अर्थ: तुलसी दास कहते हैं कि विपत्तियों में भी विद्या, विनय और विवेक का सहारा लेना चाहिए। भाव: अच्छे गुणों के साथ व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में समर्थ होता है।
अर्थ: हिय के आवगमन में भी हर्ष नहीं होना चाहिए, और आँखों में सनेह नहीं होना चाहिए। भाव: संतुष्ट और आत्मनिर्भर रहने की महत्वपूर्णता को दिखाता है।
अर्थ: मीठे बचनों से सुख सब प्रांप्त होता है, सभी दिशाओं में। भाव: सच्चे और प्रेमपूर्ण बोलने की महत्वपूर्णता को दर्शाता है।
अर्थ: तुलसी दास कहते हैं कि भगवान राम पर भरोसा करके और निर्भीक होकर सोए। भाव: विश्वास और निर्भीकता से जीवन को आसानी से पार किया जा सकता है।
अर्थ: तुलसी दास कहते हैं कि यदि आप संघर्ष कर रहे हैं तो उसे खुद से न कहिए, अपने दोषी विरोधियों को कहिए। भाव: आत्म-संयम और साहस के साथ दुश्मनों के साथ संघर्ष करने की महत्वपूर्णता को दिखाता है।