भाई दूज क्यों मनाई जाती है? भाई दूज का महत्व –
भाई दूज का पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है। भाई दूज का त्यौहार हर वर्ष दीपावली के दो दिन बाद तीसरे दिन मनाया जाता है। यह पर्व भाई बहनों का है। इस पर्व को यम द्वितीया भी कहते हैं।
भाई दूज कि पौराणिक कथा –
भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना (यामी) का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी।
यमुना यमराज को बार बार अपने घर भोजन करने के लिए आमंत्रित करती है लेकिन यमराज अपने कार्य मे व्यस्त होने के कारण हर बार यमुना की बातों को टाल देते थे।
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को यमुना यमराज को अपने घर में भोजन करने के लिए वचनबद्ध कर लेती है। यमराज भी सोचते हैं कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूँ मुझे तो कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता लेकिन मेरी बहन मुझसे कितना स्नेह करती है जो इतनी सद्भावना से मुझे अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित कर रही है।
तिथि के दिन यमराज बहन यमुना के घर भोजन करने के लिए निकलते है और नरक के सभी जीवों को मुक्त कर देते हैं। यमराज के घर पहुंचते ही यमराज को अपने द्वार में देख यमुना की खुशी का ठिकाना नही रहता। बहन यमुना ने सबसे पहले स्नान करके तरह-तरह के पकवान बनाए फिर भाई यम को भोजन कराके माथे पर तिलक किया।
इससे वे बहुत खुश हो गए और उन्होंने यामी से कोई वरदान मांगने को कहा।इस पर यामी ने अपने भाई से कहा कि वे चाहती हैं कि –
आप हर वर्ष इस दिन मेरे घर आया करो और इस दिन जो भी बहन अपने भाई का तिलक करेगी उसे तुम्हारा भय नहीं होगा, उसकी बहन का प्यार और प्रार्थना भाई की रक्षा करेगा। बहन यमुना के वचन सुनकर यमराज अति प्रसन्न हुए और उन्हें आशीष प्रदान किया। इसी दिन से भाई दूज के पर्व की शुरुआत हुई।
इस पर्व जे जुड़ी एक पौराणिक कथा ये भी है कि भाई दूज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर वापस द्वारिका लौटे थे। इस दिन भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल, फूल, मिठाई और अनेकों दीये जलाकर उनका स्वागत किया था और भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनके दीर्घायु की कामना की थी।
इस पर्व को भाऊ बीज, टिक्का, यम द्वितीय और भातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
भाई दूज का महत्व –
भाई दूज के दिन भाई और बहन को एक साथ यमुना में स्नान करना काफी शुभ माना गया है। इस दिन बहन प्रार्थना करें कि हे यमराज, श्री मार्कण्डेय, हनुमान, राजा बलि, परशुराम, व्यास, विभीषण, कृपाचार्य तथा अश्वत्थामा इन आठ चिरंजीवियों की तरह मेरे भाई को भी चिरंजीवी होने का वरदान दें।