भारतीय पौराणिक और धार्मिक परंपराओं में एक अत्यधिक महत्वपूर्ण धारणी के रूप में रुद्राक्ष को माना गया है। इसे आध्यात्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है, और यह धार्मिक आयाम में भी महत्वपूर्ण होता है। इस लेख में, हम आपको भिन्न प्रकार के रुद्राक्ष (Different Types of Rudraksha) की प्रामुख श्रेणियों के बारे में बताएंगे, जो आपके आध्यात्मिक और शारीरिक लाभों को प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।
रुद्राक्ष कितने प्रकार के होते हैं? | How many types of Rudraksha are there?
रुद्राक्ष में विभिन्न “मुखियों” या “चेहरों” पाए जाते है, जिनकी संख्या 1 से 21 तक की होती है। इनमें से, 1 से 14 मुखियों वाले रुद्राक्ष सामान्य रूप से पाए जाते हैं। इनमें से प्रत्येक का अपना विशेष महत्व और गुण होते हैं, और इन्हें विभिन्न आध्यात्मिक और शास्त्रीय उपायों में उपयोग किया जाता है।
इसके अलावा 22 वर्टिकल लाइनों वाले अलग-अलग प्रकार के रुद्राक्ष (Different Types of Rudraksha) भी होते हैं, लेकिन वे अत्यंत दुर्लभ होते हैं, और उनके गुणों का अभ्यास अभी तक नहीं किया गया है।
इसके अलावा कुछ प्रमुख रुद्राक्ष के प्रकार है जिसे हम गौरी शंकर रुद्राक्ष, सावर रुद्राक्ष, त्रिजुटी रुद्राक्ष, गणेश रुद्राक्ष और गर्भ गौरी रुद्राक्ष के रूप में जानते है
रुद्राक्ष के विभिन्न मुखों में अलग-अलग नक्षत्रों, देवताओं, और ऋषियों का आवास होता है, और इनकी विशेषताओं के आधार पर रुद्राक्ष से बनी मालाओं और जेवरात का उपयोग किया जाता है।
आइये सभी प्रकार के रुद्राक्ष के महत्व, फायदे और अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों को विस्तार से जाने-
1. एक मुखी रुद्राक्ष | 1 Mukhi Rudraksha
एक मुखी रुद्राक्ष, भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसका महत्व अत्यधिक है।
इसमें भगवान शिव की परम शक्ति और आशीर्वाद समाहित होता है, जिससे धारण करने वाले को यश, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।एक मुखी रुद्राक्ष का संबंध भगवान शिव से है और इसके धारण करने से ब्रह्महत्या जैसे पाप की प्रायश्चित्त होती है।
एक मुखी रुद्राक्ष को ‘ॐ ह्रीं नम:’ मंत्र के साथ धारण करने से व्यक्ति के जीवन की समस्त कमियां दूर हो जाती हैं।
1 मुखी रुद्राक्ष पहनने के फायदे
- इसके धारण से व्यक्ति के घर में सुख-समृद्धि आती है, और सभी प्रकार के उपद्रव नष्ट हो जाते हैं।
- एक मुखी रुद्राक्ष के धारण से लक्ष्मी माता सदैव वास करती है और आर्थिक समृद्धि का आशीर्वाद देती है।
- रूद्र सहिंता में इसका वर्णन किया गया है कि एक मुखी रुद्राक्ष के वासिक घर में दरिद्रता और आर्थिक संकट का वास नहीं होता है।
एक मुखी रुद्राक्ष की पहचान कैसे करें?
