हनुमान बाहुक (Hanuman Bahuk) एक चमत्कारिक स्तोत्र है, जिसका श्रद्धापूर्वक पाठ करने से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस स्तोत्र में हनुमान जी की भक्ति और उनके चमत्कारों का वर्णन है।
जब गोस्वामी तुलसीदास (Goswami Tulsidas) जी के जीवन में एक समय ऐसा भी आया कि वे असहनीय कष्टों से त्रस्त थे। इन कष्टों से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने हनुमान जी की आराधना की और हनुमान बाहुक (Hanuman Bahuk) नामक 44 पद्यों का स्तोत्र रचा।
हनुमान बाहुक का पाठ कैसे करें?
- हनुमान जी की तस्वीर या मूर्ति सामने रखें।
- शुद्ध मन से हनुमान जी का ध्यान करें।
- स्तोत्र का पाठ करें।
- पाठ के बाद हनुमान जी की आरती करें।
हनुमान बाहुक का पाठ कब करें?
हनुमान जी की कृपा पाने के लिए आप किसी भी समय हनुमान बाहुक का पाठ कर सकते हैं।
अगर आप किसी विशेष समस्या से परेशान हैं, तो उस समस्या के समाधान के लिए आप हनुमान बाहुक का पाठ कर सकते हैं।
श्री हनुमान बाहुक संस्कृत और हिंदी में | Hanuman Bahuk Lyrics in Sanskrit and Hindi
॥ छप्पय ॥
सिंधु-तरन, सिय-सोच-हरन, रबि-बालबरन-तनु।
भुज बिसाल, मूरति कराल कालहुको काल जनु॥
गहन-दहन-निरदहन-लंक नि:संक, बंक-भुव।
जातुधान-बलवान-मान-मद-दवन पवनसुव॥
कह तुलसिदास सेवत सुलभ, सेवक हित संतत निकट।
गुनगनत, नमत, सुमिरत, जपत, समन सकल-संकट-बिकट ॥1॥
स्वर्न-सैल-संकास कोटि-रबि-तरुन-तेज-घन।
उर बिसाल, भुजदण्ड चंड नख बज्र बज्रतन॥
पिंग नयन, भृकुटी कराल रसना दसनानन।
कपिस केस, करकस लँगूर, खल-दल बल भानन॥
कह तुलसिदास बस जाहु उर मारुतसुत मूरति बिकट।
संताप पाप तेहि पुरुष पहिं सपनेहूँ नहिं आवत निकट ॥2॥
॥ झूलना ॥
पंचमुख-छमुख-भृगुमुख्य भट-असुर-सुर,
सर्व-सरि-समत समरत्थ सुरो।
बाँकुरो बीर बिरुदैत बिरुदावली,
बेद बंदी बदत पैजपूरो॥
जासु गुनगाथ रघुनाथ कह, जासु बल,
बिपुल-जल-भरित जग-जलधि झूरी।
दुवन-दल-दमनको कौन तुलसीस है
पवनको पूत रजपूत रूरो ॥3॥
॥ घनाक्षरी ॥
भानुसों पढ़न हनुमान गये भानु मन,
अनुमानि सिसुकेलि कियो फेरफार सो।
पाछिले पगनि गम गगन मगन-मन,
क्रमको न भ्रम, कपि बालक-बिहार सो॥
कौतुक बिलोकि लोकपाल हरि हर बिधि
लोचननि चकाचौंधी चित्तनि खभार सो
बल कैधौं बीररस, धीरज कै, साहस कै,
तुलसी सरीर धरे सबनिको सार सो ॥4॥
भारत में पारथ के रथकेतु कपिराज,
गाज्यो सुनि कुरुराज दल हलबल भो।
कह्यो द्रोन भीषम समीरसुत महाबीर,
बीर-रस-बारि-निधि जाको बल जल भो॥
बानर सुभाय बालकेलि भूमि भानु लागि,
फलँग फलाँगहँतें घाति नभतल भो।
नाइ-नाइ माथ जोरि-जोरि हाथ जोधा जोहैं,
हनुमान देखे जगजीवन को फल भो ॥5॥
गोपद पयोधि करि होलिका ज्यों लाई लंक,
निपट निसंक परपुर गलबल भो।
द्रोन-सो पहार लियो ख्याल ही उखारि कर,
कंदुक-ज्यों कपिखेल बेल कैसो फल भो॥
संकटसमाज असम्झस भो रामराज
काज जुग-पूगनिको करतल पल भो।
साहसी समत्थ तुलसीको नाह जाकी बाँह,
लोकपाल पालनको फिर थिर थल भो॥6॥
कमठकी पीठि जाके गोड़निकी गाड़ै मानो
नापके भाजन भरि जलनिधि-जल भो।
जातुधान-दावन परावनको दुर्ग भयो,
महामीनबास तिमि तोमनिको थल भो॥
कुंभकर्न-रावन-पयोदनाद-ईंधनको
तुलसी प्रताप जाको प्रबल अनल भो।
भीषम कहत मेरे अनुमान हनुमान
सारिखो त्रिकाल न त्रिलोक महाबल भो ॥7॥
दूत रामरायको, सपूत पूत पौनको, तू
अंजनीको नंदन प्रताप भूरि भानु सो।
सीय-सोच-समन, दुरित-दोष-दमन,
सरन आये अवन, लखनप्रिय प्रान सो॥
दसमुख दुसह दरिद्र दरिबेको भयो,
प्रकट तिलोक ओक तुलसी निधान सो।
ज्ञान-गुनवान बलवान सेवा सावधान,
साहेब सुजान उर आनु हनुमान सो ॥8॥
दवन-दुवन-दल भुवन-बिदित बल,
बेद जस गावत बिबुध बंदीछोर को।
पाप-ताप-तिमिर तुहिन-विघटन-पटु,
सेवक-सरोरुह सुखद भानु भोरको॥
लोक-परलोक तें बिसोक सपने न सोक,
