तुलसीदास-जयंती

Tulsidas Jayanti 2023: जानें क्यों तुलसीदास जयंती मनाई जाती है?

भारतीय संस्कृति में संतों का महत्व हमेशा से ही उच्च रहा है। उनके उपदेश, काव्य, और योगदान ने आत्मा की ऊँचाइयों को छूने में सहायता की है। एक ऐसे ही महान संत-कवि का जन्म आज से लगभग 500 वर्ष पहले हुआ था, जिनका नाम है “तुलसीदास (Tulsidas)”। उनकी जयंती को “तुलसीदास जयंती (Tulsidas Jayanti)” के रूप में मनाने का पर्व आज भी हमारे दिलों में गहराई से बसा है।

तुलसीदास कौन थे?

तुलसीदास (1497-1623 C.E) भारतीय साहित्य के एक महत्वपूर्ण कवि और संत थे, जिन्होंने भक्ति और आत्मा के महत्व को अपनी कविताओं के माध्यम से लोगों के दिलों में बसाया। उन्होंने आपके कृतियों के माध्यम से रामायण को हिंदी भाषा में जन-जन तक पहुँचाया।

जानिए तुलसीदास जयंती 2023 में कब है ? | Tulsidas Jayanti 2023 Date

तुलसीदास जयंती 23 अगस्त बुधवार को है। तिथि कुछ इस प्रकार है : यह प्रारम्भ 03:05am और 03:31am 24 अगस्त गुरुवार को समाप्त है।

तुलसीदास का जन्म और मृत्यु तिथि: | Tulsidas Date of Birth and Death

तुलसीदास (Tulsidas) का जन्म वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वे महाकवि गोस्वामी तुलसीदास के रूप में प्रसिद्ध हुए। उनका जन्म विक्रम संवत् 1511 में हुआ था और उनकी मृत्यु विक्रम संवत 1623 में हुई। उनके जीवनकाल में ही उन्होंने अपने योगदान के बल पर लोगों के दिलों को छू लिया और उन्हें आत्मा की महत्वपूर्णता के प्रति जागरूक किया।

तुलसीदास की कविताओं में राम, सीता, और भक्ति के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा थी। उनकी रचनाएँ हमें धार्मिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए प्रेरित करती हैं। तुलसीदास जयंती के दिन, हम उनके अनमोल उपदेशों को याद करके उनकी स्मृति में श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने हमें आध्यात्मिकता की महत्वपूर्णता को समझाया।

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तुलसीदास जयंती (Tulsidas Jayanti) हमें उनकी महानता और भक्ति की प्रेरणा से ओतप्रोत होने का अवसर प्रदान करती है, और हमें उनके उपदेशों को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरित करती है। इस खास मौके पर, हमें उनके जीवन और काव्य के बारे में गहराई से जानकारी प्राप्त करके उनकी महानता को सलाम करते हैं।

संत तुलसीदास की कहानी | Tulsidas Biography in hindi

संत तुलसीदास (Tulsidas) का जन्म उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के राजपुर गांव में हुआ। उनके पिता का नाम आत्माराम शुक्ल दुबे और माता का नाम हुलसी था। उनका असली नाम रमेश्वर था, लेकिन उनकी भक्ति और साधना के परिणामस्वरूप उन्होंने तुलसीदास नाम प्राप्त किया। वे बचपन से ही आध्यात्मिक आकर्षण में थे और ध्यान-भक्ति में लीन रहते थे।

तुलसीदास की रचनाएँ उनकी भारतीय संस्कृति के प्रति गहरी श्रद्धा और आदर का प्रतीक हैं। उनके लेखन से प्रकट होता है कि वे भगवान के प्रति अपनी अत्यंत आदर्श भक्ति और समर्पण में लीन रहे हैं।

तुलसीदास और उनकी पत्नी की कहानी

तुलसीदास के जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना उनकी पत्नी रत्नावली के साथ जुड़ी है। तुलसीदास अपने पत्नी से अत्यधिक प्रेम करते थे एक दिन रत्नावली बिना बताये अपने माता-पिता के घर चली गयी और तुलसीदास उनकी खोज करने लगे और रत्नावली से मिलने के लिए उनके घर तक चले गए जब उन्हें अपनी पत्नी के कक्ष तक पहुंचने का कोई मार्ग नहीं मिला तो वह सर्प को रस्सी समझ कर उनके कक्ष तक पहुंच गए बाद में जब उन्होंने ये बात अपनी पत्नी को बताई तो वे उनसे बहुत नाराज़ हुई और तुलसीदास से कहा कि ‘अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति। नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत।।’ इसका अर्थ है की जितना प्रेम आपने मानव शरीर से किया उतना राम से किया होता तो जीवन सफल हो जाता।

इस बात ने तुलसीदास के अंतर्मन को जाग्रत कर दिया उस दिन से उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन भगवन श्री राम को समर्पित कर दिया. तुलसीदास ने जीवन में राम-भक्ति का अद्वितीय माध्यम मानकर उनके लक्ष्य की दिशा में प्रयास किया। उन्होंने आपके कृतियों के माध्यम से ‘रामचरितमानस’ नामक भगवान राम के जीवन की कथा को हिन्दी भाषा में लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया। इस महाकाव्य में उन्होंने राम के भक्ति, धर्म, और नैतिकता के सिद्धांतों को उजागर किया।

