आप सभी ने कभी न कभी अपने बड़े-बुजुर्गों से सुना होगा की एकादशी पे चावल नहीं खाना चाहिए।
चलिए आज इस स्टोरी के माधयम से जानते हैं इसके पीछे के वैज्ञानिक और धार्मिक कारण -
धार्मिक ग्रंथों में एकादशी पर विशेष रूप से चावल के न खाने का विधान है, जिससे भक्त अपनी आहारिक व्यवस्था को संयमित रखते हैं और आत्मसंयम की प्राप्ति करते हैं।
मान्यता है की ऋषि मेधा ने देवी शक्ति के क्रोध से बचने के लिए अपने शरीर को धरती माँ को समर्पित कर दिया था।
कहा जाता है ऋषि मेधा चावल और जौ के रूप में धरती पर जन्म लिए थे इस वजह से चावल और जौ को जीव रूप में माना जाता है इन्हे एकादशी पे नहीं खाया जाता।
चावल के त्याग के पीछे का एक मुख्य कारण है आहार में सात्विकता को बढ़ावा देना और शरीर, मन, और आत्मा के शुद्धिकरण को समर्थ बनाना।
वैज्ञानिको के अनुसार चावल में जल की मात्रा ज्यादा होती है वही जल पर चन्द्रमा का प्रवाह ज्यादा पढता है
वैज्ञानिकों का मानना है कि एकादशी के दिन हमारे शरीर की पाचन शक्ति पर अच्छी नहीं होती है इसलिए अधिक जल तत्व वाले भोजन जैसे कि चावल नहीं खाना चाहिए।