तुलसीके हिये है भरोसो एक ओरको।
रामको दुलारो दास बामदेवको निवास,
नाम कलि-कामतरु केसरी-किसोर को ॥9॥
महाबल-सीम, महाभीम, महाबानइत,
महाबीर बिदित बरायो रघुबीरको।
कुलिस-कठोरतनु जोरपरै रोर रन,
करुना-कलित मन धारमिक धीर को॥
दुर्जनको कालसो कराल पाल सज्जन को,
सुमिरे हरनहार तुलसीकी पीरको।
सीय-सुखदायक दुलारो रघुनायकको,
सेवक सहायक है साहसी समीरको ॥10॥
रचिबेको बिधि जैसे, पालिबेको हरि, हर
मीच मारिबेको,ज्याइबेको सुधापान भो।
धरिबेको धरनि, तरनि तम दलिबेको,
सोखिबे कृसानु, पोषिबेको हिम-भानु भो॥
खल-दुख-दोषिबेको, जन-परितोषिबेको,
माँगिबो मलीनताको मोदक सुदान भो।
आरतकी आरति निवारेबेको तिहूँ पुर,
तुलसीको साहेब हठीलो हनुमान भो ॥11॥
सेवक स्योकाई जानि जानकीस मानै कानि,
सानुकूल सूलपानि नवै नाथ नाँकको।
देवी देव दानव दयावने ह्वै जोरैं हाथ,
बापुरे बराक कहा और राजा राँकको॥
जागत सोवत बैठे बागत बिनोद मोद,
ताकै जो अनर्थ सो समर्थ एक आँकको।
सब दिन रूरो परै पूरो जहाँ-तहाँ ताहि,
जाके है भरोसो हिये हनुमान हाँकको ॥12॥
सानुग सगौरि सानुकूल सूलपानि ताहि,
लोकपाल सकल लखन राम जानकी।
लोक परलोकको बिसोक सो तिलोक ताहि,
तुलसी तमाइ कहा काहू बीर आनकी॥
केसरीकिसोर बंदी छोरके नेवाजे सब,
कीरति बिमल कपि करुनानिधानकी।
बालक-ज्यौँ पालिहैं कृपालु मुनि सिद्ध ताको,
जाके हिये हुलसति हाँक हनुमानकी ॥13॥
करुना निधान, बलबुद्धिके निधान, मोद-
महिमानिधान, गुन-ज्ञानके निधान हौ।
बामदेव-रूप, भूप रामके सनेही, नाम
लेत-देत अर्थ धर्म काम निरबान हौ॥
आपने प्रभाव, सीतानाथके सुभाव सील,
लोक-बेद-बिधिके बिदुष हनुमान हौ।
मनकी, बचनकी, करमकी तिहूँ प्रकार,
तुलसी तिहारो तुम साहेब सुजान हौ ॥14॥
मनको अगम, तन सुगम किये कपीस,
काज महाराजके समाज साज साजे हैं।
देव-बंदीछोर रनरोर केसरीकिसोर,
जुग-जुग जग तेरे बिरद बिराजे हैं॥
बीर बरजोर, घटि जोर तुलसीकी ओर
सुनि सकुचाने साधु, खलगन गाजे हैं।
बिगरी सँवार अंजनीकुमार कीजे मोहिं,
जैसे होत आये हनुमान निवाजे हैं ॥15॥
॥ सवैया ॥
जानसिरोमनि हौ हनुमान सदा जनके मन बास तिहारो।
ढारो बिगारो मैं काको कहा केहि कारन खीझत हौं तो तिहारो॥
साहेब सेवक नाते ते हातो कियो सो तहाँ तुलसीको न चारो।
दोष सुनाये तें आगेहुँको होशियार ह्वै हों मन तौ हिय हारो ॥16॥
तेरे थपे उथपै न महेस, थपै थिरको कपि जे घर घाले।
तेरे निवाजे गरीबनिवाज बिराजत बैरिनके उर साले॥
संकट सोच सबै तुलसी लिये नाम फटै मकरीके-से जाले।
बूढ़ भये, बलि, मेरिहि बार, कि हारि परे बहुतै नत पाले ॥17॥
सिंधु तरे, बड़े बीर दले खल, जारे हैं लंकसे बंक मवा से।
तैं रन-केहरि केजरिके बिदले अरि-कुंजर छैल छवा से॥
तोसों समत्थ सुसाहेब सी सहै तुलसी दुख दोष दवासे।
बानर बाज बढ़े खल-खेचर, लीजत क्यों न लपेति लवा-से ॥18॥
अच्छ-बिमर्दन कानन-भानि दसानन आनन भा न निहारो।
बारिदनाद अकंपन कुंभकरन्न-से कुंझर केहरि-बारो॥
राम-प्रताप-हुतासन, कच्छ, बिपच्छ, समीर समीरदुलारो।
पापतें, सापतें, ताप तिहूँतें सदा तुलसी कहँ सो रखवारो ॥19॥
॥ घनाक्षरी ॥
जानत जहान हनुमानको निवाज्यौ जन,
मन अनुमानि, बलि, बोल न बिसारिये।
सेवा-जग तुलसी कबहुँ कहा चूक परी,
साहेब सुभाव कपि साहिबी संभारिये॥
अपराधी जानि कीजै सासति सहस भाँति,
मोदक मरै जो, ताहि माहुर न मारिये।
साहसी समीरके दुलारे रघुबीरजूके,
बाँह पीर महाबीर बेगि ही निवारिये ॥20॥
बालक बिलोकि, बलि, बारेतें आपनो कियो,
दीनबंधु दया कीन्हीं निरुपाधि न्यारिये।
रावरो भरोसो तुलसीके, रावरोई बल,
आस रावरीयै, दास रावरो बिचारिये॥
बड़ो बिकराल कलि, काको न बिहाल कियो,
माथे पगु बलीको, निहारि सो निवारिये।
केसरीकिसोर, रनरोर, बरजोर बीर,
बाँहुपीर राहुमातु ज्यौँ पछारि मारिये ॥21॥
उथपे थपनथिर थपे उथपनहार,
केसरीकुमार बल आपनो सँभारिये।
