स्तंभेश्वर महादेव मंदिर (Stambheshwar Mahadev Mandir) भारत के गुजरात राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक स्थल है। अरब सागर में खंबात की खाड़ी में गिरा हुआ है।
यह एक ऐसी अनोखी मंदिर है जहां भगवान शिव पुरे दिन में दो बार दर्शन देते है।और फिर पूरा मंदिर जलमग्न हो जाता है। इस मंदिर की महिमा देखने के लिए भक्तों को सुबह से लेकर रात तक रुकना पड़ता है
मंदिर का नाम “स्तंभेश्वर” भगवान शिव के एक रूप स्तंभेश्वर महादेव के नाम पर रखा गया है। इस मंदिर के गर्भगृह में स्तंभेश्वर महादेव की प्रतिमा स्थापित है, जिसे स्थानीय लोग भक्ति भाव से पूजते हैं।
मंदिर की स्थान स्थिति बहुत ही प्राकृतिक और शांतिपूर्ण है। यह गुजरात के समुद्र तट से कुछ दूर एक छोटे सा गांव के आस-पास बसा है। मंदिर के पास आध्यात्मिकता का वातावरण अनुभव करने के लिए आत्मीय वातावरण है। इसके आस-पास पेड़-पौधों से घिरा हुआ प्राकृतिक वातावरण और नदी के किनारे स्थित मंदिर को और भी शोभायमान बनाती है।
Stambheshwar Mahadev Temple Location | स्तंभेश्वर महादेव मंदिर कहां स्थित है
यह मंदिर सोमनाथ से लगभग 65 किलोमीटर दूर, गुजरात के गिर सोमनाथ जनपद में स्थित है।और राजधानी गांधीनगर से लगभग 175 किलोमीटर दूर जंबूसर के कवि कम्बोई गांव में स्थित है।
Stambheshwar Mahadev Temple History
18 हिन्दू पुराणों में से एक, स्कन्द पुराण में इस मंदिर का संदर्भ दिया गया है। जब देवी-देवताओं तारकासुर की हत्या के लिए कार्तिकेय की महिमा का स्तुति कर रही थीं, तब कार्तिकेय खुद अपने कार्य से दुखी हो गए।
उन्होंने देवताओं से कहा – ‘मुझे खेद है कि मैंने तारकासुर की हत्या की, क्योंकि वह भगवान शिव के महान भक्त थे। क्या मेरे पाप का प्रायश्चित करने का कोई तरीका है?’ भगवान विष्णु ने उन्हें संतुष्ट किया – ‘मासूम लोगों के रक्त पर पोषित होने वाले एक दुष्ट व्यक्ति की हत्या करना पाप नहीं है। लेकिन फिर भी, अगर आपको आत्मशांति नहीं हो रही है तो आपके पाप का प्रायश्चित करने के लिए भगवान शिव की पूजा करने के अलावा कोई बेहतर तरीका नहीं है। शिवलिंग स्थापित करें और उन्हें गहरी भक्ति के साथ पूजा करें।’
कार्तिकेय ने विष्णुकर्मा से तीन दिव्य शिवलिंग बनाने के लिए निर्देश दिए। बाद में कार्तिकेय ने इन शिवलिंगों को तीन अलग-अलग स्थानों पर स्थापित किया और उपयुक्त रीति-रिवाजों के साथ उन्हें पूजा की। समय के साथ ये तीन पवित्र स्थल प्रतिज्ञेवर, कपालेश्वर और कुमारेश्वर के रूप में मशहूर हो गए।
ऐसा माना जाता है कि स्तंभेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण देवताओं द्वारा श्री कार्तिकेय जी की अगुआई में स्थापित किया गया था।
क्यों डूबता है यह मंदिर दिन में दो बार?
भारत में एक यही ऐसा मंदिर है जो पानी में पूरी तरह से जल मग्न हो जाता है। यही वजह है की यह मंदिर इतना अनोखा है। दरासल इसके पीछे का कारण प्रकृति है , पुरे दिन समुद्र का स्तर इतना बढ़ जाता है की मंदिर पानी में पूरी तरह से डूब जाता है , और फिर पानी का स्तर काम होने के बाद मंदिर फिर दिखाई देने लगता है।
ऐसा सुबह शाम दो बार होता है और लोगों द्वारा इसे शिवलिंग का अभिषेक माना जाता है।
वडोदरा के स्तंभेश्वर महादेव मंदिर में स्थित शिवलिंग की ऊंचाई 4 फीट और इसका व्यास 2 फीट का है. कहते हैं यहां दर्शन करने से जीवन की सारी कठिनाइयां दूर हो जाती है
Best Time to Visit Stambheshwar Mahadev Temple | स्तंभेश्वर महादेव मंदिर के दर्शन का समय क्या है?
स्तंभेश्वर महादेव मंदिर का समय दिनभर खुला रहता है। मंदिर के दर्शन का समय सुबह 5 बजकर 30 मिनट से रात्रि 10 बजकर 30 मिनट तक है। भक्तों को समय के अनुसार मंदिर में भगवान शिव की पूजा और अर्चना का आनंद मिलता है।
कैसे पहुँचा जाता है यहाँ ?
कवि कंबोई वडोदरा से लगभग 78 किमी दूर है। आप ट्रेन और बस से वडोदरा पहुंच सकते हैं।