शिव जी की जटायें अंतरिक्ष का प्रतीक है
शिव की जटाओं में विराजमान गंगा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक शास्त्रीय शिक्षा के प्रवाह को दर्शाती है
चंद्रमा इस बात का प्रतीक है कि भगवान कालातीत हैं
तीसरी आंख बुराई और अज्ञानता के विनाश का प्रतीक है, अगर खोला जाता है तो यह दृष्टि में व्यक्ति को राख कर देता है
सर्प अहंकार का प्रतीक है जिस पर एक बार महारत हासिल कर लेने पर इसे आभूषण के रूप में पहना जा सकता है
भगवन शिव का त्रिशूल 3 शक्तियों- ज्ञान, इच्छा और कार्यान्वयन का प्रतिनिधित्व करता है
वेदों के शब्दों का प्रतिनिधित्व करने वाली ध्वनियों का प्रतीक है
बाघ की खाल निडरता का प्रतीक है
रुद्राक्ष की माला शुद्धता को दर्शाती है
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