रामके गुलामनिको कामतरु रामदूत,
मोसे दीन दूबरेको तकिया तिहारिये॥
साहेब समर्थ तोसों तुलसीके माथे पर,
सोऊ अपराध बिनु बीर, बाँधि मारिये।
पोखरी बिसाल बाँहु, बलि बारिचर पीर,
मकरी ज्यौँ पकरिकै बदन बिदारिये ॥22॥
रामको सनेह, राम साहस लखन सिय,
रामकी भगति, सोच संकट निवारिये।
मुद-मरकट रोग-बारिनिधि हेरि हारे,
जीव-जामवंतको भरोसो तेरो भारिये॥
कूदिये कृपाल तुलसी ससुप्रेम-पब्बयतें,
सुथल सुबेल भालु बैठिकै बिचारिये।
महाबीर बाँकुरे बराकी बाँहपीर क्यों न,
लंकिनी ज्यों लातघार ही मरोरि मारिये ॥23॥
लोक-परलोकहूँ तिसोक न बिलोकियत,
तोसे समरथ चष चारिहूँ निहारिये।
कर्म, काल, लोकपाल, अग-जग जीवजाल,
नाथ हाथ सब निज महिमा बिचारिये॥
खास दास रावरो, निवास तेरो तासु उर,
तुलसी सो देव दुखी देखियत भारिये।
बात तरुमूल बाँहुसूल कपिकच्छु-बेलि,
उपजी सकेलि कपिकेलि ही उखारिये ॥24॥
करम-कराल-कंस भूमिपालके भरोसे,
बकी बकभगिनी काहूतें कहा डरैगी।
बड़ी बिकराल बालघातिनी न जात कहि,
बाँहुबल बालक छबीले छोटे छरैगी॥
आई है बनाइ बेष आप ही बिचारि देख,
पाप जाय सबको गुनीके पाले परैगी।
पूतना पिसाचिनी ज्यौँ कपिकान्ह तुलसीकी,
बाँहपीर महाबीर, तेरे मारे मरैगी ॥25॥
भालकी कि कालकी कि रोषकी त्रिदोषकी है,
बेदन बिषम पाप-ताप छलछाँहकी।
करमन कूटकी कि जंत्रमंत्र बूटकी,
पराहि जाहि पापिनी मलीन मनमाँहकी॥
पैहहि सजाय नत कहत बजाय तोहि,
बावरी न होहि बानि जानि कपिनाँहकी।
आन हनुमानकी दोहाई बलवानकी,
सपथ महाबीरकी जो रहै पीर बाँहकी ॥26॥
सिंहिका सँहारि बल, सुरसा सुधारि छल,
लंकिनी पछारि मारि बाटिका उजारी है।
लंक परजारि मकरी बिदारि बारबार,
जातुधान धारि धूरिधानी करि डारी है॥
तोरि जमकातरि मदोदरि कढ़ोरि आनी,
रावनकी रानी मेघनाद महँतारी है।
भीर बाँहपीरकी निपट राखी महाबीर,
कौनके सकोच तुलसीके सोच भारी है ॥27॥
तेरो बालकेलि बीर सुनि सहमत धीर,
भूलत सरीरसुधि सक्र-रबि-राहुकी।
तेरी बाँह बसत बिसोक लोकपाल सब,
तेरो नाम लेत रहै आरति न काहुकी॥
साम दान भेद बिधि बेदहू लबेद सिधि,
हाथ कपिनाथहीके चोटी चोर साहुकी।
आलस अनख परिहासकै सिखावन है,
एते दिन रही पीर तुलसीके बाहुकी ॥28॥
टूकनिको घर-घर डोलत कँगाल बोलि,
बाल ज्यौं कृपाल नतपाल पालि पोसो है।
कीन्ही है सँभार सार अंजनीकुमार बीर,
आपनो बिसारिकैं न मेरेहू भरोसो है॥
इतनो परेखो सब भाँति समरथ आजु,
कपिराज साँची कहौँ को तिलोक तोसो है।
सासति सहत दास कीजे पेखि परिहास,
चीरीको मरन खेल बालकनिको सो है ॥29॥
आपने ही पापतें त्रितापतें कि सापतें,
बढ़ी है बाँहबेदन कही न सहि जाति है।
औषध अनेक जंत्र-मंत्र-टोटकादि किये,
बादि भये देवता मनाये अधिकाति है॥
करतार, भरतार, हरतार, कर्म, काल,
को है जगजाल जो न मानत इताति है।
चेरो तेरो तुलसी तू मेरो कह्यो रामदूत,
ढील तेरी बीर मोहि पीरतें पिराति है ॥30॥
दूत रामरायको, सपूत पूत बायको,
समत्थ हाथ पायको सहाय असहायको।
बाँकी बिरदावली बिदित बेद गाइयत,
रावन सो भट भयो मुठिकाके घायको॥
एते बड़े साहेब समर्थको निवाजो आज,
सीदत सुसेवक बचन मन कायको।
थोरी बाँहपीरकी बड़ी गलानि तुलसीको,
कौन पाप कोप, लोप प्रगट प्रभायको ॥31॥
देवी देव दनुज मनुज मुनि सिद्ध नाग,
छोटे बड़े जीव जेते चेतन अचेत हैं।
पूतना पिसाची जातुधानी जातुधान बाम,
रामदूतकी रजाइ माथे मानि लेत हैं॥
घोर जंत्र मंत्र कूट कपट कुरोग जोग,
हनूमान आन सुनि छाड़त निकेत हैं।
क्रोध कीजे कर्मको प्रबोध कीजे तुलसीको,
सोध कीजे तिनको जो दोष दुख देत हैं ॥32॥
तेरे बल बानर जिताये रन रावनसों ,
तेरे घाले जातुधन भये घर-घरके।
तेरे बल रामराज किये सब सुरकाज,
सकल समाज साज साजे रघुबरके॥
तेरो गुनगान सुनि गीरबान पुलकत,
सजल बिलोचन बिरंचि हरि हरके।
तुलसीके माथेपर हाथ फेरो कीसनाथ,
देखिये न दास दुखी तोसे कनिगरके ॥33॥
