श्री सीताराम स्तोत्रम (Shri Sita Rama Stotram Lyrics) एक प्रसिद्ध हिन्दू स्तोत्र है जिसमें भगवान श्रीराम और देवी सीता की महिमा का गुणगान किया गया है। यह स्तोत्र भक्तिभाव से पढ़ा जाता है और इसका पाठ भगवान श्रीराम और माता सीता के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक होता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्त श्रीराम के आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं और अपने जीवन को सुखमय और समृद्धि पूर्ण बनाने का प्रयास करते हैं।
यह स्तोत्र संस्कृत में होता है और इसके शब्दों में भगवान राम की महिमा, उनके गुण, और देवी सीता के साथ उनके प्रेम का वर्णन किया गया है। इस स्तोत्र का पाठ भगवान राम की भक्ति और समर्पण की भावना के साथ किया जाता है और इससे भक्त का आत्मा को शांति और सुख की प्राप्ति होती है।
“श्री सीताराम स्तोत्रम (Shri Sita Rama Stotram Lyrics)” का पाठ करने से व्यक्ति अपने जीवन में धर्म, नैतिकता, और प्रेम की महत्वपूर्ण सीखें और भगवान श्रीराम के आदर्शों का पालन करें। यह स्तोत्र भक्ति और आध्यात्मिकता के माध्यम से आत्मा को प्रेरित करता है और भगवान के प्रति श्रद्धा को बढ़ावा देता है।
श्री सीताराम स्तोत्रम् किसने लिखा ?
श्रीरामरक्षास्तोत्रम् बुधकौशिक नामक ऋषि द्वारा भगवान श्रीराम की स्तुति में रचा गया स्तोत्र है।
Shri Sita Rama Stotram Lyrics in Hindi/Sanskrit
श्री सीताराम स्तोत्रम्
अयोध्यापुरनेतारं मिथिलापुरनायिकाम् ।
राघवाणामलंकारं वैदेहानामलंक्रियाम् ॥ 1 ॥
रघूणां कुलदीपं च निमीनां कुलदीपिकाम् ।
सूर्यवंशसमुद्भूतं सोमवंशसमुद्भवाम् ॥ 2 ॥
पुत्रं दशरथस्याद्यं पुत्रीं जनकभूपतेः ।
वशिष्ठानुमताचारं शतानंदमतानुगाम् ॥ 3 ॥
कौसल्यागर्भसंभूतं वेदिगर्भोदितां स्वयम् ।
पुंडरीकविशालाक्षं स्फुरदिंदीवरेक्षणाम् ॥ 4 ॥
चंद्रकांताननांभोजं चंद्रबिंबोपमाननाम् ।
मत्तमातंगगमनं मत्तहंसवधूगताम् ॥ 5 ॥
चंदनार्द्रभुजामध्यं कुंकुमार्द्रकुचस्थलीम् ।
चापालंकृतहस्ताब्जं पद्मालंकृतपाणिकाम् ॥ 6 ॥
शरणागतगोप्तारं प्रणिपादप्रसादिकाम् ।
कालमेघनिभं रामं कार्तस्वरसमप्रभाम् ॥ 7 ॥
दिव्यसिंहासनासीनं दिव्यस्रग्वस्त्रभूषणाम् ।
अनुक्षणं कटाक्षाभ्यां अन्योन्येक्षणकांक्षिणौ ॥ 8 ॥
अन्योन्यसदृशाकारौ त्रैलोक्यगृहदंपती।
इमौ युवां प्रणम्याहं भजाम्यद्य कृतार्थताम् ॥ 9 ॥
अनेन स्तौति यः स्तुत्यं रामं सीतां च भक्तितः ।
तस्य तौ तनुतां पुण्याः संपदः सकलार्थदाः ॥ 10 ॥
एवं श्रीरामचंद्रस्य जानक्याश्च विशेषतः ।
कृतं हनूमता पुण्यं स्तोत्रं सद्यो विमुक्तिदम् ।
यः पठेत्प्रातरुत्थाय सर्वान् कामानवाप्नुयात् ॥ 11 ॥
इति हनूमत्कृत-सीताराम स्तोत्रं संपूर्णम् ॥
Shri Sita Rama Stotram Lyrisc in English:-
ayōdhyāpuranētāraṃ mithilāpuranāyikām ।
rāghavāṇāmalaṅkāraṃ vaidēhānāmalaṅkriyām ॥ 1 ॥
raghūṇāṃ kuladīpaṃ cha nimīnāṃ kuladīpikām ।
sūryavaṃśasamudbhūtaṃ sōmavaṃśasamudbhavām ॥ 2 ॥
putraṃ daśarathasyādyaṃ putrīṃ janakabhūpatēḥ ।
vaśiṣṭhānumatāchāraṃ śatānandamatānugām ॥ 3 ॥
kausalyāgarbhasambhūtaṃ vēdigarbhōditāṃ svayam ।
puṇḍarīkaviśālākṣaṃ sphuradindīvarēkṣaṇām ॥ 4 ॥