- एक मुखी रुद्राक्ष की पहचान का सबसे महत्वपूर्ण प्रमाण है कि यह आधे काजू के आकार में होता है और इसमें केवल एक मुख होता है।
- इसकी पहचान के लिए, आप रुद्राक्ष को गर्म पानी में डुबाकर देख सकते हैं, अगर इसमें कोई रंग छोड़ने लगता है तो वह असली नहीं हो सकता।
- एक और पहचान का तरीका है कि आप रुद्राक्ष को सरसों के तेल में डुबोकर रखें, अगर इसका रंग गहरा और स्थिर दिखता है तो वह असली हो सकता है।
2 दो मुखी रुद्राक्ष | 2 Mukhi Rudraksha
2 मुखी रुद्राक्ष को शिव शक्ति का प्रतीक माना जाता है, और इसके धारण करने से आत्मविश्वास और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
इस रुद्राक्ष का महत्व चंद्रमा से भी जुड़ा होता है, क्योंकि चंद्रमा मन के कारक होता है।
इसे ‘अर्धनारीश्वर’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह माता पार्वती और भगवान शिव का एकत्र रूप है।
2 मुखी रुद्राक्ष को सोमवार को धारण करने की सिफारिश की जाती है, क्योंकि सोमवार का चंद्रमा से गहरा संबंध होता है।
इसका धारण मंत्र है: ‘ॐ नम:’
2 मुखी रुद्राक्ष के फायदे (2 Mukhi Rudraksha Ke Fayde):
- द्विमुखी रुद्राक्ष को धारण करने से पूर्व जन्मों के संचित पाप मिट जाते हैं, और व्यक्ति में आत्मा की शुद्धि होती है।
- इसके धारण करने से व्यक्ति को भगवान शिव के समान समता प्राप्त होता है।
- यदि कोई व्यक्ति पांच वर्षों तक इसे धारण करता है और इसके साथ स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी सभी कामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं।
- नारद पुराण के अनुसार, इसका धारण करने से व्यक्ति को यौन दृढ़ता प्राप्त होती है, और वह रचनात्मकता और सफलता प्राप्त करता है।
- 2 मुखी रुद्राक्ष को पहनने से 108 गौओं का दान करने का पुण्य मिलता है।
- महा शिव पुराण के अनुसार, इसके धारण करने से सभी परेशानियाँ दूर हो जाती हैं और व्यक्ति का परिवारिक जीवन सुखमय होता है।
- इसका सीधा सम्बंध मानसिक स्थिति से होता है, इसलिए यह मानसिक स्थिति को सुधारने में मदद करता है।
इसके फायदों को यदि एक श्लोक में समेटा जाए तो ये कुछ इस प्रकार है
द्विवस्त्रों देव देवेशो गोबधं नाश्येदध्रुवं
3. तीन मुखी रुद्राक्ष | 3 Mukhi Rudraksha
यह त्रि-शक्तियों ब्रह्मा-विष्णु-महेश से संबंधित है जिस कारण इसकी व्याख्या संस्कृत में कुछ इस प्रकार की गई है
त्रिवक्योग्निस्य विज्ञेयःस्त्री हत्या च व्यपोहति
तीन मुखी रुद्राक्ष का महत्व (Importance of 3 Mukhi Rudraksha):
तीन मुखी रुद्राक्ष में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, और महेश की त्रिगुणात्मक शक्तियां प्रतिष्ठित होती हैं, जिसका महत्व अत्यधिक है।
इस रुद्राक्ष का धारण करने से परम शांति और खुशहाली प्राप्त होती है, और व्यक्ति को साथी, सुख, संपत्ति, यश, और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
तीन मुखी रुद्राक्ष का संबंध अग्नि तत्व से है, जिसके द्वारा पापों का नाश होता है।
इसका धारण मंत्र है: ‘ॐ क्लीं नम:’
3 मुखी रुद्राक्ष के फायदे (3 Mukhi Rudraksha Ke Fayde):
- तीन मुखी रुद्राक्ष में त्रिशक्तियों का सम्मिश्रण होता है, जिसके कारण इसे धरने वाले को धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- इसका धारण करने से व्यक्ति कई प्रकार की कलाओं में निपुण हो जाता है, और उसे आगे बढ़ने के लिए साहस और सामर्थ्य मिलती है।
- त्रिशक्ति रुपी तीन मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं, और पिछले जन्मों के पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है।
- इसके अलावा, यह रुद्राक्ष नकारात्मक विचार, अपराध बोध, और हीनभावना को कम करने में मदद करता है, और रक्तचाप, कमजोरी, और पेट संबंधित बीमारियों का भी उपचार करता है।
4 चार मुखी रुद्राक्ष | 4 Mukhi Rudraksha