पालो तेरे टूकको परेहू चूक मूकिये न,
कूर कौड़ी दूको हौं आपनी ओर हेरिये।
भोरानाथ भोरेही सरोष होत थोरे दोष,
पोषि तोषि थापि आपनो न अवडेरिये॥
अंबु तू हौं अंबुचर, अंब तू हौं डिंभ, सो न,
बूझिये बिलंब अवलंब मेरे तेरिये।
बालक बिकल जानि पाहि प्रेम पहिचानि,
तुलसीकी बाँह पर लामीलूम फेरिये ॥34॥
घेरि लियो रोगनि कुजोगनि कुलोगनि ज्यौं,
बासर जलद घन घटा धुकि धाई है।
बरसत बारि पीर जारिये जवासे जस,
रोष बिनु दोष, धूम-मूल मलिनाई है॥
करुनानिधान हनुमान महाबलवान,
हेरि हँसि हाँकि फूँकि फौजें तैं उड़ाई है।
खाये हुतो तुलसी कुरोग राढ़ राकसनि,
केसरीकिसोर राखे बीर बरिआई है ॥35॥
॥ सवैया ॥
रामगुलाम तुही हनुमान
गोसाँइ सुसाँइ सदा अनुकूलो।
पाल्यो हौं बाल ज्यों आखर दू
पितु मातु सों मंगल मोद समूलो॥
बाँहकी बेदन बाँहपगार
पुकारत आरत आनँद भूलो।
श्रीरघुबीर निवारिये पीर
रहौं दरबार परो लटि लूलो ॥36॥
॥ घनाक्षरी ॥
कालकी करालता करम कठिनाई कीधौं,
पापके प्रभावकी सुभाय बाय बावरे।
बेदन कुभाँति सो सही न जाति राति दिन,
सोई बाँह गही जो गही समीरडावरे॥
लायो तरु तुलसी तिहारो सो निहारि बारि,
सींचिये मलीन भो तयो है तिहूँ तावरे।
भूतनिकी आपनी परायेकी कृपानिधान,
जानियत सबहीकी रीति राम रावरे ॥37॥
पायँपीर पेटपीर बाँहपीर मुँहपीर,
जरजर सकल सरीर पीरमई है।
देव भूत पितर करम खल काल ग्रह,
मोहिपर दवरि दमानक सी दई है॥
हौं तो बिन मोलके बिकानो बलि बारेही तें,
ओट रामनामकी ललाट लिखि लई है।
कुंभजके किंकर बिकल बूड़े गोखुरनि,
हाय रामराय ऎसी हाल कहूँ भई है ॥38॥
बाहुक-सुबाहु नीच लीचर-मरीच मिलि,
मुँहपीर-केतुजा कुरोग जातुधान हैं।
राम नाम जगजाप कियो चहों सानुराग,
काल कैसे दूत भूत कहा मेरे मान हैं॥
सुमिरे सहाय रामलखन आखर दोऊ,
जिनके समूह साके जागत जहान हैं।
तुलसी सँभारि ताड़का-सँहारि भारी भट,
बेधे बरगदसे बनाइ बानवान हैं ॥39॥
बालपने सूधे मन राम सनमुख भयो,
रामनाम लेत माँगि खात टूकटाक हौं।
परयो लोकरीतिमें पुनीत प्रीति रामराय,
मोहबस बैठो तोरि तरकितराक हौं॥
खोटे-खोटे आचरन आचरन अपनायो,
अंजनीकुमार सोध्यो रामपानि पाक हौं।
तुलसी गोसाइँ भयो भोंड़े दिन भूलि गयो,
ताको फल पावत निदान परिपाक हौं ॥40॥
असन-बसन-हीन बिषम-बिषाद-लीन,
देखि दीन दूबरो करै न हाय-हाय को।
तुलसी अनाथसो सनाथ रघुनाथ कियो,
दियो फल सीलसिंधु आपने सुभायको॥
नीच यही बीच पति पाइ भरुहाइगो,
बिहाइ प्रभु-भजन बचन मन कायको।
तातें तनु पेषियत घोर बरतोर मिस,
फूटि-फूटि निकसत लोन रामरायको ॥41॥
जिओं जग जानकीजीवनको कहाइ जन,
मरिबेको बारानसी बारि सुरसरिको।
तुलसीके दुहूँ हाथ मोदक है ऎसे ठाउँ,
जाके जिये मुये सोच करिहैं न लरिको॥
मोको झूठो साँचो लोग रामको कहत सब,
मेरे मन मान है न हरको न हरिको।
भारी पीर दुसह सरीरतें बिहाल होत,
सोऊ रघुबीर बिनु सकै दूर करिको ॥42॥
सीतापति साहेब सहाय हनुमान नित,
हित उपदेसको महेस मानो गुरुकै।
मानस बचन काय सरन तिहारे पाँय,
तुम्हरे भरोसे सुर मैं न जाने सुरकै॥
ब्याधि भूतजनित उपाधि काहू खलकी,
समाधि कीजे तुलसीको जानि जन फुरकै।
कपिनाथ रघुनाथ भोलानाथ भूतनाथ,
रोगसिंधु क्यों न डारियत गाय खुरकै ॥43॥
कहों हनुमानसों सुजान रामरायसों,
कृपानिधान संकरसों सावधान सुनिये।
हरष विषाद राग रोष गुन दोषमई,
बिरचो बिरंचि सब देखियत दुनिये॥
माया जीव कालके करमके सुभायके,
करैया राम बेद कहैं साँची मन गुनिये।
तुम्हतें कहा न होय हाहा सो बुझैये मोहि,
हौं हूँ रहों मौन ही बयो सो जानि लुनिये ॥44॥
हनुमान बाहुक (Hanuman Bahuk) का यह पाठ अत्यंत चमत्कारी और शक्तिशाली है। तुलसीदास जी ने और भी कई रचनाये की है जिसमे सुप्रसिद्ध है हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) और बजरंग बाण का पाठ (Bajrang Baan).
