्यक होगा।

कुछ क्षेत्रों में जैसे कि पंजाब, उदया तिथि की मान्यता रहती है, और वहां 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट से पहले रक्षाबंधन का पर्व मनाने का सुनहरा अवसर होता है। यह बताता है कि समय के साथ अलग-अलग संस्कृतियों में त्योहारों के मुहूर्त की भी अलग-अलग प्राथमिकताएं होती हैं।

राखी बांधने का शुभ मुहूर्त: भद्रा की विशेषता | rakhi muhurat 2023 bhadra

क्या आप भी रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त तलाश रहे है? भद्रा के मास की अवधि 30 अगस्त गुरुवार को रात्रि 9 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी। शास्त्रों में यह विधान है कि भद्रा स्थिति में भद्रा मुख का त्याग करके भद्रा पूंछ का उपयोग करने से शुभ कार्य जैसे कि रक्षाबंधन का उत्सव मनाया जा सकता है।

इस बार भद्रा पूंछ शाम के 5 बजकर 30 मिनट से 6 बजकर 31 मिनट तक रहेगी। इस समय के दौरान, आप रक्षाबंधन के उत्सव का आनंद ले सकते हैं, जबकि आपको भद्रा के दोष का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। आपको याद रखना होगा कि भद्रा मुख के दौरान राखी बांधना अत्यंत शुभ नहीं होता है।

30 अगस्त 2023 को भद्रा पूंछ का समय में 5 बजकर 30 मिनट से 6 बजकर 31 मिनट तक
30 अगस्त 2023 को भद्रा मुख का समय शाम में 6 बजकर 31 मिनट से 8 बजकर 11 मिनट तक।

आदर्श मुहूर्त में राखी बांधने का अवसर: 30 अगस्त गुरुवार

इस वर्ष, रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) के खास मौके पर राखी बांधने का सही समय चुनने में आपकी मदद के लिए विशेष तिथियाँ उपलब्ध हैं। 30 अगस्त गुरुवार को भद्रा रात्रि में 9 बजकर 1 मिनट तक अवस्थित होने के कारण, आप चौघड़िया मुहूर्त में भी राखी बांध सकते हैं।

आदर्श अमृत चौघड़िया मुहूर्त राखी बांधने के लिए सर्वोत्तम समय सुबह 7 बजकर 34 मिनट से लेकर 9 बजकर 10 मिनट तक है। इस समय के दौरान, आपके रिश्तों में मिलनसर स्नेह और आपसी विश्वास को मजबूती से प्रकट करने का सुनहरा अवसर होता है।

त्योहार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

रक्षाबंधन का इतिहास हिन्दू पौराणिक कथाओं से जुड़ा है। एक प्रमुख कथा के अनुसार, देवी लक्ष्मी ने देवराज इंद्र की महाशक्ति बनने की इच्छा की थी और उन्हें राखी बांधी थी। उनके इस प्रयास में सफलता मिली और उन्हें स्वर्गीय प्रमुख ब्रह्मा द्वारा वरदान मिला। इसके बाद से, रक्षाबंधन एक परिपर्णता और सख्ती के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

रक्षाबंधन का महत्व:
रक्षाबंधन के दिन, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, जो उनके सुरक्षा और उनके बदलते जीवन की प्रतीक होती है। भाइयों के बदलते संदर्भों में, वे हमेशा अपनी बहनों के साथ होते हैं और उनका साथ देते हैं। इसके अलावा, बहनें अपने भाइयों को खुशी-खुशी उपहार देती हैं, जिससे इस पर्व का आनंद और भी बढ़ जाता है।

रक्षाबंधन की प्रक्रिया और अनुष्ठान :

  • रक्षा बंधन समारोह में बहन अपने भाई की आरती उतारती है और उसकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती है।
  • उसके बाद, वह उसे मिठाई खिलाती है और उसकी कलाई को राखी से सजाती है।
  • भाई अपनी बहनों को उपहार या वित्तीय सहायता देकर उनके प्रति अपना स्नेह दिखा सकते हैं।
  • द्रिक पंचांग के अनुसार दोपहर का समय रक्षा बंधन मनाने के लिए सबसे उपयुक्त होता है।
  • यदि आयोजन अनुपयुक्त है, तो भद्रा के समापन पर भी समारोह आयोजित किया जा सकता है।
  • रक्षा बंधन पूर्णिमा के दिन, भाई को पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठाना चाहिए।
  • भाई को सबसे पहले अपना सिर किसी रूमाल, स्कार्फ या कपड़े से ढकना चाहिए।
  • आवश्यक वस्तुएं जैसे राखी, रोली, दीया, चावल और मिठाई एक ट्रे पर रखनी चाहिए।
  • भाई के माथे पर रोली का तिलक लगाना और उसके लिए अक्षत रखना चाहिए।
  • भाई की बाएं कलाई पर राखी बांधनी चाहिए और उसे चॉकलेट देनी चाहिए।
  • इसके साथ ही, प्रार्थना करनी चाहिए कि भाई सदैव आपकी रक्षा करेंगे और उनका साथ हमेशा आपके साथ रहेगा।

राखी 2023 का महत्व और इतिहास | significance of raksha bandhan

रक्षा बंधन का 2023 (Raksha Bandhan 2023) में भी महत्वपूर्ण रूप से मनाया जाएगा, क्योंकि यह एक पारंपरिक भारतीय त्योहार है जो भाई-बहन के प्यारे रिश्ते का प्रतीकवाद करता है। यह एक ऐसा दिन होता है जब बहन अपने भाई की सुरक्षा और उनकी खुशियों की कष्टक भावना को प्रकट करती हैं। विशेष रूप से, द्रौपदी और भगवान कृष्ण की कहानी इस उपलब्धि का महत्वपूर्ण उदाहरण है।

भगवान कृष्ण की छोटी उंगली में कट लगने पर, उनकी अत्यन्त निकटता और द्रौपदी की भाईचारी भावना का प्रतीक बनता है। द्रौपदी का यह कदम उसके सहयोग और रक्षा की भावना को दर्शाता है। उनके द्वारा कृष्ण की उंगली पर कपड़े का टुकड़ा बांधने से यह भावना प्रकट होती है कि उनका भाई उनके लिए किसी भी परिस्थिति में सुरक्षित रहेगा।

द्रौपदी और भगवान कृष्ण की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि रक्षा बंधन के पीछे एक गहरा संबंध है जो बहनों और भाइयों के प्यार में आदर्श होता है। इस त्योहार के माध्यम से हम यह भी सीखते हैं कि आपसी सहायता और समर्थन के बिना किसी भी रिश्ते का मायना नहीं होता, और यही संबंध हमारे जीवन में सुख और सामंजस्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

रिश्तों की महत्वपूर्णता:

रक्षाबंधन एक ऐसा मौका है जब हम अपने परिवार और आपसी संबंधों की महत्वपूर्णता को याद करते हैं। यह हमें यह सिखाता है कि परिवार और रिश्तों का महत्व हमारे जीवन में कितना होता है और हमें इन्हें सजीव रखने का प्रयास करना चाहिए।

समापन | Conclusion

इस रक्षाबंधन, हम सभी को अपने प्यारे भाइयों और बहनों के साथ एक खास मोमेंट का आनंद लेने का अवसर मिलेगा। यह एक मौका है अपने दिल की बातें और संवाद को व्यक्त करने का, और अपने रिश्तों को मजबूती से बांधने का। आइए, इस रक्षाबंधन पर एक-दूसरे के प्यार में खो जाएं और इस खास मोमेंट का आनंद उठाएं।

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