चार मुखी रुद्राक्ष को ब्राह्मणों का प्रतीक माना जाता है, और इसके धारण करने से त्वचा के रोग, मानसिक छमता, और रचनात्मकता में विशेष लाभ होता है।
इसका संबंध ब्रह्मा जी से माना जाता है, क्योंकि वे संसार के सभी पदार्थों के जड़-चेतन के स्वामी माने जाते हैं।
इसका धारण मंत्र है: ‘ॐ ह्रीं नम:’
4 मुखी रुद्राक्ष के फायदे (4 Mukhi Rudraksha Ke Fayde):
- चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति ब्रह्मा जी की भांति निर्माण कार्यों में लीन हो जाता है और उसी दिशा में कार्य करना आरंभ कर देता है।
- इसका धारण करने से व्यक्ति को चार फलों – धन, काम, धर्म, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- चार मुखी रुद्राक्ष का प्रयोग करने से प्रेत बाधा, नक्षत्र बाधा, तनाव, और मानसिक समस्याएँ दूर हो सकती हैं।
- इससे पीत ज्वर, श्वास रोग, गर्भस्थ शिशु दोष, बांझपन, और नपुंसकता जैसी बीमारियों का भी उपचार होता है।
- चार मुखी रुद्राक्ष से व्यक्ति को मेधावी आँखें प्राप्त होती हैं, और वह तेजस्वी बनता है।
- इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे मानसिक संतुलन स्थिर रहता है।
4 मुखी रुद्राक्ष की पहचान (Identification of 4 Mukhi Rudraksha)
रुद्राक्ष की पहचान उसकी धारियों के आधार पर होती है, और चार मुखी रुद्राक्ष में चार धारियाँ होती हैं, जिससे इसे पहचाना जा सकता है।
इंडोनेशिया और नेपाल में चार मुखी रुद्राक्ष पाया जाता है, और इन रुद्राक्षों के दाने अलग-अलग व्यास के होते हैं, जैसे कि इंडोनेशिया के 10 मुखी रुद्राक्ष के दाने 4 से 15 मिलीमीटर व्यास के होते हैं, और नेपाल के 10 मुखी रुद्राक्ष के दाने 10 से 33 मिलीमीटर व्यास के होते हैं।
5.पांच मुखी रुद्राक्ष | 5 Mukhi Rudraksha
5 मुखी रुद्राक्ष को भगवान शिव के साक्षात् रूप के रूप में माना जाता है, और इसका धारण करने से मंत्र शक्ति और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
इसका संबंध भगवान शिव के पांच मुखों वाले स्वरुप से है, जो पंचमुखी रूद्र के नाम से जाने जाते हैं। चार मुखों में सौम्य प्रवृत्ति है जबकि एक मुख भयंकर रूप में होता है।
महादेव के पांच कार्य हैं – सृष्टि, पालन, संहार, तिरोभाव, और अनुग्रह, और ये कार्य उनके पांच मुखों से संबंधित हैं।
इसका धारण मंत्र है: ‘ॐ ह्रीं क्लीं नम:’
5 मुखी रुद्राक्ष के फायदे (Benefits of 5 Mukhi Rudraksha):
- 5 मुखी रुद्राक्ष को “कालाग्नि” भी कहा जाता है, और इसका धारण करने से भौतिक और दैहिक रोगों का इलाज संभव होता है।
- यह बुरे कर्मों को नष्ट करने में मदद करता है और आत्मशुद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।
- 5 मुखी रुद्राक्ष का धारण करने से मधुमेह, स्तनशिथिलता, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, और एसिडिटी जैसी बीमारियों से बचाव किया जा सकता है।
- इसे धारण करने से गुरु के प्रतिकूल प्रभाव से छुटकारा मिलता है।
- यदि पूरी माला का धारण करना संभव नहीं हो, तो केवल 5 मुखी रुद्राक्ष को गूंथ कर धारण किया जा सकता है।
5 मुखी रुद्राक्ष पहनने के नियम (5 मुखी रुद्राक्ष पहनने की विधि):
5 मुखी रुद्राक्ष को सोने या चांदी में मढ़वाकर या बिना मढ़वाए भी पहन सकते हैं.
सबसे पहले, इसे गंगाजल या दूध से शुद्ध करना चाहिए.
फिर, भगवान शिव की प्रतिमा के सामने धूप और दीपक जलाकर पूजा करें.
उपासना के बाद, ‘ॐ ह्रीं क्लीं नम:’ मंत्र का 108 बार जाप करें.
धारण करने के लिए श्रावण मास और सोमवार को अधिक शुभ माना जाता है.
ध्यान रखें कि इसे शमशान में या किसी शव यात्रा में नहीं ले जाना चाहिए.
5 मुखी रुद्राक्ष की पहचान (How to Identify 5 Mukhi Rudraksha):
रुद्राक्ष को पहचानने के लिए, आप इसे पानी में थोड़े समय के लिए उबाल सकते हैं। यदि वह रंग नहीं छोड़ता है, तो यह असली हो सकता है।
एक और तरीका है कि आप इसे सरसों के तेल में रखें और यदि रुद्राक्ष का रंग उसके रंग से थोड़ा गहरा दिखता है, तो भी यह असली हो सकता है।