हनुमान बाहुक (Hanuman Bahuk) का पाठ करने के लाभ
शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
आत्मविश्वास बढ़ता है।
सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
Hanuman Bahuk Lyrics in English
Chhappaya
Sindhu-taran, Siya-soch-haran, Rabi-baalbaran-tanu |
Bhuj bisaal, moorti karaal, kaalhuko kaal janu ॥
Gahan-dahan-nirdahan-lank nihsank, bank-bhuv |
Jaatudhaan-balvaan-maan-mad-davan pavansuv ॥
Kah Tulsidas sevat sulabh, sevak hit santat nikat |
Gunganat, namat, sumirat, japat, saman sakal-sankat-bikat ॥ 1 ॥
Svaran-saail-sankas koti-rabi-tarun-tej-ghan |
Ur bisaal, bhujdandh chand nakh bajra bajratan ॥
Ping nayan, bhrikutee karaal rasnaa dasnaanan |
Kapis kes, karkas langoor, khal-dal bal bhaanan ॥
Kah Tulsidas bas jaasu ur maarutsut moorti bikat |
Santaap paap tehi purush panhi sapnehun nahin aavat nikat ॥ 2 ॥
Jhulna
Panchmukh-chamukh-bhrigumukhya bhat-asur-sur,
Sarv-sari-samar samratth sooro |
Bankuro beer birudaait birudaavlee,
Baid bandee badat paaijpooro ॥
Jaasu gungaath Raghunaath kah, jasu bal,
Bipul-jal-bharit jag-jaldhi jhooro |
Duvan-dal-damanko kaun Tulsees hai
Pavanko poot Rajpoot rooro ॥ 3 ॥
Ghanakshari
Bhanuson parrhan hanuman gaye bhanu man-
anumaani sisukeli kiyo pherphaar so |
Paachhile pagni gam gagan magan-man,
Kramko na bhram, kapi baalak-bihaar so ॥
Kautuk biloki lokpaal hari har bidhi
Lochanani chakaachaundhee chitni khabhaar so |
Bal kaaidhaun beerras, dheeraj kai, sahas kai,
Tulsi sareer dhare sabniko saar so ॥ 4 ॥
Bharatmein paarthke rathketu kapiraaj,
Gaajyo suni kururaaj dal halbal bho |
Kahayo Dron Bheesham sumeersut Mahaabeer,
Beer-ras-baari-nidhi jaako bal jal bho ॥
Baanar subhaay baalkeli bhoomi bhaanu laagi,
Phalang phalaanghoonten ghaati nabhtal bho |
Naai-naai maath jori-jori haath jodha johain,
Hanuman dekhe jagjeevanko phal bho ॥ 5 ॥
Gopad payodhi kari holika jyon layee lank,
Nipat nisank parpur galbal bho |
Dron-so pahaar liyo khyaal hee ukhari kar,
Kanduk-jyon kapikhel bel kaaiso phal bho ॥
Sankatsamaaj asmanjas bho Ramraaj
Kaaj jug-poogniko kartal pal bho |
Saahsee samatth Tulsiko naah jaaki baanh,
Lokpaal paalanko phir thir thal bho ॥ 6 ॥
Kamathkee peethi jaake gorhnikee gaarhain maano
Naapke bhaajan bhari jalnidhi-jal bho |
Jaatudhaan-daavan paraavanko durge bhayo,
Mahaameenbaas timi tomaniko thal bho ॥
Kumbhkaran-Ravan-payodnaad-eedhanko
Tulsi prataap jaako prabal anal bho |
Bheesham kahat mere anumaan Hanuman-
Saarikho trikaal na trilok mahaabal bho ॥ 7 ॥
Doot Ramrayko, sapoot poot paunko, too
Anjaneeko nandan prataap bhoori bhaanu so |
Seey-soch-saman, durit-dosh-daman,
Saran aaye avan, lakhanpriya praan so ॥
Dasmukh dusah daridra daribeko bhayo,
Pratak tilok aok Tulsi nidhaan so |
Gyan-gunvaan balvaan sevaa saavdhaan,
Saaheb sujaan ur aanu Hanuman so ॥ 8 ॥
Davan-duvan-dal bhuvan-bidit bal,
Baid jas gaavat bibudh bandeechor ko |
Paap-taap-timir tuhin-vightan-patu,
Sevak-saroruh sukhad bhaanu bhorko ॥
Lok-parlokten bisok sapne na sok,
Tulsike hiye hai bharoso ek aorko |
Ramko dulaaro daas baamdevko nivaas,
Naam kali-kaamtaru kesri-kisorko ॥ 9 ॥
Mahaabal-seem,mahaabheem,mahaabaanit,
Mahabeer bidit barayo Raghubeerko |
Kulis-kathortanu jorparai ror ran,
Karuna-kalit man dhaarmik dheerko ॥
Durjanko kaalso karaal paal sajjanko,
Sumire haranhaar Tulsiki peerko |
Seey-sukhdaayak dulaaro Raghunaayak ko,
Sevak sahaayak hai saahsee sameerko ॥ 10 ॥
Rachibeko bidhi jaise, paalibeko hari, har
Meech maaribeko, jyaibeko sudhaapaan bho |
Dharibeko dharni, tarni tam dalibeko,
Sokhibe krisaanu, poshibeko him-bhaanu bho ॥
Khal-dukh-doshibeko, jan-paritoshibeko,
Maangibo maleentaako modak sudaan bho |
Aaratkee aarti nivaaribeko tihoon pur,
