शास्त्रों में, राधारानी का उल्लेख लक्ष्मी के अवतार के साथ-साथ मूलप्रकृति, सर्वोच्च देवी के रूप में भी किया गया है, जो कृष्ण की स्त्री समकक्ष और आंतरिक शक्ति (ह्लादिनी शक्ति) हैं।
राधा, कृष्ण के सभी अवतारों में उनके साथ हैं। हर साल राधाष्टमी के अवसर पर राधा का जन्मदिन मनाया जाता है। इस वर्ष 2023 में राधाष्टमी का पर्व 23 सितम्बर को मनाया जायेगा। कहा जाता है की इस दिन राधा सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करना चाहिए-
आप इस मंत्र का पाठ नियमित रूप से कर सकते हैं, या विशेष अवसरों पर, जैसे कि कृष्ण जन्माष्टमी या राधाष्टमी (Radha Ashtami)
राधासहस्रनाम स्तोत्र पाठ हिंदी/संस्कृत में
श्रीनारायण उवाच
राधा रासेश्वरी रासवासिनी रसिकेश्वरी।
कृष्णप्राणाधिका कृष्णप्रिया कृष्णस्वरूपिणी।।1।।
कृष्णवामांगसम्भूता परमानन्दरूपिणी।
कृष्णा वृन्दावनी वृन्दा वृन्दावनविनोदिनी ।।2।।
चन्द्रावली चन्द्रकान्ता शरच्चन्द्रप्रभानना।
नामान्येतानि साराणि तेषामभ्यन्तराणि च।।3।।
राधेत्येवं च संसिद्धौ राकारो दानवाचक:।
स्वयं निर्वाणदात्री या सा राधा परिकीर्तिता।।4।।
रासेश्वरस्य पत्नीयं तेन रासेश्वरी स्मृता।
रासे च वासो यस्याश्च तेन सा रासवासिनी।।5।।
सर्वासां रसिकानां च देवीनामीश्वरी परा।
प्रवदन्तिपुरा सन्तस्तेन तां रसिकेश्वरीम् ।।6।।
प्राणाधिका प्रेयसी सा कृष्णस्य परमात्मन:।
कृष्णप्राणाधिका सा च कृष्णेन परिकीर्तिता।।7।।
कृष्णस्यातिप्रिया कान्ता कृष्णो वास्या: प्रिय: सदा।
सर्वैर्देवगणैरुक्ता तेन कृष्णप्रिया स्मृत्वा।।8।।
कृष्णरूपं संनिधातुं या शक्ता चावलीलया।
सर्वांशै: कृष्णसदृशी तेन कृष्णस्वरूपिणी।।9।।
वामांगार्धेन कृष्णस्य या सम्भूत परा सती।
कृष्णवामांगसम्भूता तेन कृष्णेन कीर्तिता।।10।।
परमानन्दराशिश्च स्वयं मूर्तिमती सती।
श्रुतिभि: कीर्तिता तेन परमानन्दरूपिणी।।11।।
कृषिर्मोक्षार्थवचनो न एवोत्कृष्टवाचक:।
आकारो दातृवचनस्तेन कृष्णा प्रकीर्तिता।।12।।
अस्ति वृन्दावनं यस्यास्तेन वृन्दावनी स्मृता।
वृन्दावनस्याधिदेवी तेन वाथ प्रकीर्तिता।।13।।
संघ: सखीनां वृन्द: स्यादकारोSप्यस्तिवाचक:।
सखिवृन्दोSस्ति यस्याश्च सा वृन्दा परिकीर्तिता।।14।।
वृन्दावने विनोदश्च सोSस्या ह्यस्ति च तत्र वै।
वेदा वदन्ति तां तेन वृन्दावनविनोदिनीम्।।15।।
नखचन्द्रावली वक्त्रचन्द्रोSस्ति यत्र संततम्।
तेन चन्द्रावली सा च कृष्णेन परिकीर्तिता।।16।।
कान्तिरस्ति चन्द्रतुल्या सदा यस्या दिवानिशम्।
सा चन्द्रकान्ता हर्षेण हरिणा परिकीर्तिता।।17।।
शरच्चन्द्रप्रभा यस्याश्चाननेSस्ति दिवानिशम्।
मुनिना कीर्तिता तेन शरच्चन्द्रप्रभानना।।18।।
इदं षोडशनामोक्तमर्थव्याख्यानसंयुतम्।
नारायणेन यद्दत्तं ब्रह्मणे नाभिपंकजे।
ब्रह्माणाच पुरा दत्तं धर्माय जनकाय मे।।19।।
धर्मेण कृपया दत्तं मह्यमादित्यपर्वणि।
पुष्करे च महातीर्थे पुण्याहे देवसंसदि।।20।।