6 छः मुखी रुद्राक्ष | 6 Mukhi Rudraksha
6 मुखी रुद्राक्ष को भगवान कार्तिकेय के रूप में माना जाता है और इसका धारण करने से आत्मविश्वास और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
इसे दाहिने हाथ में धारण किया जाता है, और इसका संबंध कार्तिकेय से है, जिन्होंने छः मुख धारण किए थे ताकि वे सभी को वात्सल्य और स्नेह प्रदान कर सकें।
इसका धारण मंत्र है: ‘ॐ ह्रीं ह्रुं नम:’
6 मुखी रुद्राक्ष के फायदे (Benefits of 6 Mukhi Rudraksha):
- यह रुद्राक्ष भगवान कार्तिकेय से जुड़ा है, और इसका धारण करने से व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है, क्योंकि कार्तिकेय धन के स्वामी माने जाते हैं।
- इस रुद्रक्ष का संबंध शुक्र ग्रह से है, इसलिए जन्मकुंडली में शुक्र ग्रह के प्रभाव के तहत इसे धारण करने से व्यक्ति को धन और संपत्ति में वृद्धि हो सकती है।
- इसका धारण करने से नेत्र से संबंधित रोगों जैसे मोतियाबिंद, दृष्टि दोष, रतौंधी आदि से निजात मिल सकती है।
- इस रुद्रक्ष को बच्चों को पहनाने से उनकी नेत्र ज्योति हमेशा बनी रह सकती है और उनकी बुद्धि का विकास हो सकता है।
- यह धारण करने से व्यक्ति के आत्मविश्वास, शौर्य, प्रेम, और बुद्धि में सुधार होता है, और वह समृद्धि और सफलता की ओर अग्रसर होता है।
- इसके साथ ही, मुख, गले और मूत्र संबंधित रोगों से भी छुटकारा पाया जा सकता है।
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7.सात मुखी रुद्राक्ष | 7 Mukhi Rudraksha
सात मुखी रुद्राक्ष को सप्तर्षियों के स्वरूप में माना जाता है, जो सप्तर्षियों को प्रतिष्ठित ऋषियों का प्रतीक करते हैं।
इसका धारण करने से आर्थिक समृद्धि मिलती है और मंत्रों के जप का फल प्राप्त होता है।
सात मुखों वाली रुद्रक्ष माला को “अनंत” भी कहा जाता है, और इसे महासेन और अन्य देवताओं के नाम से भी जाना जाता है।
इसका धारण मंत्र है: ‘ॐ हुं नम:’
7 मुखी रुद्राक्ष के फायदे (Benefits of 7 Mukhi Rudraksha):
सप्तमुखी रुद्राक्ष का प्रतिनिधित्व शनिदेव करते हैं, और इसका धारण करने से शनि के प्रतिकूल प्रभावों से बचा जा सकता है।
इसका प्रयोग सेवा, नौकरी, और व्यापार करने वालों के लिए लाभकारी होता है, और उन्हें सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है।
यह रुद्राक्ष शारीरिक दुर्बलता, अंगहीनता, विकलांगता, लकवा, मिर्गी, और अन्य रोगों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।
इसके धारण करने से व्यक्ति के जीवन में प्रगति, कीर्ति, और धन की वर्षा होती है, और वह गुप्त धन की प्राप्ति कर सकता है।
8.आठ मुखि रुद्राक्ष | 8 Mukhi Rudraksha
इसे भगवान गणेश के स्वरूप माना जाता है, जिन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है।
अष्टमुखी रुद्राक्ष का धारण करने से आशीर्वाद, सफलता, और सुरक्षा का आश्वासन मिलता है।
इस रुद्रक्ष का सीधा संबंध भगवान गणेश से है, जो सभी बुराईयों को दूर करने के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं।
इसका धारण मंत्र है: ‘ॐ हुं नम:’
8 मुखी रुद्राक्ष के फायदे (Benefits of 8 Mukhi Rudraksha):
- अष्टमुखी रुद्राक्ष का संबंध छायाग्रह से है और इसका प्रयोग राहु दोष से पीड़ित लोगों को राहत प्रदान करता है, साथ ही भगवान गणेश की कृपा बनी रहती है।
- इसके प्रयोग से व्यक्ति का व्यक्तित्व तेजस्वी, बलशाली, और बुद्धिमान बनता है, और उन्हें जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है।
- यह रुद्राक्ष फेफड़ों के रोग, चर्म रोग, सर्पदंश, और अन्य रोगों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।
- इसके प्रयोग से बाहरी और आंतरिक सुंदरता में वृद्धि होती है, और व्यक्ति को बुद्धि विकास और कला में प्रतिनिधित्व प्राप्त होता है।
- इसके धारणा से नाड़ी संबंधित रोगों से भी छुटकारा मिल सकता है।