Tulsiko saheb hatheelo Hanuman bho ॥ 11 ॥
Sevak syokaee jaani jaankees maanai kaani,
Saanukool soolpaani navaai naath naankko |
Devi dev daanav dayaavane havaai joraain haath,
Baapure baraak kahaa aur raja raankko ॥
Jaagat sovat baithe baagat binod mod,
taakai jo anarth so samarth ek aankko |
sab din rooro paraai pooro jahan-tahan taahi,
jaake hai bharoso hiye hanuman haankko ॥ 12 ॥
Saanug sagauri saanukool soolpani taahi,
Lokpaal sakal lakhan ram janki |
Lok parlokko bisok so tilok taahi,
Tulsi tamai kahaa kaahu beer aankee ॥
Kesrikisor bandeechorke nevaaje sab,
Keerti bimal kapi karunanidhaankee |
Balak-jyon paalihain kripaalu muni siddh taako,
jaake hiye hulsati haank hanumanki ॥ 13 ॥
Karuna nidhaan, balbudhike nidhaan, mod-
mahimanidhaan, gun-gyaanke nidhaan hau |
Baamdev-roop, bhoop Ramke sanehee, naam
lait-dait arth dharm kaam nirbaan hau ॥
Aapne prabhav, Sitanathke subhaav seel,
Lok-baid-bidhike bidush Hanuman hau |
Mankee, bachankee, karamkee tihoon prakar,
Tulsi tihaaro tum saheb sujaan hau ॥ 14 ॥
Manko agam, tan sugam kiye kapees,
Kaaj mahaaraajke samaaj saaj saaje hain |
Dev-bandeechor ranror Kesreekisor,
Jug-jug jag tere birad biraaje hain ॥
Beer barjor, ghati jor Tulsiki aur
Suni sakuchaane saadhu, khalgan gaaje hain |
Bigree sanvaar Anjanikumar keeje mohin,
Jaise hot aaye Hanumanke nivaaje hain | 15 ॥
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Savaiya
Jaansiromani hau Hanuman sadaa janke man baas tihaaro |
Dhaaro bigaaro main kaako kahaa kehi kaaran kheejhat haun to tihaaro ॥
Saaheb sevak naate te haato kiyo so tahaan Tulsiko na chaaro |
Dosh sunaaye tain aagehunko hoshiyaar havai hon man tau hiye haaro ॥ 16 ॥
Tere thape uthapaai na mahes, thapaai thirko kapi je ghar ghaale |
Tere nivaaje gareebnivaaj biraajat baairinke ur saale |
Sankat soch sabaai Tulsi liye naam phataai makreeke-se jaale |
Boorh bhaye, bali, merihi baar, ki haari pare bahutaai natt paale ॥ 17 ॥
Sindhu tare, barhe beer dale khal, jaare hain lankse bank mavaa se |
Taain ran-kehri kehrike bidle ari-kunjar chaail chavaa se ॥
Toson samath susaaheb sei sahaai Tulsi dukh dosh davaase |
Baanar baaj barhe khal-khechar, leejat kyon na lapeti lavaa-se ॥ 18 ॥
Achh-vimardan kaanan-bhaani dasaanan aanan bhaan nihaaro |
Baaridnaad ankpan kumbhkaran-se kunjar kehri-baaro ॥
Ram-prataap-hutaasan, kachh,bipachh, sameer sameerdulaaro |
Paapten, saapten, taap tihoonte sadaa Tulsi kahan so rakhvaaro ॥ 19 ॥
Ghanakshari
Jaanat jahaan Hanumanko nivaajyau jan,
Man anumaani, bali, bol na bisaariye |
Sevaa-jog Tulsi kabhoon kahaa chook paree,
Saheb subhaav kapi saahibee sanbhaariye ॥
Apraadhee jaani keejaai saasti sahas bhaanti,
Modak maraai jo, taahi maahur na maariye |
Saahsee sameerke dulaare Raghubeerjooke,
Baanh peer Mahaabeer begi hee nivaariye ॥ 20 ॥
Baalak biloki, bali baareten aapno kiyo |
Deenbandhu dayaa keenheen nirupaadhi nyaariye |
Raavro bharoso Tulsike, Raavroee bal,
Aas raavreeyaai, daas raavro bichaariye ॥
Barho bikraal kali, kaako na bihaal kiyo,
Maathe pagu baleeko, nihaari so nivaariye |
Kesreekisor, ranror, barjor beer,
Bahunpeer raahumaatu jyaun pachaari maariye ॥ 21 ॥
Uthape thapanthir thape uthpanhaar,
Kesreekumar bal aapno sambhariye |
Ramke gulaamniko kaamtaru Ramdoot,
Mose deen doobareko takiyaa tihaariye ॥
Saheb samarth toson Tulsike maathe par,
Sou apraadh binu beer, baandhi maariye |
Pokhree bisaal banhu, bali baarichar peer,
Makree jyaun pakrikaai badan bidaariye ॥ 22 ॥
Ramko saneh, Ram saahas lakhan siya,
Ramkee bhagti, soch sankat nivaariye |
Mud-markat rog-baarinidhi heri haare,
Jeev-jaamvantko bharoso tero bhaariye ॥
Koodiye kripaal Tulsi suprem-pabbyaten,
Suthal subel bhaalu baaithikaai bichaariye |