इदं स्तोत्रं महापुण्यं तुभ्यं दत्तं मया मुने।
निन्दकायावैष्णवाय न दातव्यं महामुने।।21।।
यावज्जीवमिदं स्तोत्रं त्रिसंध्यं य: पठेन्नर:।
राधामाधवयो: पादपद्मे भक्तिर्भवेदिह।।22।।
अन्ते लभेत्तयोर्दास्यं शश्वत्सहचरो भवेत्।
अणिमादिकसिद्धिं च सम्प्राप्य नित्यविग्रहम्।।23।।
व्रतदानोपवासैश्च सर्वैर्नियमपूर्वकै:।
चतुर्णां चैव वेदानां पाठै: सर्वार्थसंयुतै:।।24।।
सर्वेषां यज्ञतीर्थानां करणैर्विधिबोधितै:।
प्रदक्षिणेन भूमेश्च कृत्स्नाया एव सप्तधा।।25।।
शरणागतरक्षायामज्ञानां ज्ञानदानत:।
देवानां वैष्णवानां च दर्शनेनापि यत् फलम्।।26।।
तदेव स्तोत्रपाठस्य कलां नार्हति षोडशीम्।
स्तोत्रस्यास्य प्रभावेण जीवन्मुक्तो भवेन्नर:।।27।।
।। इति श्रीब्रह्मवैवर्तमहापुराणे श्रीनारायणकृतं राधाषोडशनामस्तोत्रं सम्पूर्णम्।।
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Radha Sahasranama Lyrics in English
Shriinaaraayanna Uvaaca
Raadhaa Raaseshvarii Raasavaasinii Rasikeshvarii |
Krssnnaapraannaadhikaa Krssnnapriyaa Krssnnasvaruupinnii ||1||
Krssnnavaamaanggasambhuutaa Paramaanandaruupinnii |
Krssnnaa Vrndaavanii Vrndaa Vrndaavanavinodinii ||2||
Candraavalii Candrakaantaa Sharaccandraprabhaananaa |
Naamaany-Etaani Saaraanni Tessaam-Abhyantaraanni Ca ||3||
Raadhe[a-I]tye[a-I]vam Ca Samsiddhau Raakaaro Daana-Vaacakah |
Svayam Nirvaanna-Daatrii Yaa Saa Raadhaa Parikirtitaa ||4||
Raase[a-I]shvarasya Patniiyam Tena Raaseshvarii Smrtaa |
Raase Ca Vaaso Yasyaash-Ca Tena Saa Raasavaasinii ||5||
Sarvaasaam Rasikaanaam Ca Deviinaam-Iishvarii Paraa |
Pravadanti Puraa Santastena Taam Rasikeshvariim ||6||
Praanna-Adhikaa Preyasii Saa Krssnnasya Paramaatmanah |
Krssnnapraannaadhikaa Saa Ca Krssnnena Parikiirtitaa ||7||
Krssnnasya-Ati-Priyaa Kaantaa Krssnnena Vaasyaah Priyah Sadaa |
Sarvair-Deva-Gannair-Uktaa Tena Krssnnapriyaa Smrtaa ||8||
Krssnna-Ruupam Samnidhaatum Yaa Shaktaa Ca-Avaliilayaa |
Sarva-Amshauh Krssnna-Sadrshii Tena Krssnnasvaruupinnii ||9||
Vaama-Angga-Ardhena Krssnnasya Yaam Sambhuutaa Paraa Satii |
Krssnna-Vaamaangga-Sambhuutaa Tena Krssnnena Kiirtitaa ||10||
Paramaananda-Raashish-Ca Svayam Muurtimatii Sati |
Shrutibhih Kiirtitaa Tena Paramaanandaruupinnii ||11||
Krssir-Mokssa-Artha-Vacano Na Evo[a-U]tkrsstta-Vaacakah |
Aakaaro Daatr-Vacanas-Tena Krssnnaa Prakiirtitaa ||12||
Asti Vrndaavanam Yasyaas-Tena Vrndaavanii Smrtaa |
Vrndaavanasya-Adhidevii Tena Vaa-[A]tha Prakiirtitaa ||13||
Sangghah Sakhiinaam Vrndah Syaad-Akaaro-[A]py-Asti-Vaacakah |
Sakhi-Vrndo-[A]sti Yasyaash-Ca Saa Vrndaa Parikiirtitaa ||14||
