Differences Between Rishi, Muni, Maharshi, Sadhu, and Saints in Hindu Spirituality

भारत हमेशा से ही ऋषि-मुनिओ और साधु-संतों का देश रहा है यंहा लोग इन्हे मार्गदर्शक के रूप में मानते है

क्या आपको पता है ऋषि, मुनि, सशु और संत के बिच में क्या फ़र्क़ है? आइये इससे जुड़े रोचक जानकारी-

Rishi 

ऋषि वेदों के रचयिता होते हैं, जो ज्ञान और आध्यात्मिकता के भंडार हैं। वे योग-साधना में निपुण होते हैं, जिसके माध्यम से वे परमात्मा को प्राप्त होते हैं और आत्मज्ञान प्राप्त करते हैं।

ऋषियों से जुड़ा एक रोचक तथ्य यह भी है कि ऋषिओ पर क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार और ईर्ष्या आदि की कोई रोकटोक नहीं है

Muni 

जो ऋषि साधना करते है तथा मौन रहने या काम बोलने की शपथ लेते है वो मुनि कहलाते है साथ ही मुनि शास्त्रों के रचनाकार तथा 28 गुणों से युक्त होते है

हमारे वेदो और ग्रंथो में कुछ ऐसे ऋषियों को भी मुनि का उपाधि प्राप्त थी जो सदा ईश्वर के नाम का जप करते थे उदहारण के लिए नारद मुनि।

Maharshi 

महर्षि ज्ञान और तप की उच्चतम सीमा पर पहुंचने वाले व्यक्ति होते हैं। वे मोह-माया से विरक्त होकर परमात्मा को समर्पित हो जाते हैं।

Sadhu 

साधना करने वाले व्यक्ति को साधु कहा जाता है। जो व्यक्ति 6 विकार यानि काम,लोभ,मोह,क्रोध,मद और मत्सर का त्याग कर देता है साधु कहलाता है।

Sant 

संत वो व्यक्ति कहलाता है जो सांसारिक जीवन और अध्यात्म के बिच में संतुलन बना लेता है संत लोग स्वभाव से शांत सदैव सत्य का आचरण करने वाले होते है

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