9.नौ मुखि रुद्राक्ष | 9 Mukhi Rudraksha
इस रुद्राक्ष का महत्व देवी दुर्गा के संबंध में होता है, जिन्हें सहस, शक्ति, और निडरता की प्रतीक माना जाता है।
नौ मुख वाले इस रुद्राक्ष का संबंध भैरव और देवी अम्बे के साथ है, और इसका अधिष्ठात्री देवी कपिल है, जो नवदुर्गा के सभी नौ रूपों की शक्तियों को समाहित करते हैं।
इसका धारण मंत्र है: ‘ॐ ह्रीं ह्रुं नम:’
9 मुखी रुद्राक्ष के फायदे (Benefits of 9 Mukhi Rudraksha):
- नौ मुखी रुद्राक्ष के प्रयोग से वैवाहिक समस्याओं, संतानों की प्राप्ति में बाधा, और व्यापार में आने वाली किसी भी प्रकार की अडचन को दूर किया जा सकता है।
- इसके प्रयोग से राहु दोष, नेत्र रोग, फोड़े-फुंसी, और अन्य बीमारियों से मुक्ति मिल सकती है।
- यह रुद्राक्ष बच्चों के गले में पहनने से उनके निकट श्वास और नेत्र संबंधित बीमारियों को दूर रखने में मदद करता है।
10.दस मुखी रुद्राक्ष | 10 Mukhi Rudraksha
यह बीज प्रेसर्वर भगवान विष्णु को प्रतिष्ठित करता है, जिन्हें सकारात्मकता, शांति, और नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
दसमुखी rudraksha भगवान विष्णु का प्रतिनिधित्व करता है, जो पूरे ब्रह्माण्ड के संचालक हैं।
इसका धारण मंत्र है: ‘ॐ ह्रीं ह्रुं नम:’
10 मुखी रुद्राक्ष के फायदे (Benefits of 10 Mukhi Rudraksha):
- दसमुखी rudraksha माला को धारण करने वाला व्यक्ति और उसका परिवार सदैव भगवान विष्णु की छत्रछाया में रहता है, और विष्णु जी एक सरंक्षक के तौर पर उनकी रक्षा करते हैं।
- इस rudraksha के प्रयोग से व्यक्ति अकाल मृत्यु के भय से मुक्त हो सकता है।
- प्रसव काल (प्रसव का अर्थ होता है जनन या बच्चे को जन्म देना से ठीक पहले) यदि इस दसमुखी rudraksha माला को स्त्री की कमर में बाँध दिया जाए, तो इससे प्रसव क्रिया कम कष्टपूर्वक हो सकती है।
- इसके प्रयोग से मिर्गी, हकलाना, सूखा रोग, काला जादू, भूत-प्रेत, और अकेलेपन जैसे भय से छुटकारा प्राप्त कर सकते हैं।
- यह रुद्राक्ष तनाव और अनिद्रा की शिकायत रखने वालों के लिए भी उपयोगी है।
- नवग्रह की शांति और वास्तु दोषों को दूर करने में भी मदद करता है।
- किसी भी प्रकार की कानूनी समस्या से निपटने और व्यापार में आ रही समस्याओं से निजात पाने में भी सहायक होता है।
- इसका प्रयोग कान और हृदय संबंधित बीमारियों से राहत प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है।
10 मुखी रुद्राक्ष की पहचान (Identification of 10 Mukhi Rudraksha):
10 मुखी रुद्राक्ष के पेड़ के दाने का व्यास 4 से 15 मिलीमीटर के बीच होता है, इंडोनेशिया के पेड़ के दाने का व्यास छोटा होता है और नेपाल के पेड़ के दाने का व्यास बड़ा होता है।
इंडोनेशियाई 10 मुखी रुद्राक्ष के पेड़ के दाने 4 से 15 मिलीमीटर के बीच होते हैं।
नेपाली 10 मुखी रुद्राक्ष के पेड़ के दाने 10 से 33 मिलीमीटर के बीच होते हैं।
10 मुखी रुद्राक्ष की धारणा (Wearing 10 Mukhi Rudraksha):
- पहले 10 मुखी रुद्राक्ष को गंगाजल में स्नान करवाएं।
- फिर इसे चन्दन लगाकर धूप दिखाएं और सफेद फूल चढ़ाएं।
- इसके बाद, इसे शिव जी की मूर्ति या शिवलिंग से स्पर्श करवाएं।
- धारणा के समय ‘ॐ नम:शिवाय’ मंत्र का 11 बार जाप करें।
11.ग्यारह मुखि रुद्राक्ष | 11 Mukhi Rudraksha
यह बीज भक्ति और शक्ति के प्रतीक भगवान हनुमान के संबंध में होता है, जिससे निडरता, आत्मविश्वास, और आध्यात्मिक विकास में सहायकता मिलती है।
ग्यारह मुखी rudraksha भगवान शिव के रूद्र स्वरुप से जुड़ा होता है और इसका संबंध भगवान के सर्वश्रेष्ठ 11 अवतारों की शक्तियों से है।
इसका धारण मंत्र है: ‘ॐ ह्रीं ह्रुं नम:’
11 मुखी रुद्राक्ष के फायदे (Benefits of 11 Mukhi Rudraksha):
- इस रुद्रक्ष का प्रयोग करने से भाग्य में वृद्धि होती है और धन में वृद्धि होती है, साथ ही व्यक्ति पर भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है।