तुलसीदास का जीवन (Life of Tulsidas) और उनकी रचनाएँ हमें धर्म, भक्ति, और आध्यात्मिकता की महत्वपूर्ण शिक्षाएं देते हैं। उनकी कहानी हमें उनके आदर्शों और संदेशों का पालन करने की महत्वपूर्णता को सिखाती है। उनकी रचनाएँ आज भी हमारे समाज में मानवता और धार्मिकता के प्रतीक के रूप में महत्वपूर्ण हैं।

तुलसीदास की रचनाएँ: भक्ति के प्रतीक

तुलसीदास, भारतीय साहित्य के महान कवि और संत, ने अपनी रचनाओं से हमें आध्यात्मिकता और भक्ति के मार्ग पर चलने का प्रेरणा दिया। उनकी कविताओं और रचनाओं के माध्यम से हम उनके अद्वितीय संदेशों को समझ सकते हैं:

रामचरितमानस: भगवान राम की कथा का महाकाव्य | Ramcharitmanas

तुलसीदास ने अपने महाकाव्य “रामचरितमानस” के माध्यम से भगवान राम के जीवन की कथा को अनूठे तरीके से प्रस्तुत किया। इस महाकाव्य में वे भगवान राम के लीलाओं, उनके धर्मपरायण जीवन, और भक्ति की महत्वपूर्णता को प्रकट करते हैं।

तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की थी और उसे सात खंडों में बांटा था।

  • बाल कांड
  • अयोध्या कांड
  • अरण्य कांड
  • किष्किंधा कांड
  • सुंदर कांड
  • लंका कांड
  • उत्तर कांड

हनुमान चालीसा: हनुमान की महिमा | Hanuman Chalisa

तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) के माध्यम से हनुमान जी की महिमा और उनके पराक्रम को गाया। यह चालीसा हमें भगवान हनुमान के प्रति श्रद्धा और भक्ति की महत्वपूर्णता को सिखाती है।

कवितावली: भगवान राम के प्रेम की कविताएं

तुलसीदास जी ने “कवितावली” में भगवान राम के प्रेम के अद्वितीय भावनाओं को व्यक्त किया। इसके माध्यम से वे हमें भगवान के प्रति अनुराग और भक्ति की महत्वपूर्णता को सिखाते हैं।

बजरंगबाण: हनुमान की शक्तियों का वर्णन

तुलसीदास जी ने बजरंगबाण (Bajarang Baan) के माध्यम से हनुमान जी की अद्भुत शक्तियों का वर्णन किया। इस प्रकार, वे हमें शक्तिशाली भक्ति की महत्वपूर्णता को समझाते हैं।

तुलसीदास जी की रचनाएं हमें उनके आदर्शों का पालन करने, धर्मपरायण जीवन जीने, और भगवान के प्रति आदर और श्रद्धा की महत्वपूर्णता को सिखाती हैं। उनकी रचनाओं के माध्यम से हम आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में प्रगति कर सकते हैं,इत्यादि।

तुलसीदास जयंती का महत्व:

तुलसीदास जयंती एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है, जो भगवान राम के भक्त और महान कवि तुलसीदास की स्मृति में मनाया जाता है। यह त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है, जो भगवान राम के प्रति उनकी अद्वितीय भक्ति की याद में आयोजित किया जाता है। यह त्योहार भागवत सत्संग और तुलसी व्रत के साथ मनाया जाता है और लोग इस मौके पर उनके द्वारा लिखी गई कविताओं और ग्रंथों का पाठ करते हैं।

तुलसीदास का सन्देश:

तुलसीदास के जीवन और उनकी रचनाओं के माध्यम से हमें प्रेम, श्रद्धा, और भक्ति का मार्ग प्रदर्शित होता है। उनकी रचनाओं में भगवान राम के प्रति उनकी अद्वितीय भक्ति और सर्वजन समरसता का संदेश होता है। उनकी महाकाव्य “रामचरितमानस” में हर वर्ग के लोगों के लिए संदेश होता है कि ईश्वरीय मूल्यों का पालन करते हुए समाज में समरसता और उदारता बनाए रखें।

तुलसीदास की रचनाएं और उनका प्रभाव:

तुलसीदास की रचनाएं हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। उनकी प्रमुख रचना “रामचरितमानस” है, जिसे उन्होंने अवधी भाषा में लिखा और जो समाज में राम कथा का प्रसार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा, उन्होंने कई अन्य रचनाएं भी लिखी जो भगवान की भक्ति, धर्म, और मानवता के मूल्यों को प्रस्तुत करती हैं।

तुलसीदास की जयंती को मनाकर हम उनके महान काव्य और संदेश को याद करते हैं, जो हमें उद्धारणीय जीवन के मार्ग का प्रदर्शन करते हैं। उनकी जयंती का उत्सव हमें साहित्यिक धरोहर की महत्वपूर्ण भूमिका को याद दिलाता है और हमें एक महान व्यक्तित्व के प्रति हमारी श्रद्धा और समर्पण को मजबूती से बढ़ावा देता है।

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