chandrakāntānanāmbhōjaṃ chandrabimbōpamānanām ।
mattamātaṅgagamanaṃ mattahaṃsavadhūgatām ॥ 5 ॥
chandanārdrabhujāmadhyaṃ kuṅkumārdrakuchasthalīm ।
chāpālaṅkṛtahastābjaṃ padmālaṅkṛtapāṇikām ॥ 6 ॥
śaraṇāgatagōptāraṃ praṇipādaprasādikām ।
kālamēghanibhaṃ rāmaṃ kārtasvarasamaprabhām ॥ 7 ॥
divyasiṃhāsanāsīnaṃ divyasragvastrabhūṣaṇām ।
anukṣaṇaṃ kaṭākṣābhyāṃ anyōnyēkṣaṇakāṅkṣiṇau ॥ 8 ॥
anyōnyasadṛśākārau trailōkyagṛhadampatī।
imau yuvāṃ praṇamyāhaṃ bhajāmyadya kṛtārthatām ॥ 9 ॥
anēna stauti yaḥ stutyaṃ rāmaṃ sītāṃ cha bhaktitaḥ ।
tasya tau tanutāṃ puṇyāḥ sampadaḥ sakalārthadāḥ ॥ 10 ॥
ēvaṃ śrīrāmachandrasya jānakyāścha viśēṣataḥ ।
kṛtaṃ hanūmatā puṇyaṃ stōtraṃ sadyō vimuktidam ।
yaḥ paṭhētprātarutthāya sarvān kāmānavāpnuyāt ॥ 11 ॥
iti hanūmatkṛta-sītārāma stōtraṃ sampūrṇam ॥
श्री सीताराम स्त्रोतम के लाभ | Benefits of Shri Sita Rama Stotram
- श्री सीताराम स्त्रोतम (Shri Sita Rama Stotram) का पाठ करने से भगवान श्रीराम और माता सीता की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन को सुखमय और समृद्धि से भर देती है।
- यह स्त्रोत रोग और बुराई से बचाव में मदद करता है और शांति और सुकून का अहसास कराता है।
- इसका पाठ मानसिक चिंताओं को दूर करने में मदद करता है और मानसिक स्थिति को स्थिर रखता है।
- श्री सीताराम स्त्रोतम का पाठ करने से व्यक्ति को धैर्य और सहनशीलता की भावना होती है।
- यह स्त्रोत व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति में मदद करता है और उन्हें दुखों से मुक्ति दिलाता है।
- श्री सीताराम स्त्रोतम (Shri Sita Rama Stotram Lyrics) का पाठ करने से भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है, जो आत्मिक विकास को प्रोत्साहित करता है।
- यह स्त्रोत संबंधों में सौहार्द और समरसता को बढ़ावा देता है और व्यक्ति को अपने परिवार और समाज में समर्पित बनाता है।
- श्री सीताराम स्त्रोतम का पाठ करने से व्यक्ति की आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और वह समस्त चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहता है।
श्री सीताराम स्त्रोतम का पाठ करने से पहले, आपको एक शांत और पवित्र स्थान पर बैठकर मन को शुद्ध करना चाहिए। फिर निम्नलिखित विधि के साथ स्त्रोतम का पाठ करें:
पहले अपने मन को श्रीराम और माता सीता की ध्यान में लगाएं और उनकी कृपा के लिए संकल्प लें।
अपने हाथों को धूप के धुएं से स्नान करें और पवित्रता की स्थापना करें।
अब श्री सीताराम स्त्रोतम का पाठ (Shri Sita Rama Stotram) करें, ध्यानपूर्वक और भक्ति भाव से। आप इसे रोजाना पढ़ सकते हैं या किसी विशेष अवसर पर कर सकते हैं।
पूरे स्त्रोतम के पाठ के बाद, श्रीराम और माता सीता का ध्यान करते हुए ध्यानित रहें और उनके आशीर्वाद का स्वागत करें।
अपने मन में सीताराम जी की अनुभूति करें और उनके प्रेम और दया के साथ अपने जीवन को भर देने का संकल्प लें।
स्त्रोतम के पाठ के बाद ध्यान और प्रार्थना के साथ, अपने जीवन में सीताराम जी के गुणों को अपनाने का प्रतिज्ञान करें और उनके मार्ग पर चलने का संकल्प करें।