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भगवान शिव ने अपने गले में क्यों धारण किया है नाग? जानें पौराणिक कथा और घटना का रहस्य।

भगवान शिव, हिन्दू धर्म में महादेव, विश्व के निर्माता और संहारक के रूप में जाने जाते हैं। उनके विभिन्न रूपों में अनेक चीजें धारण करने का वर्णन हमें उनकी अद्वितीयता और महत्व को समझने में मदद करता है।

भस्म: शिव जी अपने शरीर पर भस्म धारण करते हैं, जो मृत्यु का प्रतीक होता है और जीवन-मृत्यु के चक्र की प्रतीक्षा कराता है।

माथे पर चंद्रमा: उनके माथे पर चंद्रमा धारण किया गया है, जो उनकी महत्वपूर्णता को दर्शाता है और समय की प्रतीक्षा के रूप में कार्य करता है।

जटा में गंगा: उनके जटा में गंगा नदी बहती है, जिसका उनके तप के दौरान प्राप्त हुआ था। गंगा उनके प्रेम का प्रतीक है और उनकी ध्यान-योग में सहायक होती है।

गले में नाग: उनके गले में वासुकी नाग का धारण होता है, जिससे उनके प्रेम और उनकी भक्ति का प्रतीक है। यह उनके भक्त के प्रति अपने साक्षात्कार का प्रतीक भी हो सकता है।

भगवान शिव के ये विभिन्न रूप उनकी अनंत शक्तियों, ध्यान, और महत्व को प्रकट करते हैं और उनके भक्तों को उनकी महिमा का अनुभव करने का अवसर प्रदान करते हैं।

इसके अतिरिक्त भगवान शिव का बाघ की खाल धारण (Story behind Lord Shiva wear Tiger Skin) करना का भी अपना महत्व है, जो यह दर्शाती है की शिव विश्व की सभी शक्तियों के नियंत्रक हैं।

भगवान शिव ने अपने गले में क्यों धारण किया है वासुकी नाग?

हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओं में भगवान शिव के अद्वितीय रूपों और उनकी भक्ति की अनगिनत गाथाएँ प्रस्तुत हैं। उनके विशेष रूपों में से एक असाधारण रूप उनके गले में लिपटे नागराज के रूप में हैं। इसके पीछे एक महत्वपूर्ण पौराणिक कथा छिपी है, जिससे हमें आपके साथ साझा करते हैं।

नागराज वासुकी की भक्ति:

पौराणिक कथाओं के अनुसार, नागराज वासुकी भगवान शिव के परम भक्त थे। उनका अद्वितीय समर्पण और उनकी अदृश्य भक्ति ने उन्हें भगवान के दरबार में विशेष स्थान प्राप्त कराया। जिनका ध्यान हमेशा भगवान शिव की पूजा करने में रहता था।

समुद्र मंथन की घटना:

समुद्र मंथन के समय, देवता और आसुर विशेष रूप से समुद्र मंथन कर रहे थे। इसके दौरान, समुद्र को मथने के लिए रस्सी की आवश्यकता होती है जिसमें वासुकी नाग का महत्वपूर्ण योगदान था। वासुकी नाग ने अपने असामान्य शक्तियों से मेरू पर्वत को आवरण बांधने में मदद की। उन्होंने भगवान शिव की भक्ति के बल पर इस महत्वपूर्ण कार्य को पूरा किया।

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भगवान शिव की कृपा:

समुद्र मंथन के परिणामस्वरूप, हलाहल विष निकला जो समस्त जगत् को अभिभूत कर दिया। भगवान शिव ने इस अत्यधिक विष को ग्रहण किया और उनकी गले में रख लिया। वासुकी नाग ने भी भगवान की मदद के लिए अपनी भक्ति के बल पर विष ग्रहण किया, लेकिन उनका शरीर विष के प्रभाव से प्रभावित नहीं हुआ। इसके परिणामस्वरूप, भगवान शिव ने वासुकी नाग को अपने गले में लिपटा रखा और उनका आशीर्वाद दिया।

उपासना का महत्व:

यह पौराणिक कथा हमें यह सिखाती है कि भगवान की अनन्त भक्ति और समर्पण के प्रति उनकी अद्वितीय कृपा होती है। नागराज वासुकी की उपासना से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें अपने सर्वोत्तम भगवान की भक्ति में समर्पित रहना चाहिए, चाहे हमारी स्थिति कुछ भी हो।

सारांश:

इस पौराणिक कथा से हमें यह सिख मिलती है कि भगवान शिव के गले में वासुकी नाग का धारण करना उनकी अत्यंत कृपा और उनके भक्त की उपासना का परिणाम है। हमें भी उनकी भक्ति में आत्मसमर्पण करने का प्रेरणा लेनी चाहिए और उनकी कृपा का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।

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