व्रत से एक दिन पहले आपको मांस, मदिरा या तामसिक आहार का सेवन नहीं करना चाहिए। शनिवार के आने से पहले ही सात्विक आहार का सेवन करें।
शनिवार के दिन स्नान करके शनिदेव की पूजा का संकल्प लें। स्नान के बाद पीपल के पेड़ को जल दें और उसके चारों ओर चक्कर बांधकर शनिदेव की पूजा करें।
शनिवार के दिन मन, वचन और क्रियाएँ से शुद्ध रहें। शनिवार के दिन फलाहार करें और शनिदेव की कथा सुनें।
शनिवार के दिन व्रत कथा का पाठ करें। व्रत कथा सुनने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। शनिवार की संध्या आरती भी करें।
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन उनकी लोहे की मूर्ति की पूजा करें। काला तिल, सरसों का तेल और काला वस्त्र भी उनके लिए अर्पित करें।
शनिपीड़ा की शांति के लिए शनिवार के दिन उनके मंत्र और स्तोत्र का जाप करें। लाल चंदन की चुटकी को पानी में डालकर स्नान करें।
बुरे प्रभावों को दूर करने के लिए शनिवार के दिन शनि ग्रह के छाया का दान करें।
अगर आपने व्रत रखा है तो व्रत के दिन की आरती के बाद ही पारण करें। इससे व्रत का पूरा फल मिलता है।