Mahabeer bankure baraakee banhpeer kyon na,
Lankinee jyon laatghaat hee marori maariye ॥ 23 ॥
Lok-parlokhoon tilok na bilokiyat,
Tose samrath chash chaarihoon nihaariye |
Karm, kaal, lokpaal, ag-jag jeevjaal,
Naath haath sab nij mahimaa bichaariye ॥
Khaas daas raavro, nivaas tero taasu ur,
Tulsi so dev dukhee dekhiyat bhaariye |
Baat tarumool banhusool kapikachhu-beli,
Upjee sakeli kapikeli hee ukhaariye ॥ 24 ॥
Karam-karaal-kans Bhoomipaalke bharose,
Bakee bakbhaginee kaahooten kahaa daraaigee|
Barhee bikraal baalghaatinee na jaat kahi,
Baanhubal baalak chabeele chote charaaigee ॥
Aaee haai banaae besh aap hee bichaari dekh,
Paap jaaya sabko guneeke paale paraaigee|
Pootna pisaachinee jyaaun kapikaanh Tulsikee,
Baanhpeer mahaabeer, tere maare maraaigee ॥ 25 ॥
Bhaalkee ki kaalkee ki roshkee tridoshkee hai,
Bedan bisham paap-taap chalchaanhkee |
Karman kootkee ki jantramantra bootkee,
Paraahi jaahi paapinee maleen manmaanhkee ॥
Paaihhi sajaay nat kahat bajaay tohi,
Baavree na hohi baani jaani kapinaanhkee |
Aan Hanumaankee dohaaee balvaankee,
Sapath Mahaabeerkee jo rahaai peer baanhkee ॥ 26 ॥
Sinhika sanhaari bal, sursaa sudhaari chhal,
Lankinee pachhaari maari baatika ujaaree hai |
Lank parjaari makree bidaari baarbaar,
Jaatudhaan dhaari dhooridhaanee kari daaree haai ॥
Tori jamkaatari Madodri karhori aanee,
Ravankee raanee Meghnad Manhtaaree haai ॥
Bheer baanhpeerkee nipat raakhee Mahaabeer,
Kaaunke sakoch Tulsike soch bhaaree haai ॥ 27 ॥
Tero baalkeli beer suni sahmat dheer,
Bhoolat sareersudhi sakra-rabi-rahukee ॥
Teree baanh basat bisok lokpaal sab,
Tero naam lait rahaai aarti na kaahukee ॥
Saam daan bhed bidhi baidhoo labed sidhi,
Haath kapinathheeke chotee chor saahukee|
Aalas anakh parihaaskaai sikhaavan haai,
Aite din rahee peer Tulsike baahukee ॥ 28 ॥
Tookniko ghar-ghar dolat kangaal boli,
Baal jyon kripaal natpaal paali poso haai |
Keenhee haai sanbhaar saar Anjaneekumar beer,
Aapno bisaarihaain na merehoo bharoso haai ॥
Itno parekho sab bhaanti samrath aaju,
Kapiraaj saanchee kahaaun ko Tilok toso haai |
Saasti sahat daas keeje pekhi parihaas,
Cheereeko maran khel baalkaniko so haai ॥ 29 ॥
Aapne hee paaptein tritaapatein ki saaptein,
Barree haai baanhbedan kahee na sahi jaati haai |
Aaushadh anek jantra-mantra-totkaadi kiye,
Baadi bhaye devtaa manaaye adhikaati haai ॥
Kartaar, bhartaar, hartaar, karm, kaal,
Ko haai jagjaal jo na maanat itaati haai |
Chero tero Tulsee too mero kahyo Ramdoot,
Dheel teree beer mohi peertein piraati haai ॥ 30 ॥
Doot Ramrayako, sapoot poot baayko,
Samathh haath paayko sahaay asahaayko |
Baankee biradaavlee bidit baid gaiyat,
Raavan so bhat bhayo muthikaake ghaayako ॥
Aite barhe saaheb samarthko nivaajo aaj,
Seedat susevak bachan man kaayako |
Thoree baanhpeerkee barhi galaani Tulsiko,
Kaun paap kop, lop pragat prabhaayako ॥ 31 ॥
Devee dev danuj manuj muni siddh naag,
Chote barhe jeev jete chetan achet haain |
Pootna pisaachee jaatudhaanee jaatudhaan baam,
Ramdootkee rajaai maathe maani lait haain ॥
Ghor jantra mantra koot kapat kurog jog,
Hanoomaan aan suni chaarhat niket haain |
Krodh keeje karmko prabodh keeje Tulseeko,
Sodh keeje tinko jo dosh dukh dait haain ॥ 32 ॥
Tere bal baanar jitaaye ran Raavanson,
Tere ghaale jaatudhaan bhaye ghar-gharke |
Tere bal Raamraj kiye sab surkaaj,
Sakal samaaj saaj saaje Raghubarke ॥
Tero gungaan suni geerbaan pulkat,
Sajal bilochan biranchi Hari harke |
Tulsike maathepar haath phero keesnaath,
Dekhiye na daas dukhee tose kanigarke ॥ 33 ॥
Paalo tere tookko parehoo chook mookiye na,
Koor kaaurhee dooko haaun aapnee aur heriye |
Bhoraanaath bhorehee sarosh hot thore dosh,
Poshi toshi thaapi aapno na avderiye ॥