- यह रुद्रक्ष अत्यंत दुर्लभ माना जाता है, और मान्यता है कि इस प्रकार का rudraksha बहुत ही भाग्यवान लोगों को ही प्राप्त होता है।
- इसके प्रयोग से व्यक्ति जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो सकता है और बीमारियों का शमन हो सकता है, जैसे कैंसर, पित्ताश्मरी, और अपस्मार।
12.बारह मुखि रुद्राक्ष | 12 Mukhi Rudraksha
यह बीज सूर्य देवता के संबंध में होता है और नेतृत्व क्षमता, आकर्षण, और सफलता को बढ़ावा देता है।
द्वादशमुखी rudraksha का प्रभाव बिल्कुल एक मुखी रुद्राक्ष के समान होता है, जिसे एकमुखी rudraksha न होने पर धारण किया जा सकता है।
इसको धारण मंत्र है: ‘ॐ ह्रीं ह्रुं नम:’
12 मुखी रुद्राक्ष के फायदे (Benefits of 12 Mukhi Rudraksha):
- जो भी बारहमुखी rudraksha माला को धारण करते हैं या कंठ में धारण करते हैं, वे जो हत्या, नरहत्या, अमूल्य रत्नों की चोरी आदि पापों से मुक्त हो जाते हैं।
- इसके प्रयोग से ह्रदय, त्वचा, और आँखों से जुड़े रोगों, दाद, कुष्ठादि, स्फोट, रतौंधी, रक्त विकार संबंधी बिमारियों से छुटकारा मिलता है।
- उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों को यह जरुर धारण करना चाहिए।
- इसे धारण करने से व्यक्ति हर प्रकार के भय से मुक्त हो जाता है और उसका आत्मतत्व बहुत मजबूत स्थिति में आ जाता है।
- व्यक्ति निर्भीक बनता है और उसका आर्थिक पक्ष मजबूत होता है, और वह दरिद्रता आदि से दूर रहता है।
13.तेरह मुखि रुद्राक्ष | 13 Mukhi Rudraksha
यह बीज प्रेम और इच्छा के देवता कामदेव को प्रतिष्ठित करता है और प्रेम, सामंजस्य, और संतोषप्रद संबंध आकर्षित करता है।
तेरह मुखी rudraksha का प्रतिनिधित्व मां लक्ष्मी करती हैं और इसको धारण करने से मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है।
इसका धारण मंत्र है: ‘ॐ ह्रीं नम:’
13 मुखी रुद्राक्ष के फायदे (Benefits of 13 Mukhi Rudraksha):
- यह rudraksha साधना, सिद्धि, और भौतिक उन्नति के लिए प्रयोग में लाया जाता है, जो व्यक्ति के आध्यात्मिक और भौतिक विकास में मदद करता है।
- आयुर्वेद शास्त्रकारों ने त्रयोदशमुखी rudraksha को संजीवनी की संज्ञा है, जिससे इसके औषधीय महत्व को समझा जा सकता है। यह कैंसर, रक्तचाप, लिंगदोष, योनिदोष, और अन्य रोगों से बचाव करता है।
- इसे धारण करने वाले व्यक्ति सभी प्रकार की महामारियों से बचे रहते हैं।
14.चौदह मुखि रुद्राक्ष | 14 Mukhi Rudraksha
यह दुर्लभ बीज भगवान हनुमान और भगवान शिव के संबंध में होता है और माना जाता है कि यह दिव्य कृपा, आध्यात्मिक उज्ज्वलता, और संरक्षा प्रदान करता है।
इस rudraksha का प्रतिनिधित्व भगवान हनुमान करते हैं और इसे धारण करने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान शिव ने अपनी लीलाओं को संपन्न करने के लिए हनुमान रुपी अवतार लिया था, और संकट मोचक बन हनुमान अपने भक्तों का आज तक उद्धार कर रहे हैं।
धारण मंत्र: ‘ॐ नम:’
14 मुखी रुद्राक्ष के फायदे (Benefits of 14 Mukhi Rudraksha):
- हनुमान जी की कृपा से व्यक्ति सभी संकटों का निर्भीक होकर सामना करते हैं और समस्त आपदाएं तकरीबन नष्ट हो जाती हैं।
- मनुष्य के जीवन में मौजूद सभी आपदाएं तकरीबन नष्ट हो जाती हैं और व्यक्ति दिग्विजय रूप धारण कर लेता है।
- इससे ह्रदय रोग, नेत्र रोग, अल्सर, मधुमेह, और कैंसर आदि रोगों से छुटकारा मिलता है।
15. पंद्रह मुखी रुद्राक्ष | 15 Mukhi Rudraksha
- यह rudraksha पशुपतिनाथ का स्वरुप माना गया है और भगवान पशुपतिनाथ आर्थिक मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।
- इसका प्राप्त करना अत्यंत दुर्लभ होता है।
- धारण मंत्र: ‘ॐ श्रीं मनोवांछितं ह्रीं ॐ नमः’
16. सोलह मुखी रुद्राक्ष 16 Mukhi Rudraksha
- सोलह मुखों वाला यह rudraksha महाकाल स्वरुप से संबंधित है और इसे धारण करने वाले काल भय से मुक्त रहते हैं।
