भुवनेश रूपी भगवान शिव धरती की सुरक्षा और संरक्षण के लिए सामान्य जनता की रक्षा करते हैं।
षोडश का अर्थ होता हैं "सोलह" जो इनके सृष्टि शक्तियों के प्रतीक हैं। षोडश रुपी भगवान शिव ने सृष्टि के लिए शक्ति का संचय किया और उसे प्रशांत तरंगों में परिणत किया।
भगवान शिव के भैरव रुद्र अवतार वे अत्यंत क्रोधी और भयंकर रूप में प्रस्तुत हुए थे। इन्हें देवी काली के भयंकर रूप में भी जाना जाता हैं। भैरव रुपी भगवान शिव को भयभीत होने वाले असुरों के विनाश के लिए प्रकट होते हैं।
इनके शिर का अर्थ होता हैं "कटा हुआ मस्तक" जो एक रहस्यमयी रूप हैं। यह रुद्र अवतार भगवान के तेजस्वी और भयानक स्वरूप को प्रकट करता हैं।
इन्हें धूम्रवान का अर्थ होता हैं "धूंधले रूपवाले" जो धूंधले ध्वनि के साथ प्रकट होते हैं। धूम्रवान रुपी भगवान शिव अत्यंत भयानक स्वरूप में प्रकट होते हैं और असुरों के नाश के लिए उतरे थे।
इस अवतार में, भगवान शिव ने भृगु ऋषि के रूप में पृथ्वी पर अवतरित होकर देवी तारा का विवाह किया था।
भगवान शिव ने वृकासुर के रूप में अवतरित होकर उसे मायावी शक्तियों से वशीकरण किया था और उसे नष्ट किया था।
इस रुद्र अवतार में, भगवान शिव ने कामदेव के शर से दरुक नामक वीर का जन्म लिया था, जो कामदेव की मौत का प्रतिशोध लेने के लिए उतरे थे।
रूद्र का यह रूप कपाली इस लिए कहलाता है क्योकि इसी रूप में वह दक्ष का सर धढ़ से अलग किया था। किन्तु प्राणी मात्रा के लिए रूद्र का ये रूप सुख देने वाला माना जाता है।
भगवान शिव का एक रुद्रावतार, जो सृष्टि, स्थिति, और संहार के सारे कार्यों का नियंत्रण करते हैं।
भगवान शिव का एक रुद्रावतार, जो दुष्टों का नाश करने के लिए प्रकट होते हैं।