ललिता पंचमी (Lalita Panchami) का त्योहार देवी ललिता को समर्पित है और यह हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।
इस दिन हिन्दू अपने ईश्वर के सम्मान में उपवास रखते हैं और इस अनुष्ठान को ‘उपांग ललिता व्रत’ के रूप में जाना जाता है।
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी ललिता महाविद्या में से एक महत्वपूर्ण देवी है। वह ‘षोडशी’ और ‘त्रिपुरा सुंदरी’ के रूप में भी जानी जाती है।
ललिता पंचमी व्रत नवरात्री में पांचवे दिन पड़ता है जो स्कंदमाता को समर्पित होता है मान्यता है कि इस दिन भगवान् शंकर के साथ स्कंदमाता की पूजा की जाती है
कहा जाता है देवी ललिता त्रिपुर सुंदरी का व्रत और पूजन करने से मनुष्य को सुख, वैभव और यश-कीर्ति प्राप्त होती है साथ ही वैवाहिक जीवन भी खुशहाल होता है।
देवी ललिता को देवी दुर्गा या शक्ति की अवतार माना जाता है, और ललिता पंचमी इसलिए नौ दिनी नवरात्रि महोत्सव के दौरान, पांचवे दिन मनाई जाती है।
ललिता पंचमी व्रत को आमतौर से भारत के गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों में बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। इन राज्यों में, देवी ललिता की पूजा देवी चंडी की तरह ही की जाती है
उपांग ललिता व्रत 2023 तिथि और शुभ मुहूर्त | Upang Lalita Vrat Date and Timings
आश्विन माह में पंचमी तिथि 19 अक्टूबर 2023, गुरुवार को सुबह 01:12 बजे शुरू होगी और 20 अक्टूबर 2023, सुबह 12:31 बजे समाप्त होगी। ऐसे में उपांग ललिता व्रत 19 अक्टूबर, गुरुवार के दिन रखा जाएगा।
तिथि | प्रारंभ | समापन |
शुक्ल पक्ष पंचमी | 19 अक्टूबर 2023, सुबह 01:12 बजे | 20 अक्टूबर 2023, सुबह 12:31 बजे |
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
दिन | सूर्योदय | सूर्यास्त |
19 अक्टूबर, गुरुवार | 06:29 | 17:54 |
ललिता पंचमी व्रत विधि और अन्य अनुष्ठान
उपासना का महत्व: ललिता पंचमी पर उपवास करना महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, और इसे ‘ललिता पंचमी व्रत’ के नाम से जाना जाता है। इस पावित्र व्रत के द्वारा भक्तों को अत्यधिक शक्ति और बल प्राप्त होता है।
देवी की उपासना: देवी की समर्पण और पूजन के लिए इस दिन विशेष अनुष्ठान और पूजाएँ की जाती हैं। कुछ स्थानों पर, समुदायिक पूजा होती है, जिसमें सभी महिलाएं साथ में प्रार्थना करती हैं। ललिता पंचमी के दिन, देवी ललिता के साथ, हिन्दू भक्त भगवान शिव और स्कंदमाता की भी पूजा करते हैं।
देवी ललिता के मंदिरों में भक्तों की भरमार: ललिता पंचमी के दिन, देवी ललिता के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखी जा सकती है। वे दूर-दूर से आकर इस दिन विशेष रूप से आयोजित पूजा अनुष्ठानों में भाग लेने आते हैं। कुछ क्षेत्रों में, इस दिन बड़े मेले भी आयोजित किए जाते हैं, जो बहुत उत्साह और उमंग प्रदान करते हैं।
वैदिक मंत्रों का पाठ: इस दिन देवी ललिता को समर्पित वैदिक मंत्रों को पढ़ना या रटना बहुत शुभ माना जाता है। इसके द्वारा, जीवन में आने वाली सभी समस्याएं, व्यक्तिगत और व्यापारिक दोनों, तुरंत हल हो जाएगा, ऐसा एक लोकप्रिय विश्वास है।
ललिता व्रत कथा | Lalita Vrat Katha
भगवान शंकर के क्रोध से जब कामदेव भस्म हो गए थे तो उनके राख से उत्पन्न हुए राक्षस का वध देवी ललिता त्रिपुर सुंदरी ने किया था। एक और मान्यता के अनुसार भगवान शंकर जब देवी सती के आधे जले शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे तो भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन से देवी के शरीर को भंग कर दिया। इसके उपरांत ललिता त्रिपुर सुंदरी ने भगवान शंकर को इस दुख से निकालने हेतु अपने हृदय में समा लिया था। तब से मां का नाम ललिता पड़ा। आज के दिन सच्चे हृदय से देवी का पूजन करने से मनचाहे वरदान की प्राप्ति होती है।
मान्यता है कि दक्ष द्वारा भगवान शिव का अपमान किये जाने पर जब माता सती ने यज्ञाग्नि में आत्मदाह कर लिया था तब भगवान शिव देवी के अधजले शरीर को गोद में उठाकर शोक-विलाप करते इधर उधर भटक रहे थे तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के मृत शरीर को टुकड़ो में विभाजित कर दिया था
कहा जाता है कि माता ललिता त्रिपुर सुंदरी ने भगवान शिव का दुःख दूर करने के लिए अपने ह्रदय समां लिया था इस कारणवश माँ को ललिता नाम से जाना जाने लगा।
ललिता पंचमी का महत्व | Significance of Lalita Panchami
ललिता पंचमी का धार्मिक महत्व ‘कालिका पुराण’ जैसे विभिन्न हिन्दू ग्रंथों में दिया गया है। देवी ललिता की पूजा हिन्दू संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण और विशेष मानी जाती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार इसे माना जाता है कि इस पुण्य दिन पर भगवती ललिता ने ‘भंड’ को परास्त करने के लिए प्रकट हुईं, जो कामदेव की राख से उत्पन्न हुआ एक राक्षस था। इसलिए ललिता पंचमी को देवी ललिता की प्रकटि या ‘जयंती’ के रूप में मनाया जाता है। देवी ललिता दुर्गा की एक अवतार है और ‘पंच महाभूत’ के साथ जुड़ी है (पृथ्वी, वायु, अग्नि, जल, और आकाश के रूप में प्रतिष्ठित पांच तत्वों के प्रतीत के रूप में).
भारत के दक्षिणी क्षेत्रों में, देवी ललिता को देवी चंडी का रूप माना जाता है। ललिता पंचमी के दिन, भक्तगण देवी की पूजा करते हैं और उनके समर्पण में कठिन उपवास का पालन करते हैं। इस दिन केवल देवी को देखने से ही माना जाता है कि जीवन की पीड़ा और मुश्किलों से राहत मिलती है। पूजा और उपासना के बाद, देवी अपने भक्तों को संतोष और खुशी से आशीर्वादित करती हैं।