Bhagavad Gita Lessons for Business: Timeless Wisdom for Ethical Leadership

1

Perform your duty without attachment to the results:

अपनी व्यावसायिक गतिविधियों में पूरे दिल से लगे रहें, लेकिन परिणामों के प्रति अत्यधिक आसक्त न हों। (गीता 2.47)

2

Seek balance and equanimity:

सफलता या विफलता, खुशी या दुःख की स्थिति में, समचित्त मन बनाए रखें और संतुलन के लिए प्रयास करें। (गीता 2.48)

3

Act with integrity and sincerity:

अपने व्यावसायिक मामलों को ईमानदारी, निष्पक्षता और नैतिक मूल्यों के साथ संचालित करें। छल और शोषण से बचें. (गीता 16.24)

4

Practice detached action:

अहंकारपूर्ण इच्छाओं या निहित स्वार्थों के बिना, निःस्वार्थ भाव से अपने कर्म करें। अपने कर्मों का फल किसी उच्च शक्ति को समर्पित कर दें। (गीता 2.50)

5

Cultivate a focused and disciplined mind:

आत्म-नियंत्रण विकसित करें, अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करें और ध्यान भटकाने से बचें। (गीता 6.26)

6

Continuous Learning and Self-Improvement:

गीता निरंतर सीखने और आत्म-सुधार के महत्व पर जोर देती है। व्यवसाय जगत में, अपने कौशल को लगातार विकसित करने से व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास हो सकता है

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