- इसके प्राप्ति से ठंड का एहसास नहीं होता है, ताकि व्यक्ति सर्दी में भी आराम से विचरण कर सके।
- धारण मंत्र-‘ॐ हौं जूं सः’
17. सत्त्रह रुद्राक्ष | 17 Mukhi Rudraksha
- सत्रह मुखों वाले इस rudraksha में मां कात्यायनी का वास होता है और इसे प्रकार के rudraksha को धारण करने से साधक इस लोक में रहकर अलौकिक शक्तियों को पा सकता है।
- धारण मंत्र: ‘ॐ ह्रीं हूं हूं नमः’
18. अट्ठारह मुखी रुद्राक्ष | 18 Mukhi Rudraksha
- 17 मुखों वाले रुद्राक्ष का संबंध पृथ्वी से है, और इसके धारण करने वाला व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ तथा बुद्धिमान होता है।
- इस प्रकार के rudraksha का प्रयोग शिशु के रोगों से निवारण के लिए किया जाता है।
- धारण मंत्र: ‘ॐ ह्रीं हूं एकत्व रूपे हूं ह्रीं ॐ’
19. उन्नीस मुखी रुद्राक्ष का महत्व | 19 Mukhi Rudraksha
- उन्नीस मुखों वाले rudraksha को क्षीर सागर में शयन कर रहे नारायण देवता का है, और यह व्यापार में उन्नति और भौतिक सुखों के लिए उपयोग में लाया जाता है।
- धारण मंत्र: ‘ॐ ह्रीं हूं नमः’
20. बीस मुखी रुद्राक्ष का महत्व | 20 Mukhi Rudraksha
- यह 20 मुखों वाला rudraksha भी दुर्लभ श्रेणी में आने वाले रुद्राक्षों में शामिल है और इसके अंतर्गत नवग्रह- सूर्य, सोम, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, और केतु समेत दिक्पालों तथा त्रिदेव की शक्तियां समाहित होती हैं।
- धारण मंत्र: ‘ॐ ह्रीं ह्रीं हूं हूं ब्रह्मणे नमः’
21. इक्कीस मुखी रुद्राक्ष का महत्व | 21 Mukhi Rudraksha
- 21 मुखों वाला रुद्राक्ष कुबेर का प्रतिनिधित्व करता है और कुबेर की शक्तियां निहित होने के कारण जो भी इसे धारण करता है वह संसार की सभी सुख-समृद्धि और भोग-विलास का आनंद प्राप्त करता है।
- धारण मंत्र: ‘ॐ ह्रीं हूं शिव मित्राय नमः’
गौरी शंकर रुद्राक्ष | Gauri Shankar Rudraksh
गौरी शंकर रुद्राक्ष भगवान शिव और माता पार्वती के प्रेम के प्रतिक के रूप को दर्शाता है यह दो रुद्राक्ष को मिलाकर बनता है जो प्राकृतिक रूप से एक दूसरे से जुड़े होते है
गौरी शंकर रुद्राक्ष को अत्यधिक शुभ माना जाता है। यह ज्ञान, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है।
गौरी शंकर रुद्राक्ष पहनने के फायदे
- गौरीशंकर रुद्राक्ष पहनने से आपको भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद मिलता है।
- गौरीशंकर रुद्राक्ष जीवन संगी के बीच संबंध बनाने और स्थापित करने में मदद करता है।
- इसे धारण करने से आपके संबंधों में मजबूती और प्यार बढ़ता है तथा परिवार में सामंजस्य और समृद्धि प्रदान करने का माना जाता है।
- यह हृत पद्म चक्र को प्रारंभ करता है और पहनने वाले के चेतना को स्पष्ट करता है। गौरीशंकर रुद्राक्ष किसी भी दो प्राकृतिक रुद्राक्षों का मिश्रण हो सकता है।
- गौरीशंकर रुद्राक्ष आपको एक संतुलित व्यक्तित्व बनाता है और आपके जीवन में समझदारी से काम करता है।
त्रिजुटी रुद्राक्ष | Trijuti Rudraksha
तीन प्राकृतिक रूप से जुड़े हुए रुद्राक्षों त्रिभागी या त्रिजुटी रुद्राक्ष कहा जाता है। इस रुद्राक्ष को गौरी पाथ और ब्रह्मा विष्णु महेश (भगवान का त्रिमूर्ति) भी जाना जाता है। यह विश्व में सबसे दुर्लभ रुद्राक्ष में से एक है।
यह बहुत शक्तिशाली रुद्राक्ष के रूप में जाना जाता है, जो सार्वभौमिक आकर्षण देने और धारक को महान उपलब्धियों और आत्मविश्वास में वृद्धि करने में मदद करता है। प्राचीन वेदिक ग्रंथों में बताया गया है कि पहनने वाले को शारीरिक रूप से और आंतरिक रूप से अभिक्रांति से सभी प्रकार की बीमारियों से सुरक्षा मिलती है।
त्रिजुटी रुद्राक्ष पहनने के फायदे | Trijuti Rudraksha Benefits
- रुद्राक्ष पहनने वाले को शांति और समृद्धि मिलती है।
- त्रिजुटी रुद्राक्ष पहनने से अशुभ दुर्घटनाओं से सुरक्षा मिलती है।