Vrndaavane Vinodashca So-[A]syaa Hy-Asti Ca Tatra Vai |
Vedaa Vadanti Taam Tena Vrndaavana-Vinodiniim ||15||
Nakha-Candraavalii Vaktra-Candro-[A]sti Yatra Samtatam |
Tena Candraavalii Saa Ca Krssnnena Parikiirtitaa ||16||
Kaantir-Asti Candra-Tulyaa Sadaa Yasyaa Divaa-Nisham |
Saa Candrakaantaa Harssenna Harinnaa Parikiirtitaa ||17||
Sharac-Candra-Prabhaa Yasyaash-Ca-[A]anane-[A]sti Divaa-Nisham |
Muninaa Kiirtitaa Tena Sharaccandraprabhaananaa ||18||
Idam Ssoddasha-Naamo[a-U]ktam-Artha-Vyaakhyaana-Samyutam |
Naaraayannena Yad-Dattam Brahmanne Naabhi-Pangkaje |
Brahmanna Ca Puraa Dattam Dharmaaya Janakaaya Me ||19||
Dharmenna Krpayaa Dattam Mahyam-Aaditya-Parvanni |
Pusskare Ca Mahaa-Tiirthe Punnyaahe Deva-Samsadi |
Raadhaa-Prabhaava-Prastaave Suprasannena Cetasaa ||20||
Idam Stotram Mahaa-Punnyam Tubhyam Dattam Mayaa Mune |
Nindakaayaa-Vaissnnavaaya Na Daatavyam Mahaa-Mune ||21||
Yaavajjiivam-Idam Stotram Tri-Sandhyam Yah Patthen-Narah |
Raadhaa-Maadhavayoh Paada-Padme Bhaktir-Bhaved-Iha ||22||
Ante Labhet-Tayor-Daasyam Shashvat-Sahacaro Bhavet |
Annimaa-[A]dika-Siddhim Ca Sampraapya Nitya-Vigraham ||23||
Vrata-Daano[a-U]pavaasaish-Ca Sarvair-Niyama-Puurvakaih |
Caturnnaam Caiva Vedaanaam Paatthaih Sarva-Artha-Samyutaih ||24||
Sarvessaam Yajnya-Tiirthaanaam Karannair-Vidhi-Bodhitaih |
Pradakssinnena Bhuumesh-Ca Krtsnaayaa Eva Saptadhaa ||25||
Sharannaagata-Rakssaayaam-Ajnyaanaam Jnyaana-Daanatah |
Devaanaam Vaissnnavaanaam Ca Darshanena-Api Yat Phalam ||26||
Tad-Eva Stotra-Paatthasya Kalaam Na-Arhati Ssoddashiim |
Stotrasya-Asya Prabhaavenna Jiivanmukto Bhaven-Narah ||27||
श्री राधा सहस्रनाम स्तोत्रम के लाभ | Radha Sahasranama Benefits in Hindi
श्री राधा सहस्रनाम स्तोत्रम एक शक्तिशाली भक्ति मंत्र है जो श्री राधा को समर्पित है. यह मंत्र भगवान कृष्ण की प्रेमिका और साथी है. इस मंत्र का पाठ करने से कई लाभ होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- प्रतिदिन पाठ करने से मन को शांत और एकाग्र रहता है.
- सभी प्रकार के पापों और दोषों को दूर करता है और कष्टों और दुखों से मुक्त करता है.
- राधा सहस्रनाम स्तोत्रम का पाठ से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती है तथा घर में सुख समृद्धि आती है
- यह मोक्ष प्राप्ति में सहायता करता है.
श्री राधा सहस्रनाम स्तोत्रम का पाठ करने के लिए, एकांत स्थान में बैठ जाएं और अपने मन को शांत करें. फिर, इस मंत्र का पाठ करें, शब्दों का अर्थ समझते हुए. आप इस मंत्र का पाठ एक बार, तीन बार, या दस बार कर सकते हैं.