Anbu too haaun Ambuchar, amb too haaun dimbh, so na,
Boojhiye bilamb avlamb mere teriye |
Baalak bikal jaani paahi prem pahichaani,
Tulseekee baanh par laameeloom pheriye ॥ 34 ॥
Gheri liyo rogni kujogni kulogni jyaaun,
Baasar jalad ghan ghata dhuki dhaaee haai |
Barsat baari peer jaariye javaase jas,
Rosh binu dosh, dhoom-mool malinaaee haai ॥
Karnunaanidhaan Hanumaan mahaabalvaan,
Heri hansi haanki phoonki phaaujen taain udhaaee haai |
Khaaye huto Tulsee kurog raadh raaksani,
Kesreekisor raakhe beer bariaaee haai ॥ 35 ॥
Savaiya
Raamgulaam tuhee Hanuman
Gosaain susaain sadaa anukoolo |
Paalyo haaun baal jyon aakhar doo
Pitu maatu son mangal mod samoolo ॥
Baanhkee bedan baanhpagaar
Pukaarat aarat aanand bhoolo |
ShriRaghubeer nivaariye peer
Rahaaun darbaar paro lati loolo ॥ 36 ॥
Ghanakshari
Kaalkee karaaltaa karam kathinaaee keedhaaun,
Paapke prabhaavkee subhaaya baaya baavre |
Bedan kubhaanti so sahee na jaati raati din,
Soee baanh gahee jo gahee sameerdaavre ॥
Laayo taru Tulsee tihaaro so nihaari baari,
Seenchiye maleen bho tayo haai tihoon taavre |
Bhootanikee aapnee paraayekee kripanidhaan,
Jaaniyat sabheekee reeti Ram Raavre ॥ 37 ॥
Paayanpeer petpeer baanhpeer munhpeer,
Jarjar sakal sareer peermaee haai |
Dev bhoot pitar karam khal kaal grah,
Mohipar davri damaanak see daee haai ॥
Haaun to bin molke bikaano bali baarehee tain,
Aot Ramnaamkee lalaat likhi laee haai |
Kumbhajke kinkar bikal boodhe gookhurani,
Haay Ramraay aisee haal kahoon bhaee haai ॥ 38 ॥
Baahuk-subaahu neech leechar-mareech mili,
Munhpeer-ketujaa kurog jaatudhaan haain|
Ram naam japjaag kiyo chahon saanuraag,
Kaal kaise doot bhoot kahaa mere maan haain ॥
Sumire sahaaya RamLakhan aakhar douu,
Jinke samooh saake jaagat jahaan haain|
Tulsee sanbhaari Tadhka-sanhaari bhaaree bhat,
Bedhe bargadse banai baanvaan haain ॥ 39 ॥
Baalpane soodhe man Ram sanmukh bhayo,
Ramnaam leit maangi khaat tooktaak haaun |
Paryo lokreetimein puneet preeti Ramraaya,
Mohbas baaitho tori tarkitraak haaun ॥
Khote-khote aachran aachrat apnaayo,
Anjanikumar sodhyo Rampaani paak haaun
Tulsee gosaaen bhayo bhonrhe din bhooli gayo,
Taako phal paavat nidaan paripaak haaun ॥ 40 ॥
Asan-basan-heen visham-vishaad-leen,
Dekhi deen doobro karaai na haay-haay ko |
Tulsee anaathso sanaath Raghunaath kiyo,
Diyo phal seelsindhu aapne subhaayko ॥
Neech yahi beech pati paai bharuhaaigo,
Bihaai prabhu-bhajan bachan man kaayko |
Taaten tanu peshiyat ghor bartor mis,
Phooti-phooti niksat lon Raamraayko ॥ 41 ॥
Jiaon jag jaankeejeevanko kahaai jan,
Maribeko baaraansee baari sursariko |
Tulseeke duhoon haath modak haai aise thaun,
Jaake jiye muye soch karihaain na lariko |
Moko jhootho saancho log Ramko kahat sab,
Mere man maan haai na harko na hariko ॥
Bhaaree peer dusah sareertain bihaal hot,
Souu Raghubeer binu sakaai door kariko ॥ 42 ॥
Sitapati saaheb sahaay Hanuman nit,
Hit updesko mahes maano gurukaai,
Maanas bachan kaay saran tihaare paany
Tumhare bharose sur maain na jaane surkaai ॥
Byaadhi bhootjanit upaadhi kaahoo khalkee,
Samaadhi keeje Tulseeko jaani jan phurkaai |
Kapinaath Raghunaath bholaanaath Bhootnaath,
Rogsindhu kyon na daariyat gaay khurkaai ॥ 43 ॥
Kahon Hanumanson sujaan Raamraayson,
Kripanidhaan sankarson saavdhaan suniye |
Harash vishaad raag rosh gun doshmaee,
Birchee biranchi sab dekhiyat duniye |
Maya jeev kaalke karamke subhaayke,
Karaaiya Raam baid kahaain saanchee man guniye |
Tumhaten kahaa na hoy haahaa so bujhaaiye mohi,
Haaun hoon rahon maaun hee bayo so jaani luniye ॥ 44 ॥
हनुमान बाहुक (Hanuman Bahuk) का पाठ करने से आपको आत्मबल और आत्मशांति मिलेगी। इस स्तोत्र का पाठ करने से आपके जीवन में आने वाली सभी प्रकार की बाधाओं और समस्याओं का निवारण होगा।