भगवद गीता एक व्यक्ति को डिप्रेशन और तनाव से निकलने में कैसे मदद कर सकती है, आइये जानते हैं कैसे
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यह ग्रंथ व्यक्ति को अपने कर्मों के महत्व को समझाता है और उसे धर्मपरायण जीवन जीने के प्रेरणा देता है। इस श्लोक में वर्णित है - "न यज्ञेन तपसा न दानेन चेज्यया"।
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भगवद गीता व्यक्ति को समत्वम् (बराबर भावना) की शिक्षा देती है, जो उसे सफलता और असफलता को समान रूप से स्वीकारने में मदद करती है। इस श्लोक में बताया गया है - "योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय"।
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गीता में भक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका है, जो व्यक्ति को संयमित रहकर भगवान के प्रति भावनाओं को विकसित करती है। इस श्लोक में उपस्थित है - "अद्वेष्टा सर्वभूतानां मैत्रः करुण एव च"।
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भगवद गीता ध्यान और धारणा के माध्यम से मन को शांत करने के उपाय बताती है।श्लोक में दर्शाया गया है - "श्रेयो हि ज्ञानमभ्यासाज्ज्ञानाद्ध्यानं विशिष्यते"।
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गीता व्यक्ति को समस्याओं का सामना करने के लिए साहसी बनाती है और उसे उन्हें पार करने के लिए प्रेरित करती है। इस श्लोक में बताया गया है - "उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्"।
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भगवद गीता में दिया गया ज्ञान व्यक्ति को आत्म-विश्वास प्रदान करता है और उसे अपने जीवन के माध्यम से सभी परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम बनाता है। इस श्लोक में उपस्थित है - "उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्"।