- यह स्मृति रखने और निर्णय लेने में मदद करता है।
- रुद्राक्ष पहनने से संपत्ति आकर्षित होती है।
- इससे पहनने वाले को मानसिक शांति मिलती है, मस्तिष्क को प्रोत्साहित करता है और बुद्धि को तेज करता है।
गर्भ गौरी रुद्राक्ष | Garbh Gauri Rudraksha
गर्भ गौरी रुद्राक्ष एक दिव्य रुद्राक्ष है जिसे देवी पार्वती और भगवान गणेश के साथ जोड़ा गया है। इस रुद्राक्ष की माला 21 मुखियों में होती है और इसमें देवी पार्वती की मातृका स्नेह से शुरू होकर समाप्त होती है। हिन्दू धर्म में, गर्भ गौरी रुद्राक्ष मातृका स्नेह, भक्ति, सौंदर्य, और फर्टिलिटी के साथ जुड़ती है, यह विभिन्न रूपों में महिलाओं की शक्ति को परिभाषित करती है। भगवान गणेश को ‘विघ्नहर्ता’ कहा जाता है, यह उस व्यक्ति के जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मकता और समस्याओं को हर लेता है जो इसे पहनता है। और देवी पार्वती अपने दिव्य प्यार, स्नेह, और समृद्धि प्रदान करती हैं। यह ज्ञान, सफलता, स्थिरता, और खुशी दोनों व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में लाता है।
गर्भ गौरी रुद्राक्ष पहनने के फायदे | Garbh Gauri Rudraksha Benefits
- गर्भ गौरी रुद्राक्ष माता-पुत्र के बीच रक्त संबंधों को मजबूत करता है।
- इससे जीवन में सफलता, भाग्य, सकारात्मकता, और खुशी आती है।
- यह जीवन से सभी समस्याओं को हर लेता है और इसे पहनने वाले को सशर्त सुरक्षा देता है।
- इसमें देवी पार्वती और भगवान गणेश की दिव्य ऊर्जा का संयोजन है।
- इसका फायदा उन महिलाओं को भी होता है जो संतान प्राप्ति के लिए समस्या का सामना कर रही हैं।
- यह मन से नकारात्मकता को दूर करता है और शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
- यह जीवन से रुकावटें हटाता है।
गणेश रुद्राक्ष | Ganesh Rudraksha
गणेश रुद्राक्ष, जिसे उसकी ऊर्जा के लिए पहचाना जाता है, गणेश जी इस रुद्राक्ष के शासक देवता है जिन्हें विघ्नहर्ता के नाम से जाना जाता है, जो एक व्यक्ति के जीवन से सभी बाधाओं और चुनौतियों को हटा देते हैं, और इसका शासक ग्रह राहु होता है। गणेश रुद्राक्ष का धारण करने वाले को जीवन में आने वाली कठिनाइयों और रुकावटों को संभालने की शक्ति और ताक़त मिलती है। गणेश रुद्राक्ष आत्मविश्वास और मानसिक शांति बढ़ाता है।
गणेश रुद्राक्ष धारण करने के फायदे | Ganesh Rudraksha Benefits
- गणेश रुद्राक्ष के फायदे स्वाभिमान और घमंड कम करने में मदद करते हैं।
- गणेश रुद्राक्ष कर्मचारियों, मालिकों, निवेशकों, और व्यापारीओं के लिए फायदेमंद है।
- गणेश रुद्राक्ष धार्मिक, प्राकृतिक, और विचारशील लाभ प्रदान करता है।
- गणेश रुद्राक्ष भौतिक संतोष प्रदान करता है।
- गणेश रुद्राक्ष और विनाश की संभावना को और भी कम करता है।
- गणेश रुद्राक्ष आपके काम में महत्वपूर्ण सुधार प्रदान करता है।
सावर रुद्राक्ष | Savar Naag Rudraksha
सावर रुद्राक्ष या सावर नाग रुद्राक्ष को सर्वोत्तम भगवान शिव खुद के द्वारा नियंत्रित किया जाता है। यह एक जुड़वाँ मनका रुद्राक्ष है जो बहुत ही दुर्लभ होता है और इसकी विशेषता होती है कि इसमें दो प्राकृतिक जुड़े हुए रुद्राक्ष मनके होते हैं, जिनमें से एक मनका रुद्राक्ष एक मुखी होता है। इस रुद्राक्ष मनके को आध्यात्मिक विकास और जीवन के सभी पहलुओं में समृद्धि के लिए धारण किया जाता है। सावर रुद्राक्ष मनके की आकृति के कारण इन्हें आमतौर पर सवर नाग के रूप में भी प्रसिद्ध किया जाता है।
सावर रुद्राक्ष के फायदे | Savar Naag Rudraksha Benefits
- यह धारक को समंजस्य के साथ आशीर्वाद देता है।
- सवर रुद्राक्ष संबंधों के बीच सदयता को बढ़ावा देने में मदद करता है।
- इस रुद्राक्ष को पहनने से वित्तीय मामलों और संपत्ति के सौदों में सफलता मिलती है।
- यह समृद्धि को भी आकर्षित करता है।
- यह भाग्य लाता है और चेतना को ऊंचा करता है।
- यह सभी प्रयासों में सफलता लाता है।